“आखिर क्यों भाजपा को दलित-आदिवासियों से परेशानी?”: सीएम सोरेन का सोशल मीडिया पर सवाल

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झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भाजपा पर दलित और आदिवासी अधिकारियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। IAS मंजूनाथ भजंत्री और आदिवासी IPS अधिकारी के उत्पीड़न का ज़िक्र करते हुए, उन्होंने भाजपा की नीतियों को इन समुदायों के प्रति असंवेदनशील बताया और सवाल किया कि आखिर भाजपा को दलित-आदिवासियों से परेशानी क्यों है।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में दलित और आदिवासी अधिकारियों के साथ हो रहे भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। हाल ही में चुनाव आयोग के निर्देश पर एक दलित IAS अधिकारी मंजूनाथ भजंत्री को उनके पद से हटाए जाने और देवघर के आदिवासी IPS अधिकारी को बार-बार परेशान किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने भाजपा पर दलित और आदिवासी समाज के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाने का आरोप लगाया है और पूछा कि आखिर भाजपा को दलितों और आदिवासियों से इतनी परेशानी क्यों है?

सामाजिक न्याय के संघर्ष में बाधा: भाजपा की नीतियों पर उठाए सवाल

सीएम सोरेन का आरोप है कि भाजपा सत्ता में रहते हुए दलित और आदिवासी अधिकारियों को निशाना बना रही है और उन्हें लगातार दबाव में रख रही है। उनके अनुसार, भाजपा की नीति सामाजिक न्याय की अवधारणा के खिलाफ है। दलित और आदिवासी समुदाय को आगे बढ़ाने के बजाय उन्हें रोकने का प्रयास हो रहा है। सीएम ने कहा कि यह घटनाएं दिखाती हैं कि कैसे भाजपा प्रशासन में उन अधिकारियों को परेशान कर रही है, जो वंचित वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के कृत्य केवल अधिकारियों के प्रति भेदभाव ही नहीं बल्कि पूरे दलित और आदिवासी समुदाय के प्रति असंवेदनशीलता का प्रतीक हैं।

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दलित और आदिवासी अधिकारों की अनदेखी: भाजपा का रवैया सवालों के घेरे में

सीएम हेमंत सोरेन का कहना है कि भाजपा के शासन में दलित और आदिवासी अधिकारियों को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा अपने राजनीतिक लाभ के लिए इन समुदायों के अधिकारों और संवैधानिक सुरक्षा की अनदेखी कर रही है। दलित और आदिवासी अधिकारी जो न केवल प्रशासनिक पदों पर हैं बल्कि अपने समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्हें हटाया जा रहा है या फिर उन पर अनुचित दबाव बनाया जा रहा है। सीएम ने यह भी कहा कि इस प्रकार का पक्षपातपूर्ण रवैया पूरे समाज में एक गलत संदेश दे रहा है और यह झारखंड जैसे राज्य के लिए उचित नहीं है, जहां आदिवासी और दलित समाज की मजबूत उपस्थिति है।

 

सोशल मीडिया पर सवाल: भाजपा को आखिर क्यों है दलित-आदिवासी अधिकारियों से परेशानी?

सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में मुख्यमंत्री सोरेन ने लिखा कि एक दलित IAS अधिकारी को हटाया गया और अब एक आदिवासी IPS अधिकारी को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि भाजपा को दलितों और आदिवासियों से आखिर इतनी परेशानी क्यों है? उनके अनुसार, यह केवल एक अफसर के पद से हटाए जाने का मामला नहीं है, बल्कि यह सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के अधिकारों को दबाने की कोशिश का एक हिस्सा है। सीएम ने इस मुद्दे पर जनता का ध्यान खींचते हुए कहा कि इस तरह के कदम समाज में गलत संदेश देते हैं और यह हमारे संविधान की भावना के खिलाफ है।

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न्याय और समानता की मांग: भाजपा से सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की अपील

सीएम सोरेन ने भाजपा से अपील की है कि वह अपनी राजनीतिक रणनीतियों में बदलाव लाए और दलित-आदिवासी समाज के प्रति समान और निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाए। उन्होंने कहा कि दलित और आदिवासी समाज के विकास के लिए उनकी भागीदारी और सम्मान आवश्यक है, और इसे रोकना एक असंवैधानिक कदम है। सोरेन ने जनता से भी अपील की कि वे इस मुद्दे पर जागरूक रहें और दलित-आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा में आगे आएं।

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