क्या है सेंगोल से जुड़ा विवाद जिस पर अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी दे दिया बयान

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मायावती के इन ट्वीट्स ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों पर निशाना साधते हुए, राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी है। 

 

देश की राजनीति में सेंगोल का विवाद बढ़ता जा रहा है। बीते दिन राष्ट्रपति द्रौपदी न जब दोनों सदनों को साथ संबोधित किया था तो उस दौरान सेंगोल का प्रदर्शन किया गया था। साथ ही जब महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी संसद से निकाल रहीं थी तो उनके आगे आगे एक दरबान सेंगोल लेकर चल रहा था। जिस पर विपक्ष ने बाद में नयी मांग कर डाली। और समाजवादी पार्टी के बयानों पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।  

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क्या है सेंगोल विवाद :

बता दें कि सेंगोल क लेकर अब विवाद शुरू हो गया है। विपक्ष के नेता और समाजवादी पार्टी के नेता आर के चौधरी ने सेंगोल को राजतंत्र का प्रतीक बताया   और उसकी जगह संविधान को देने की बात कही है। जिसके संबंध में उन्होंने स्पीकर को एक पत्र भी लिखा। इसके बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “ सेंगाल के आगे प्रधानमंत्री ने शीश नवाए थे, लेकिन शपथ ग्रहण के दौरान नमन नहीं किया। चौधरी भी प्रधानमंत्री को इस बात की याद दिया रहें हैं। जिस पर भाजपा द्वारा कड़ी प्रतिक्रिया दी गयी। कहा गया की विपक्षी दल भारतीय और तमिल संस्कृति का सम्मान नहीं करते। अब इस पर बसपा सुप्रीमो मायावती का भी बयान सामने आया है।

 

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों पर निशाना साधते हुए, समाज के कमजोर और उपेक्षित वर्गों के हितों की अनदेखी का आरोप लगाया। साथ ही, राष्ट्रपति मुर्मू के अभिभाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए, उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों की कठोर आलोचना की।

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समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला

मायावती ने अपने ट्वीट्स के माध्यम से समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि संसद में सेंगोल को लगाना या न लगाना जैसे मुद्दों पर बोलने के बजाय, समाजवादी पार्टी को कमजोर और उपेक्षित वर्गों के हितों तथा आम जनहित के मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा अक्सर ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चुप रहती है और जब सत्ता में आती है, तो कमजोर वर्गों के खिलाफ फैसले लेती है। मायावती ने समाजवादी पार्टी के महापुरुषों की अपेक्षाओं को भी नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और जनता को इस पार्टी के सभी हथकंडों से सावधान रहने की सलाह दी।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नाराजगी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के बावजूद, मायावती ने उनके संसद के संयुक्त सत्र में दिए गए अभिभाषण पर नाराजगी जाहिर की। राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार की पिछले 10 वर्षों की उपलब्धियों का उल्लेख किया था। मायावती ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राष्ट्रपति जी ने जो बातें कहीं, वे जमीनी हकीकत से बहुत दूर हैं और अधिकतर बातें हवा-हवाई हैं। उन्होंने विपक्ष का धर्म निभाते हुए सरकार की कार्य नीति की आलोचना की और राष्ट्रपति को सरकार की असलियत से अवगत करवाने का प्रयास किया।

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केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखी आलोचना

मायावती ने केंद्र सरकार की नीतियों और भविष्य के रोडमैप पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश में बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लेकर कतई गंभीर नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कमजोर वर्गों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है और उनके लिए अगले पांच वर्षों का रोडमैप भी ठोस नजर नहीं आ रहा है। मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियां केवल कागजों पर ही अच्छी दिखती हैं, जबकि वास्तविकता में स्थिति बेहद खराब है।

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कमजोर वर्गों के हितों की अनदेखी

मायावती ने अपने ट्वीट्स के माध्यम से यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार कमजोर और उपेक्षित वर्गों के हितों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा कि समाज के इन वर्गों की समस्याओं को सुलझाने के लिए सरकार के पास कोई ठोस योजना नहीं है। मायावती ने कहा कि जब तक सरकार इन वर्गों के लिए ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक देश की प्रगति अधूरी रहेगी। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह इन वर्गों के हितों की रक्षा के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए।

 

 

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