दिल्ली में जलभराव और वायु प्रदूषण पर चुप्प क्यों है केजरीवाल सरकार?

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दिल्ली में जलभराव और वायु प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याओं पर केजरीवाल सरकार की निष्क्रियता को विपक्ष ने आड़े हाथों लिया है। मानसून में जलभराव से सड़कें बाधित हैं, जबकि बढ़ते वायु प्रदूषण से स्कूल बंद करने की नौबत आती है। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि केजरीवाल सरकार इन मुद्दों पर ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही, और जनता को सिर्फ झूठे वादों से गुमराह कर रही है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, दलितों और आम जनता के मुद्दों पर सियासत गरमाती जा रही है। इस बार आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP), और कांग्रेस (Congress) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। लेकिन चर्चा का केंद्र अरविंद केजरीवाल और उनके द्वारा किए गए वादे हैं। विशेषकर दलित समुदाय और किरायेदारों के लिए किए गए घोषणाओं पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव और अन्य विपक्षी नेताओं ने तीखे सवाल खड़े किए हैं। देवेंद्र यादव ने कहा कि अरविंद केजरीवाल झूठे वादों की राजनीति कर रहे हैं और केवल जनाधार खोने के डर से पुराने वादों को दोहरा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि दलितों और किरायेदारों की सहानुभूति पाने के लिए केजरीवाल फिर से वही घोषणाएं कर रहे हैं जो पिछले 10 वर्षों में भी पूरी नहीं हो सकीं।

पुराने वादे अधूरे, नए वादों पर संदेह

2015 और 2019 के चुनाव में भी केजरीवाल सरकार ने किरायेदारों को मुफ्त बिजली, पानी और सब्सिडी का वादा किया था। लेकिन कांग्रेस और बीजेपी ने आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों में इन वादों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। देवेंद्र यादव ने सवाल उठाया कि मकान मालिकों तक सब्सिडी का लाभ नहीं पहुंचा, तो किरायेदारों से किए गए वादे कैसे पूरे होंगे? उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार सिर्फ घोषणा करने में माहिर है लेकिन उन घोषणाओं को अमल में लाने की इच्छाशक्ति नहीं दिखा पाई।

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दलितों के मुद्दों पर चुप्पी

दिल्ली की राजनीति में दलित समुदाय एक बड़ा वोट बैंक है, लेकिन उनकी समस्याओं पर केजरीवाल सरकार का ध्यान न देना भी आलोचना का विषय बन गया है। कांग्रेस और बीजेपी नेताओं ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने दलित बहुल इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की घोर उपेक्षा की है। गंदगी, जलभराव, और शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली जैसे मुद्दों पर केजरीवाल सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। दिल्ली के दलित इलाकों में वायु और जल प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब है। मानसून के दौरान जल जमाव से लोगों की ज़िंदगी दयनीय हो जाती है, लेकिन केजरीवाल सरकार इसे लेकर उदासीन बनी रही।

जनता के मुद्दों पर विपक्ष का हमला

विपक्ष ने सवाल उठाया कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है, जिससे बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। बार-बार स्कूल बंद करना पड़ता है, लेकिन इस समस्या का समाधान करने के बजाय केजरीवाल सरकार केवल वादों तक सीमित रही। डीटीसी बस सेवा की बदहाली, मोहल्ला क्लीनिकों की अव्यवस्था, और सरकारी अस्पतालों में इलाज की लचर व्यवस्था भी जनता के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है।

झूठे वादों से नहीं चलेगी सरकार: कांग्रेस का दावा

कांग्रेस ने सीधे-सीधे आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल झूठे वादों से जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। देवेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली की जनता अब जाग चुकी है और इस बार झूठे वादों के झांसे में नहीं आएगी। किरायेदारों और दलितों को समान अधिकार देने की घोषणाएं केवल चुनावी हथकंडे हैं। कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि अरविंद केजरीवाल को अपने वादे पूरे न कर पाने के कारण सत्ता से बेदखल होने का डर सताने लगा है।

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दलित और आम जनता की मांगें बनीं चुनावी एजेंडा

इस बार के चुनाव में दलित समुदाय और किरायेदारों के अधिकारों का मुद्दा प्रमुख बन गया है। कांग्रेस और बीजेपी ने इसे अपने एजेंडे में शामिल करते हुए केजरीवाल सरकार पर हमला तेज कर दिया है। दलित समुदाय को बुनियादी अधिकार, मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की बात कहकर विपक्ष ने जनता के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश शुरू कर दी है।

आम आदमी पार्टी की चुप्पी और विपक्ष का पलटवार

दिल्ली की जनता को वादों के झूठे मायाजाल में फंसाने की कोशिश अब काम नहीं आएगी। विपक्ष ने यह साफ कर दिया है कि केजरीवाल सरकार को पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल का हिसाब देना होगा। दलित समुदाय और आम जनता से किए गए वादों को लेकर केजरीवाल की चुप्पी उन्हें भारी पड़ सकती है। दिल्ली की जनता अब उन नेताओं को चुनेगी जो केवल वादे नहीं, बल्कि धरातल पर काम करने की प्रतिबद्धता रखते हैं।

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