क्या डेढ़ महीने में क्या आकाश आनंद इतने परिपक्व हो गए हैं कि बहनजी को अचानक अपना फैसला वापस लेना पड़ा ?
लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने यह फैसला लिया है कि सभी राज्यों में होने वाले उपचुनावों में बसपा पूरे दम खम के साथ लड़ेगी। इसे लेकर 23 जून को लखनऊ में बीएसपी की समीक्षा बैठक भी हुई थी और अब 25 जून को यानी आज बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को आड़े हाथ लिया। बहन जी ने INDIA और NDA दोनों में मिली भगत होने का आरोप लगाया है।
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उन्होंने कहा, सत्ता पक्ष और विपक्ष अंदर खाने मिले हुए है। यह दोनों ही आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं। यह दोनों बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा लिखित संविधान को बचाने का ढोंग करते है। वह आगे कहती हैं सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही नही चाहते कि देश भर में जातीय जनगणना हो। विपक्ष चुनावों में यह मुद्दा ज़रूर उठाती है लेकिन जितनी गंभीरता से जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया जाना चाहिए विपक्ष उतनी मजबूती से इसे उठाते हुए नहीं दिखती।
बताते चले कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने यह प्रेस कॉन्फ्रेंस देश भर के राज्यों में होने वाले उप चुनावों को लेकर की थी। इससे पहले समीक्षा बैठक में भी बहनजी इस मुद्दे पर बात कर चुकी है। उप चुनावो से पहले बहनजी ने कुछ बड़े फैसले लिए है जिनमे सबसे पहले उन्होंने आकाश आनंद को पार्टी में उनके पद पर वापस बहाल किया। साथ ही अपने एकमात्र राजनीति उत्तराधिकारी के पद पर भी आकाश आनंद की वापसी की।
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इसी के साथ बड़ी खबर यह भी है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने उप चुनावों को लेकर आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी सौपीं है। जिसमें उत्तराखंड और यूपी के उपचुनावों में आकाश सीधे तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएंगे। मायावती के बाद आकाश आनंद का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में दूसरे नम्बर पर सामने आया है। वहीं यूपी को लेकर बड़ी खबर यह भी है कि बीएसपी उप चुनाव में लखनऊ की सीट पर सबसे ज़्यादा ध्यान देने वाली है।
ध्यान देने वाली बात ये भी है कि लोकसभा चुनावों में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अचानक आकाश आनंद को उनके सभी पदों से बर्खास्त कर दिया था और कहा था कि आकाश को अभी परीपक्वता की ज़रूरत है हालांकि चुनावों में हार के बाद उन्होंने यह फैसला वापस ले लिया। आकाश आनंद को सभी पद वापस दे दिए गए हैं। कहा ये जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती की आकाश को पार्टी में वापस लाना मजबूरी है क्योंकि देश भर में बीएसपी का लगभग सफाया हो चुका है।
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वहीं दूसरी तरफ मीडिया में इस बात का जोर है कि क्योंकि नगीना से चुनाव जीतकर चंद्रशेखर आजाद लोकसभा पहुंच गए हैं इसलिए बहनजी को आकाश को लेकर यह फ़ैसला लेना पड़ा। वहीं सवाल ये भी उठाए जा रहे हैं कि एक से डेढ़ महीने में क्या आकाश आनंद इतने परिपक्व हो गए हैं कि बहनजी को अचानक अपना फैसला वापस लेना पड़ा। तो कहीं यह बात कही जा रही है कि चुनावी सभा के दौरान जब सीतापुर में आकाश ने बीजेपी की तुलना आतंकवादियो से कर दी थी और उन पर FIR दर्ज हो गयी थी। तो बहनजी ने आकाश को बचाने के लिए उन्हें सभी पदों से बर्खास्त कर दिया था।
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