खड़गे ने कहा कि कांग्रेस का स्पष्ट कहना है कि “जिसकी आस्था है, उन्हें जरूर जाना चाहिए. हम भी अपनी पसंद के समय पर जाएंगे। लेकिन मेरी चिंता यह है कि मेरे समुदाय के लोगों को हर जगह जाने की इजाजत नहीं है. दलित समुदाय के लोग अपमानित, कुचले हुए और शोषित हैं. जब तक उनको असली आजादी नहीं मिलेगी, तब तक मैं कहां जा सकता हूं”.
LOKSABHA ELECTION 2024 : लोकसभा चुनाव के दौर में पार्टी के नेता अपने वोटरों को साधने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपनाते हैं। इन सभी में दलित वोट पार्टियों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अभी हाल ही में मल्लिकार्जुन खड़गे ने दलितों के साथ भेदभाव का मुद्दा उठाया और कांग्रेस का बचाव करते हुए उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि अनुसूचित जनजाति से होने के कारण राष्ट्रपति मुर्मू को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन समारोह और नए संसद भवन के उद्घाटन में आमंत्रित नहीं किया गया।
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दलितों के अपमान का कांग्रेस ने लगाया आरोप :
लोकसभा चुनावो के इस दौर में राममंदिर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। आस्था के ज़रिये भी पार्टियां वोटरो को लुभाने की कोशिश करती हैं या दलित वोटरों को साधने के लिए तमाम तरह के वादे करती हैं। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष का दलितों के समर्थन में बोलना दूसरी पार्टियों को खटक सकता है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपमानित करने का आरोप लगाया है। “मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अनुसूचित जनजाति से होने के कारण राष्ट्रपति मुर्मू को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन समारोह और नए संसद भवन के उद्घाटन में आमंत्रित नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इससे पहले तत्कालीन राष्ट्रपति कोविंद को नए संसद भवन की आधारशिला रखने की अनुमति नहीं दी गई, क्योंकि वो अनुसूचित जाति से थे।“
वोट बैंक की राजनीतिक के कारण कांग्रेस ने राम मंदिर समारोह का निमंत्रण ठुकराया :
भाजपा पर कटाक्ष करते हुए मल्लिकार्जुन ने आगे कहा कि “यही मेरी किस्मत है. अगर किसी दूसरे समुदाय का राष्ट्रपति होता तो आप कभी भी इन नियमों का उल्लंघन नहीं करते।. सिर्फ यही बताया जाता है कि कांग्रेस के नेता राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं हुए, लेकिन दलितों के अधिकारों के बारे में कोई बात नहीं करता है।“ आपको बता दें कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में दलितों और आदिवासियों के अपपान का भाजपा पर आरोप लगाया था। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों एक इंटरव्यू में कहा था कि वोट बैंक की राजनीतिक के कारण कांग्रेस ने राम मंदिर समारोह का निमंत्रण ठुकरा दिया था। साथ ही पीएम मोदी ने कहा था कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल राम मंदिर को केवल राजनीति मुद्दा मानते थे।
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अनुसूचित जाति के लोगों को आज भी मंदिरों में प्रवेश की अनुमति नहीं :
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लगाये गए आरोपों को झूठा बतलाते हुए कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों को आज भी कई मंदिरों में प्रवेश की अनुमति नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर मैं अयोध्या गया होता तो क्या वे इसे बर्दाश्त करते? खड़गे ने कहा कि कांग्रेस का स्पष्ट कहना है कि “जिसकी आस्था है, उन्हें जरूर जाना चाहिए. हम भी अपनी पसंद के समय पर जाएंगे। लेकिन मेरी चिंता यह है कि मेरे समुदाय के लोगों को हर जगह जाने की इजाजत नहीं है. दलित समुदाय के लोग अपमानित, कुचले हुए और शोषित हैं. जब तक उनको असली आजादी नहीं मिलेगी, तब तक मैं कहां जा सकता हूं”.
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पार्टियां दलितो का एक बड़ा वोट बैंक साधने की जुगत में :
भले ही खड़गे ने देशभर में आवासियों और दलितों के साथ होने वाले भेदभाव को उजागर करने की कोशिश की। लेकिन इस आड़ में कहीं न कहीं पार्टियां दलितो का एक बड़ा वोट बैंक साधने की जुगत में लगी रहती है। क्योंकि खड़गे ने भी पहले चरण के मतदान से पहले ही दलित वोटरों को साधने के लिए यह दांव चला। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस SC/ST प्लान को लागू करने की कानूनी गारंटी देगी। इस बयान से खड़गे वास्तव में यह कहना चाहते थे कि एससी/ एसटी आबादी जितनी होगी उतना ही बजट रखा जायेगा। खड़गे ने कांग्रेस घोषणा पत्र में किए गए वादों को दोहराया और उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने पर सभी वादे पूरे किए जाएंगे।
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