तमिलनाडु से गौरवान्वित करने वाली खबर सामने आई है। दरअसल तमिलाडु के आदिवासी समुदाय से आने वाली महिला वी श्रीपति का सिविल जज पद पर चयन हुआ है। जानकारी के मुताबिक वी श्रीपति अपने राज्य की पहली महिला आदिवासी हैं। उनकी कामयाबी ने महिला सशक्तीकरण की एक नई मिसाल कायम की है। आज वह उन सभी महिलाओँ के लिए प्रेरणा स्रोत हैं जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं और जीवन की समस्याओं का सामना करते हुए आगे बढ़ती हैं।
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परीक्षा के दिनों में वह गर्भवती :
जानकारी के मुताबिक वी श्रीपति तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले में जवाधु पहाड़ियों के पास पुलियूर गांव की रहने वाली हैं। वी श्रीपति ने नवंबर 2023 में परीक्षा देने के लिए लगभग 200 किलोमीटर की यात्रा करके चेन्नई पहुंची थीं। परीक्षा के दिनों में वह गर्भवती थीं और जिस दिन उनकी परीक्षा थीं उसी दिन उनकी डिलीवरी की तारीख थी। परीक्षा के दो दिन पहले ही उन्होंने बच्चे को जन्म दिया था। रिश्तेदारों और दोस्तों की सहायता से बच्चे को जन्म देने के दो दिन बाद वह कार से 200 किलोमीटर की यात्रा करके चेन्नई पहुंची और सिविल जज की परीक्षा दीं थीं।
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पति और माता का सहयोग मिला :
आपकों बता दें कि वी श्रीपति मलयाली जनजाति से संबंध रखती हैं। इन्होंने बीए और बैचलर आफ लॉ करने से पहले येलागिरी हिल्स में शिक्षा हासिल की थीं। फिर कम उम्र में उनकी शादी कर दी गई थीं। जानकारी के मुताबिक वी श्रीपति ने अपने पति और माता जी के सहयोग से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की थीं। तमिलनाडु लोकसेवा आयोग के लिए आवेदन किया और अपने परिश्रम से सफ़लता हासिल की।
श्रीपति की सफ़लता करारा जवाब :
लल्लनटॉप की रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोशल मीडिया पर वी श्रीपति के लिए लिखा है कि “तिरुवन्नामलाई जिले के जव्वादुमलाई के पास के पुलियूर गांव की श्रीमती श्रीपति ने 23 साल की उम्र में लॉ जज का एग्जाम पास किया है। मुझे यह देखकर खुशी हुई कि इतनी कम उम्र में पहाड़ी गांव की एक आदिवासी लड़की ने यह उपलब्धि हासिल की है। मुझे यह जानकर गर्व है कि श्रीपति को जज के रूप में चुना गया है और यह हमारी सरकार के #DravidianModel मॉडल के माध्यम से हुआ है जिसमें सरकार तमिल में शिक्षित (तमिल मीडियम) लोगों के लिए सरकारी नौकरियां प्राथमिकता से लेकर आई है। उनकी सफलता में सहयोग देने के लिए उनकी मां और पति को धन्यवाद!” “जो लोग तमिलनाडु आकर सामाजिक न्याय जिक्र करने से भी कतराते हैं, उन सब के लिए श्रीपति जैसे लोगों की सफलता एक करारा जवाब है.”
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