शाहजहाँ शेख जिसकी उम्र 42 साल है और वो अपने परिवार में चार भाई बहनों में सबसे बड़ा है, के पास आज करोड़ों की संपत्ति है। उसके पास 17 कारें, 43 बीघा ज़मीन, 2 करोड़ के आसपास गहने और लगभग 2 करोड़ का बैंक बैलेंस है। हालांकि स्थानीय लोगों के मुताबिक उसके पास इससे कहीं ज्यादा धन-दौलत है…
संदेशखाली कांड के मुख्य आरोपी शाहजहां शेख के बारे में बता रही हैं युवा पत्रकार सुषमा तोमर
Who is Shahjahan Sheikh : किसी फिल्म के विलेन की अगर कल्पना की जाए तो वो यकीनन ऐसी होगी, ‘एक आदमी जो मन में बहुत सी चाह लेकर एक शहर से दूसरे शहर जाता है, वहां कोई भी छोटा-मोटा काम कर अपना गुज़रा करता है। एक दिन वह देखता है कि गलत काम में ज़्यादा पैसा है तो उसमें लग जाता है। शुरुआत करता है एक पॉलिटिकल पार्टी का स्पोर्ट लेकर। सबसे पहले गुंडागर्दी, फिर गरीब-मज़लूमों की ज़मीन पर कब्ज़ा, उनको प्रताड़ित करना, उनकी बहू—बेटियों की इज़्ज़त से खेलना, उनकी जान की कीमत पर अपने लिए लाखों-करोड़ों की सम्पत्ति इकठ्ठा कर लेना। इतने सारे गलत काम कर लेने के बावजूद किसी अपराध के लिए मलाल न होना।’
यह सब बातें पश्चिम बंगाल के टीएमसी नेता शाहजहां शेख पर फिट बैठती हैं, क्योंकि ऊपर गिनाए गए अपराधों में से शायद ही ऐसा कोई जुर्म होगा, जो उसने ना किया हो। पश्चिम बंगाल की दलित—आदिवासी महिलाओं के लिए वो किसी विलेन से कम नहीं है। बहरहाल, आज यानी 29 फरवरी को पूरे 55 दिन की भागदौड़ और खूब राजनीतिक आरोपों-प्रत्यारोपों के बाद तृणमूल कांग्रेस का यह गुंडा नेता शाहजहां शेख पुलिस के हत्थे चढ़ गया है। पश्चिम बंगाल पुलिस ने उसे 24 परगना से गिरफ्तार किया है और उसे कोर्ट में पेश भी कर दिया गया है।
टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन के मुताबिक संदेशखाली में यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे शाहजहां शेख को तृणमूल कांग्रेस ने 6 साल के लिए सस्पेंड कर दिया है। फिलहाल गिरफ्तारी के बाद शेख को 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
असल सवाल है कि आखिर कौन है शाहजहाँ शेख जो इतने दिन तक पुलिस के साथ आंख-मिचौली का खेल खेलता रहा, उसकी राजनीति में इतनी ऊँची पैठ क्यों और कैसे बनी है? और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उसे क्यों बचा रही थीं?
ईंट-भट्टे पर काम करने वाला शेख कैसे बना राजनीतिक गुंडा
पीटीआई और लल्लन टॉप जैसी मीडिया वेबसाइट के मुताबिक शाहजहाँ शेख जिसकी उम्र 42 साल है और वो अपने परिवार में चार भाई बहनों में सबसे बड़ा है, के पास आज करोड़ों की संपत्ति है। उसके पास 17 कारें, 43 बीघा ज़मीन, 2 करोड़ के आसपास गहने और लगभग 2 करोड़ का बैंक बैलेंस है। हालांकि स्थानीय लोगों के मुताबिक उसके पास इससे कहीं ज्यादा धन-दौलत है। मीडिया के मुताबिक वो बांगलादेश की सीमा लांकर भारत आया था, जहाँ उसने पश्चिम बंगाल के 24 परगना के संदेशखाली में सबसे पहले ईंट—भट्टे पर मजदूरी से काम करना शुरू किया। 2002 में उसने ईंट-भट्टा मजदूरों की यूनियन बनायी और खुद उनका नेता बन गया। 2004 में ईंट-भट्टों के यूनियन नेता के रूप में उसने राजनीति में एंट्री की।
गरीबों और महिलाओं पर जुल्म
यूनियन नेता के बतौर राजनीति में प्रवेश के बाद शाहजहां शेख कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गया। इसके बाद मानो उसके अंदर का असली शैतान बाहर आया हो। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उसने सबसे पहले किसानों की जमीनों पर कब्जा करना शुरू किया। वो किसानों की जमीन पर खारा पानी भरवा देता था, जिससे फसल होने की सारी संभावना खत्म हो जाती। उसके बाद ज़बरदस्ती उनकी जमीन हथियाना शुरू किया। पीड़ित महिलाओं के आरोपों को सही मानें तो, वह उन्हें जब चाहे अपने ऑफिस बुलाता, उनसे मनचाहे काम करवाता, अपने गुर्गों को खुश करने के लिए कहता और उनका बलात्कार करना उसका पेशा बन गया। साल 2006 और 2008 में ममता बनर्जी की सरपरस्ती में दो बड़े प्रोटेस्ट हुए, जिसके बाद पश्चिम बंगाल में ममता की सरकार बनने का रास्ता आसान हो गया।
पहला प्रोटेस्ट नंदीग्राम में लेफ्ट सरकार द्वारा खेती की जमीन पर केमिकल हब बनाए जाने के विरोध में था, तो दूसरा सिंगूर में टाटा समूह की नैनो कार बनाने के लिए किसानों की जमीन देने के विरोध में था। ममता अपनी रणनीति में कामयाब रही। साल 2011 में पश्चिम बंगाल में 34 साल की वामपंथी सरकार उखड़ गयी और ममता ने अपनी सरकार बनायी।
TMC और शाहजहां शेख
वामपंथियों की उखड़ती जड़ों को देख शाहजहाँ शेख को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) अब रास नहीं आ रही थी वहीं ममता के बढ़ते कद और बंगाल की सत्ता में आने के बाद TMC में शामिल होना शाहजहाँ शेख के लिए ज़रूरी हो गया था। जोशीले भाषणों और संगठन कौशल के लिए पहचाने जाने वाला शेख ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेतृत्व का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। शाहजहाँ शेख साल 2012 में TMC से जुड़ गया। राजनीतिक संरक्षण बदल गया, लेकिन शाहजहाँ शेख के काम नहीं बदले। जो काम अब तक लेफ्ट पार्टी को शेल्टर बनाकर किये जा रहे थे, वो अब TMC के संरक्षण में होने लगे। शायद यही कारण है कि दलित-आदिवासी महिलाओं के गंभीर आरोपों के बाद भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर एक बार भी कोई स्टेटमेंट नहीं दिया। वहीं अभिषेक बनर्जी ने जो कि TMC के नेता हैं और ममता बनर्जी के भतीजे भी ने कहा था कि कोलकाता हाईकोर्ट ने शाहजहाँ शेख की गिरफ्तारी पर रोक लगाई हुई है
शेख से जुड़ा एक किस्सा हर कोई सुनाता है। कहते हैं कि 2006 में ईंट—भट्टों का यूनियन नेता बनने के बाद ही शेख का कद इतना बड़ा हो गया था कि एक बार जब उसे पुलिस की हिरासत में लिया गया तो महज आधे घंटे के अंदर ही उसे थाने से छोड़ दिया गया था और कुछ दिनों बाद थाना प्रभारी का ही तबादला हो गया।
अब चर्चा में क्यों आया शाहजहाँ शेख
करीब दो महीने पहले 4 जनवरी को एक केस के सिलसिले में ED पश्चिम बंगाल के धामखाली में शाहजहाँ शेख को पकड़ने पहुंची थी, लेकिन स्थानीय लोगों ने जो शाहजहाँ शेख के समर्थक भी थे, ने ED के अधिकारियों को उल्टे पैर दौड़ा दिया। उन पर हमला किया। इस घटना में एक अधिकारी को गंभीर चोटें भी आई थीं। वहीं संदेशखाली की दलित-आदिवासी महिलाओं ने शाहजहाँ शेख और उसके दो गुर्गों शिबू हाज़रा और उत्तम सरदार पर उनके साथ यौन उत्पीड़न करने और ज़मीन पर जबरन कब्ज़ा करने के आरोप लगाए हैं।
शाहजहाँ शेख पिछले 55 दिनों से फरार चल रहा था कहा जा रहा था कि पानी के रास्ते पश्चिम बंगाल छोड़कर भाग गया है, लेकिन आज 29 फरवरी को पुलिस ने 24 परगना से उस गिरफ्तार किया और कोर्ट में पेश भी किया। इससे पहले जब कोलकाता हाईकोर्ट में शेख ने जमानत के लिए अर्जी डाली थी, लेकिन कोर्ट ने उस खारिज कर पुलिस और ED को उसे जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए कहा था।
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