सतीश चंद्र मिश्रा, मायावती के सबसे भरोसेमंद सहयोगी और बसपा के प्रमुख रणनीतिकार हैं। वे 2007 में बसपा की ऐतिहासिक जीत के सूत्रधार रहे और ब्राह्मण-दलित गठजोड़ को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। मायावती उन पर पूरा विश्वास करती हैं, और उनकी रणनीति का फायदा पार्टी को चुनावों में मिलता रहा है।
सतीश चंद्र मिश्रा का नाम बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के राजनीतिक सफर में एक महत्वपूर्ण किरदार के रूप में उभर कर सामने आया है। मायावती के इस भरोसेमंद साथी को अक्सर उनका “लेफ्ट हैंड” कहा जाता है, जो पार्टी की हर रणनीतिक पहल और चुनावी योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 2007 के यूपी विधानसभा चुनावों में जिस तरह बसपा ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई, वह सतीश चंद्र मिश्रा की चुनावी रणनीतियों का नतीजा माना जाता है। उस समय, उन्होंने एक ऐसी चुनावी रणनीति बनाई जिसने हंग विधानसभा के ट्रेंड को तोड़ा और पार्टी को पूर्ण बहुमत दिलाया। सतीश चंद्र मिश्रा की यह रणनीति न केवल दलितों को बल्कि ब्राह्मणों सहित अन्य जातियों को भी साथ लेकर चलने में सफल रही, और मायावती को एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया।
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बसपा के ब्राह्मण चेहरा और मायावती का विश्वासपात्र
सतीश चंद्र मिश्रा एक ब्राह्मण परिवार से आते हैं, और अपने समाज के बीच उन्हें एक सम्मानित व्यक्ति के रूप में देखा जाता है। लेकिन अपने समाज से हटकर वे मायावती के विचारों और उनके नेतृत्व को पूरी तरह से अपना आदर्श मानते हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा में मायावती का प्रभाव शुरू से ही देखा गया है। यही कारण है कि वह बसपा के हर कदम पर मायावती के निर्णयों का अनुसरण करते हैं और खुद को बसपा के लिए पूरी तरह से समर्पित कर चुके हैं। उनके परिवार का भी मायावती और बसपा के प्रति एक मजबूत समर्थन है। सतीश चंद्र मिश्रा की बेटियों ने भी खुद को मायावती के आदर्शों से प्रेरित बताते हुए कहा है कि मायावती उनके लिए एक आदर्श और प्रेरणा का स्रोत हैं। सतीश चंद्र मिश्रा का परिवार भी बसपा के सिद्धांतों और मायावती की विचारधारा का समर्थन करता है।
बसपा के ब्राह्मण-दलित गठजोड़ का मुख्य स्तंभ
सतीश चंद्र मिश्रा की पहचान बसपा के ब्राह्मण-दलित गठजोड़ के मुख्य स्तंभ के रूप में की जाती है। वे न केवल एक कुशल वकील हैं बल्कि एक काबिल रणनीतिकार भी हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा की पहचान को मजबूत करने और ब्राह्मणों को पार्टी से जोड़ने में उनका विशेष योगदान है। ब्राह्मणों को अपने पक्ष में लाने के लिए बसपा ने सतीश चंद्र मिश्रा की प्रतिष्ठा का पूरा लाभ उठाया है। यूपी में ब्राह्मण वोटर्स की संख्या करीब 12 प्रतिशत है, जो चुनावों में अहम भूमिका निभाते हैं। मिश्रा ने ब्राह्मण समाज को यह संदेश दिया है कि बसपा में उनका समान और सम्मानित स्थान है, और उनके इस प्रयास ने बसपा की चुनावी ताकत को बढ़ावा दिया है। मायावती के नेतृत्व में बसपा का ‘सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय’ का नारा पूरी तरह से सतीश चंद्र मिश्रा के प्रयासों से ही संभव हुआ है।
यूपी उपचुनाव में वापसी और मायावती का संदेश
इस बार, यूपी की नौ सीटों पर हो रहे उपचुनाव में मायावती ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची में सतीश चंद्र मिश्रा को दूसरे स्थान पर रखा है, जो इस बात का संकेत है कि मायावती 2007 के मॉडल को फिर से दोहराना चाहती हैं। उन्होंने सतीश चंद्र मिश्रा को आकाश आनंद से पहले स्थान दिया है, जो पार्टी में ब्राह्मणों के सम्मान का प्रतीक माना जा सकता है। चुनावी विशेषज्ञों का मानना है कि मायावती के इस फैसले का उद्देश्य यूपी के ब्राह्मण वोटरों के बीच अपनी पार्टी की पकड़ को मजबूत करना है, और इसके लिए मिश्रा की प्रतिष्ठा और प्रभाव का लाभ उठाया जा रहा है। ब्राह्मण समुदाय को यह संदेश दिया जा रहा है कि बसपा में उनका महत्व पहले की तरह ही है, और वे बसपा के महत्वपूर्ण स्तंभ बने रहेंगे।
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मायावती के ‘चाणक्य’ की भूमिका और भविष्य की राजनीति
मायावती के लिए सतीश चंद्र मिश्रा न केवल एक रणनीतिकार हैं, बल्कि वह उनके विचारों और विश्वास का भी प्रतीक हैं। मिश्रा को मायावती के लिए वही महत्व प्राप्त है जो राजनीति में चाणक्य का था। मायावती का सतीश चंद्र मिश्रा पर विश्वास इतना गहरा है कि वे उन्हें अपने सभी महत्वपूर्ण निर्णयों में शामिल करती हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि मिश्रा मायावती के राजनीतिक परिवार का एक अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। यूपी की राजनीति में चाहे बसपा का प्रभाव कम हो गया हो, लेकिन मायावती का मिश्रा पर विश्वास आज भी कायम है।
मायावती के इन फैसलों के पीछे एक बड़ी रणनीति है, जो बसपा के लिए एक नए युग का संकेत दे रही है। बसपा अपनी खोई जमीन को वापस पाने के लिए मिश्रा की रणनीतिक समझ का लाभ उठा रही है और आगामी चुनावों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। सतीश चंद्र मिश्रा के परिवार ने भी हमेशा मायावती के प्रति अपनी वफादारी और समर्थन जताया है, जो कि मिश्रा और मायावती के बीच के गहरे संबंधों को दर्शाता है। इस बात में कोई शक नहीं कि सतीश चंद्र मिश्रा का मायावती के लिए समर्पण और उनकी भूमिका ने उन्हें भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में स्थापित कर दिया है।
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