चुनाव के समय दलितों और पिछड़ों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए राजनीतिक दल विभिन्न योजनाओं और रणनीतियों को अपनाने में जुटे हैं। यूपी में, अब RSS संघ BJP की चुनावी लड़ाई में दलितों और पिछड़ों को मनाने के लिए गांव-गांव जाएगा ।
UP News: उत्तर प्रदेश में आरएसएस संघ अब भाजपा की चुनावी लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। संघ ने निर्णय लिया है कि वह दलितों और पिछड़ों को मनाने के लिए गांव-गांव का दौरा करेगा और उनके बीच भाजपा के समर्थन को बढ़ाने की कोशिश करेगा। इस दौरान, संघ इंडी (इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी) गठबंधन को संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर घेरने की रणनीति अपनाएगा।
संघ का उद्देश्य है :
संघ का उद्देश्य है कि वह ग्रामीण इलाकों में जाकर भाजपा की नीतियों और उपलब्धियों को सामने लाए और यह स्पष्ट करे कि भाजपा का संविधान और आरक्षण पर कोई खतरा नहीं है। संघ इंडी गठबंधन द्वारा फैलाए गए डर को दूर करने का प्रयास करेगा कि अगर भाजपा को बहुमत मिला, तो आरक्षण समाप्त हो जाएगा और संविधान में बदलाव होगा। संघ के कार्यक्रमों का लक्ष्य दलितों और पिछड़ों को यह विश्वास दिलाना होगा कि भाजपा उनके अधिकारों की रक्षा करेगी और पिछले राजनीतिक आरोपों का जवाब देगी।
इस रणनीति के तहत, संघ न केवल संविधान और आरक्षण के मुद्दों पर भाजपा की स्थिति को स्पष्ट करेगा, बल्कि विपक्ष के खिलाफ राष्ट्रवाद और सरकार की उपलब्धियों का भी प्रचार करेगा। इस तरह, संघ भाजपा की चुनावी लड़ाई को मजबूती प्रदान करने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतर रहा है।
पहले Rss और BJP के बीच खटास थी
पहले आरएसएस और भाजपा के बीच संबंधों में खटास थी, जो लोकसभा चुनावों में भाजपा की कमजोर स्थिति का एक कारण भी मानी जाती है। लेकिन अब संघ ने स्थिति में सुधार किया है और उत्तर प्रदेश में आरक्षण और संविधान के मुद्दे पर अपनी सक्रिय भूमिका निभाने का निर्णय लिया है।
संघ ने इन मुद्दों पर स्पष्टता लाने के लिए गांव-गांव कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य दलितों और पिछड़ों को यह विश्वास दिलाना है कि भाजपा के खिलाफ उठाए गए आरोप निराधार हैं और उनकी अधिकारों की रक्षा की जाएगी। संघ यह दिखाना चाहता है कि भाजपा संविधान में किसी प्रकार का बदलाव नहीं करेगी और आरक्षण के अधिकारों में कोई कटौती नहीं की जाएगी।
इस प्रयास के तहत, संघ ग्रामीण इलाकों में व्यापक प्रचार अभियान चलाएगा, ताकि भाजपा के प्रति सकारात्मक संदेश फैलाया जा सके और विपक्ष द्वारा फैलाए गए डर को समाप्त किया जा सके। इस तरह, संघ भाजपा की स्थिति को मजबूत करने और आगामी चुनावों में प्रभावी भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है
क्या संघ कामयाब होगा ?
संघ और भाजपा को चिंता है कि उत्तर प्रदेश में दलितों और पिछड़ों के बीच आरक्षण और संविधान के मुद्दे पर असंतोष अभी भी मौजूद है, जो आगामी उपचुनावों और विधानसभा चुनावों में नुकसान कर सकता है। इस परिदृश्य को देखते हुए, संघ ने दलितों और पिछड़ों के बीच राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी ली है और विपक्ष के एजेंडे को खारिज करने की रणनीति अपनाई है। लोकसभा चुनाव में संघ की नाराजगी ने भाजपा की कमजोर स्थिति को उजागर किया था, लेकिन अब संघ की सक्रियता से प्रतीत होता है कि उनकी नाराजगी दूर हो गई है और यह भाजपा के लिए सकारात्मक संकेत है।
प्रमुख सुनील आंबेकर लखनऊ में होंगे
आरएसएस के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख सुनील आंबेकर 13 से 15 सितंबर तक लखनऊ में होंगे। वे भारती भवन में संघ के अवध प्रांत और पूर्वी क्षेत्र के पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और विश्व संवाद केंद्र में प्रचार विभाग की बैठक लेंगे, जिसमें मीडिया और सोशल मीडिया से जुड़े लोगों को संघ से जोड़ने और ग्रामीण इलाकों में काम फैलाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
संघ ने तीन प्रमुख मुद्दों पर काम करने की रणनीति बनाई है:
सामाजिक समरसता: संघ शहरी और ग्रामीण इलाकों में दलित और पिछड़ी बस्तियों में समरसता भोज और अन्य कार्यक्रम आयोजित करेगा, ताकि भाजपा के प्रति विश्वास बढ़े और संविधान में बदलाव के दावों का खंडन हो सके।
आरक्षण का मुद्दा: संघ आरक्षण के समर्थन में प्रचार करेगा, यह स्पष्ट करते हुए कि वे इसके विरोधी नहीं हैं और हाल की बैठक में इसे मंजूरी दी गई थी।
जातीय जनगणना: संघ जातीय जनगणना के महत्व को उजागर करेगा, यह बताते हुए कि यह देश की एकता और अखंडता के लिए आवश्यक है और विपक्ष के हाथ से इस मुद्दे को छीनने का प्रयास करेगा।
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सुनीता एरन के अनुसार, लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें कम होने के बाद संघ को लगता है कि उनका एजेंडा सही तरीके से जनता तक नहीं पहुंचा। संघ के स्वयंसेवकों ने चुनाव में उतनी सक्रियता नहीं दिखाई, जितनी पहले दिखाते थे। इसीलिए, संघ ने निर्णय लिया है कि वे आरक्षण समाप्त करने, संविधान बदलने, और जातीय जनगणना जैसे मुद्दों को जनता के बीच ले जाकर स्थिति स्पष्ट करेंगे।
भाजपा की सोशल मीडिया पर कमजोर स्थिति
लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की सोशल मीडिया पर कमजोर स्थिति को देखते हुए संघ अब इस क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में इस कमी को उजागर किया था। संघ सोशल मीडिया की कमान संभालेगा, विपक्षी दलों के भ्रामक प्रचार का काउंटर करेगा, और भाजपा और संघ की उपलब्धियों को लगातार पोस्ट करेगा। शताब्दी वर्ष अक्टूबर में शारदीय नवरात्रि से शुरू होकर अगले नवरात्र तक चलेगा, जिसमें संघ प्रदेशभर में कई कार्यक्रम आयोजित करेगा। यह पहल आरक्षण, संविधान, और राष्ट्रवाद के मुद्दों पर जनता के बीच व्यापक प्रचार का हिस्सा होगी
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