BSP सुप्रीमो मायावती किसी गठबंधन में शामिल हो रहीं है या चुनाव से ठीक पहले वो अपना समर्थन किसी गठबंधन यानी I.N.D.I.A या N.D.A को देंगी अब ऐसा कोई भी कयास लगाना ठीक नहीं होगा।
क्योंकि BSP सुप्रीमो मायावती ने खुद इस बात को सोशल मीडिया X पर लिखा है कि, “बीएसपी देश में लोकसभा का आम चुनाव अकेले और अपने बलबूते पर पूरी तैयारी व दमदारी के साथ लड़ रही है। ऐसे में BSP की तरफ से चुनावी गठबंधन करने या तीसरा मोर्चा बनाने की अफवाह फैलाना फेक न्यूज़ है। मीडिया ऐसी शरारतपूर्ण खबरें देकर अपनी विश्वसनीयता को ना खोए और लोग भी ऐसी किसी भी अफवाह से सावधान रहें।”
इतना ही नहीं BSP अध्यक्ष मायावती ने एक और पोस्ट करते हुए कहा लिखा कि, “ख़ासकर यूपी में बीएसपी के अकेले व मजबूती के साथ चुनाव लड़ने के कारण विरोधी लोग काफी बैचेन लगते हैं। इसलिए ये आए दिन अलग-अलग अफवाह फैलाकर लोगो को गुमराह करने की कोशिश करते रहते हैं। लेकिन बहुजन समाज के हित में बीएसपी का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला अटल है।”
मायावती को PM बनाना चाहिए :
बता दें कि वर्तमान में भारतीय राजनीति के हालात कुछ ऐसे है कि लोकसभा चुनावो की चर्चा आते ही सबके दिलों में एक सवाल कोंध जाता है कि यूपी की चार बार सत्ता संभालने वाली, दलित समाज की पहली महिला मुख्यमंत्री जिन्हें आयरन लेडी कहा जाता है यानी मायावती अपना रूख किस तरफ रखने वाली हैं।
राजनीतिक विश्लेषक भी लगातार इस बात को कह रहें है कि 2024 में मायावती को अपने साथ लाए बिना I.N.D.I.A गठबंधन जीत हासिल नहीं कर सकता है। कहा ये भी जा रहा है कि I.N.D.I.A गठबंधन को मायावती को गठबंधन में शामिल करना चाहिए और उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए।
मीडिया की लगाई क्लास :
बहरहाल इन सभी चर्चाओं के बीच मायावती ने I.N.D.I.A और N.D.A दोनों ही गठबंधनों को एक बार फिर से झटका दे दिया है। साथ ही मीडिया की भी जमकर क्लास लगाई है और हिदायत दी है कि मीडिया को ऐसी कोई भी खबर चलाने से बचना चाहिए जिसमें वह मायावती को गठबंधन में शामिल होते हुए बता रहे क्योंकि इससे उन चैनलों की विश्वसनीयता खत्म हो रही है। मायावती ने लोगो से भी ऐसी किसी भी अफवाह से बचने और सावधान रहने के लिए कहा है।
बता दें कि इससे पहले भी BSP सुप्रीमो मायावती ने मीडिया के सामने आकर ये बात कही थी कि BSP गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ेगी, वो अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी। क्योंकि गठबंधन में चुनाव लड़ने से गठबंधन की अन्य पार्टियों को तो फायदा मिल जाता है लेकिन BSP को इससे कोई फायदा नहीं पहुंचता। दूसरी पार्टियों को वोट और सीट दोनों मिल जाते हैं लेकिन BSP का वोट और सीट दोनों छिटक जाते हैं।
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