आज भी दलितों को डर और दबाव का सामना करना पड़ता है, कई स्थानों पर जातिवादी संरचनाएं और स्थानीय दबंगों का प्रभाव दलितों को उत्पीड़ित करता है ऐसा ही एक मामला सामने आया है । जहां 40 दलित बच्चों ने डर के कारण स्कूल जाना बंद कर दिया था।
UP News : मैनपुरी के थाना क्षेत्र के गांव सीतारामपुर में हाल ही में 40 दलित बच्चों ने डर के कारण स्कूल जाना बंद कर दिया था। यह डर तब बढ़ा जब गांव के दबंगों ने बच्चों और उनके अभिभावकों को धमकाया। इस स्थिति को लेकर बच्चों और उनके अभिभावकों ने प्रदर्शन किया और प्रशासन से समस्या का समाधान करने की मांग की। इस मामले ने गंभीर मोड़ तब लिया जब बच्चों की स्थिति का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे मामला तेजी से मीडिया और प्रशासन के ध्यान में आया।
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बच्चों की स्थिति का वीडियो वायरल
सामाजिक तनाव और सुरक्षा की बढ़ती चिंताओं को देखते हुए, प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की। बीएसए दीपिका गुप्ता, उप जिलाधिकारी नीरज कुमार द्विवेदी, सीओ करहल संतोष कुमार सिंह, थाना प्रभारी ललित भाटी और खंड शिक्षा अधिकारी उदय नारायण कटिहार ने स्थिति का समाधान निकालने के लिए गांव का दौरा किया। अधिकारियों ने गांववालों के बीच एक बैठक आयोजित की और दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित किया।
अधिकारियों ने बच्चों और अभिभावकों से बातचीत की
बैठक के दौरान, अधिकारियों ने सभी ग्रामीणों को स्कूल में बुलाया और एक आपसी समझौते की प्रक्रिया शुरू की। इस समझौते के तहत, दोनों गांवों के बीच के मतभेदों को सुलझाने की कोशिश की गई और एक लिखित समझौता तैयार किया गया जिसमें भविष्य में किसी भी प्रकार की हिंसा या धमकी से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की गारंटी दी गई। अधिकारियों ने बच्चों और उनके अभिभावकों से भी बातचीत की, उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी सुरक्षा प्राथमिकता होगी और स्कूल में उन्हें बेखौफ जाने की सुविधा प्रदान की जाएगी।
अब दलित बच्चे अब स्कूल लौट सकेंगे
इस समझौते और प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद, सीतारामपुर के दलित बच्चे अब स्कूल लौट सकेंगे और उनकी शिक्षा बाधित नहीं होगी। प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि इस तरह की समस्याओं की पुनरावृत्ति न हो और गांवों के बीच अमन-चैन बना रहे।
ये है मामला
सीतारामपुर के दलित बच्चों का है, जो हरदासपुर प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते थे। हाल ही में, गांव के दबंगों के साथ झगड़े के बाद, पिछले 10-12 दिनों में बच्चों के अभिभावकों ने उनकी सुरक्षा की चिंता के चलते उन्हें स्कूल भेजना बंद कर दिया। इस स्थिति का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे मामला और गंभीर हो गया और प्रशासन की तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता महसूस की गई। वीडियो के वायरल होने के बाद, प्रशासन ने दोनों गांवों के बीच समझौता कराने के लिए तत्परता दिखाई और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय किए।
क्यों है दलितों में आज भी डर
आज भी कई दलितों को डर और दबाव का सामना करना पड़ता है, और इसके पीछे विभिन्न जटिल कारण हैं। जातिवादी पूर्वाग्रह और सामाजिक भेदभाव ने लंबे समय से दलित समुदाय को सामाजिक और आर्थिक असमानता का सामना करने पर मजबूर किया है। समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी जातिवादी सोच की वजह से दलितों को शिक्षा, रोजगार और अन्य अवसरों में असमानता का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति कमजोर होती है। इसके अलावा, कई स्थानों पर जातिवादी संरचनाएं और स्थानीय दबंगों का प्रभाव दलितों को उत्पीड़ित करता है, जबकि कानूनी और प्रशासनिक कमजोरियों के कारण उनकी शिकायतों का उचित समाधान नहीं हो पाता। इन समस्याओं के समाधान के लिए समाज, सरकार और कानूनी व्यवस्था में व्यापक और प्रभावी सुधार की आवश्यकता है, ताकि सभी नागरिकों को समान अधिकार और सुरक्षा मिल सके।
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