Sc, St, OBC प्रतिनिधित्व पर संसद में बोले चंद्रशेखर आज़ाद, “अब तो हमें अवसर मिलना चाहिए”

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आख़िर में चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा कि कब तक एकलव्य का अंगूठा कटता रहेगा ? अब तो हमें अवसर मिलना चाहिए। 

 

Chandra Shekhar Azad In Parliament :  चंद्रशेखर आज़ाद जो लोकसभा चुनाव 2024 में नगीना सीट से जितकर लोकसभा पहुंचे है उनके तेवर अब पहले से ज़्यादा सख्त नज़र आ रहे है। चंद्रशेखर आज़ाद लगातार बेबाकी से हर मुद्दे पर अपनी बात कह रहे हैं। हालांकि वह पहले से ही मुद्दों को लेकर मुखर हैं लेकिन सांसद बनने के बाद उनके द्वारा कही गयी बात पहले से 100 फीसदी ज़्यादा मायने रखने लगी है। इसी कड़ी में सोमवार को बजट सत्र के पहले दिन चंद्रशेखर आजाद संसद में जमकर बरसे। खेल क्षेत्र में एससी एसटी और ओबीसी के प्रतिनिधित्व, खेलों में हो रहे जातिवाद और सीएम योगी के नेमप्लेट वाले विवाद पर नेता पक्ष और विपक्ष को उन्होंने खरी खरी सुनाई। इसके अलावा उनकी एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई जिसमें वह संसद में बैठकर अपनी मूछों को ताओ देते दिख रहे हैं।

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सोमवार 22 जुलाई को बजट सत्र के पहले दिन जब चंद्रशेखर आज़ाद संसद में बोलने के लिए खड़े होते है तो सबसे पहले खेलों में एससी एसटी ओबीसी वर्ग के प्रतिनिधित्व की बात करते हैं। सरकार से यह मांग करते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में खिलाड़ियों की स्थिति पर ध्यान दिया जाए।  ग्रामीण अंचल से आने वाले खिलाड़ियों को अवसर मिलना चाहिए। वह आगे कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभा भरी पड़ी है लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिल रहा है। क्योंकि न तो वहां स्टेडियम हैं, न ही स्पोर्ट्स कॉलेज और न ही यूनिवर्सिटी। वह आगे कहते हैं कि हम खुद अच्छे खिलाड़ी थे लेकिन अवसर नहीं मीला। संसद में आने के लिए भी सड़क पर संघर्ष किया है।

इसके बाद चंद्रशेखर आज़ाद ने खेलों में हो रहे जातिवाद का मुद्दा भी उठाया..उन्होंने एक अन्य सांसद की बात को कोट करते हुए कहा कि,

हमारे साथी सांसद कह रहे थे कि खेलों में जाति और धर्म नहीं होता। सर जाति तो है। जहाँ पहली कक्षा lके साथ ही बच्चे के नाम के साथ सरनेम लगा होता है। तो उस देश में जाति न हो ऐसा कैसे हो सकता है। इसके बाद चंद्रशेखर आजाद ने दलित समाज से आने वाले खिलाड़ी हिमा दास और वंदना कटारिया की घटनाओं को संसद में बताया की कैसे लोग हिमा दस की जाति गूगल पर सर्च कर रहे थे। वहीं वंदना कटारिया के घर के बाहर कैसे जातिवादी मानसिकता रखने वालों ने हंगामा किया था।

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इसी के साथ अपने निर्वाचन क्षेत्र नगीना की बात करते हुए चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा कि वह जब ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं तो देखते हैं कि वहाँ प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। वह सरकार से ये आग्रह करते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद प्रतिभा का विकास किया जाए। आख़िर में चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा कि कब तक एकलव्य का अंगूठा कटता रहेगा ? अब तो हमें अवसर मिलना चाहिए।

ये बात तो रही संसद के भीतर की लेकिन चन्द्रशेखर आज़ाद ने संसद के बाहर सीएम योगी के नेमप्लेट वाले फ़ैसले पर मीडिया से जो कहा वो आपको भी सुनना चाहिए।

दरअसल कावड़ यात्रा के मद्देनजर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कावड़ यात्रा के रास्ते में आने वाली खाने पीने की दूकान पर मालिक का नाम लिखने के आदेश दिए थे। जिसे लेकर लगातार विवाद बना हुआ हुआ। 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ के इस फ़ैसले पर अन्तिम रोक लगा दी। जिस पर चंद्रशेखर आज़ाद ने बयान देते हुए कहा, “दुकानदारों को मालिकों के नाम लिखने वाले” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के हिटलरी फरमान पर माननीय उच्चतम न्यायालय की रोक लगाने का फैसला “संविधान के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नही होगा” सिद्धांत को मजबूत करने वाला है। संविधान की जीत हुई। फैसले का हम स्वागत करते है। सांप्रदायिकता मुर्दाबाद, भाई चारा जिंदाबाद

 

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