“मन चंगा तो कठौती में गंगा” कहने वाले बनारस के महान संत रैदास ने आडंबर और जातिगत उत्पीड़न का जमकर विरोध किया था। आज उन्हीं संत शिरोमणी गुरू रविदास की जयंती है। देश भर में दलित समाज और विशेषकर रविदासिया समाज इस दिन को उतने ही हर्षों उल्लास के साथ मानाता है जैसे हिंदु धर्म में दिवाली और होली मनाई जाती है। लेकिन उत्तर प्रदेश की चर्चित यूनिवर्सिटी बनारस हिंदु विश्वविद्यालय में संत रविदास जयंती अलग ही ढंग से मनाई गई।
संत रविदास जी की 648 वीं जयंती के अवसर पर बीएचयू बहुजन (एससी, एसटी, छात्र कार्यक्रम आयोजन समिति और ओबीसी, एससी, एसटी,एमटी संघर्ष समिति) बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा मधुबन वाटिका, बीएचयू में चित्रकला और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजन किया गया। दोनों प्रतियोगिताओं में 100 से अधिक नामांकित प्रतिभागी थे। प्रतियोगिताओं का विषय “संत गुरु रविदास जी की शिक्षाएं और महान बहुजन नेताओं के जीवन संघर्ष ” निर्धारित किया गया था।
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कार्यक्रम का उद्घाटन आईएमएस बीएचयू के निर्देशक प्रोफेसर एसएन शंखवार ने किया और इसकी अध्यक्षता प्रतिष्ठित संकाय सदस्यों ने की जिनमें शामिल है प्रोफेसर बी राम(आयुर्वेद), प्रोफेसर एमपी अहिरवार (एआईएचसी ), प्रोफेसर लक्ष्मी गौतम (आयुर्वेद), डॉ. नज़र हुसैन(मेडिकल केमिस्ट्री) डॉ. रिंगजिन लामो (आयुर्वेदा) डॉ. रविशंकर खत्री (आयुर्वेद) डॉ. बिद्युत के. आर. पात्रा (सीएसई, आईआईटी बीएचयू), डॉ डॉयल हलदर (आईएमएस), डॉ. राजीव कुमार (गणित आईआईटी बीएचयू), प्रोफेसर एस के भारतीय (आई एम एस), लेखक श्रीराम अर्श तथा वाराणसी के DIG हृदेश सर भी उपस्थित होकर बच्चों की हौसला अफजाई किया एवं संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के समता,समानता,एकता और बंधुत्व के बात पर जोर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत बीएचयू के छात्र शशि, ज्ञानेंद्र, शैलेश, रविंद्र भारती ,सलोनी और प्रोमित द्वारा प्रस्तुत बुद्ध वंदना से हुई। इसके बाद प्रोफेसर एसएन शंखवार ने उद्घाटन भाषण दिया जिसमें कार्यक्रम के विषय के महत्व पर प्रकाश डाला गया प्रोफेसर शंखवार और उनके सम्मानित सहयोगियों द्वारा आयोजित रिबन-कटिंग समारोह ने प्रतियोगिताओं की आधिकारिक शुरुआत को चिन्हित किया।
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चित्रकला और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता दोपहर 12:00 शुरू हुई। इस कार्यक्रम ने संत गुरु रविदास जी की शिक्षाओं और बहुजन नेताओं के संघर्ष के बारे में जागरूकता को सफलतापूर्वक बढ़ावा दिया तथा विद्यार्थियों को इस महत्वपूर्ण सामाजिक और ऐतिहासिक विषयों पर चिंतन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम को दो भागों में बांटा गया था। पहला सत्र पूरी तरह से छात्रों द्वारा संचालित किया गया, जबकि दूसरा सत्र सम्मानित अतिथियों के भाषणों के लिए आरक्षित था, जिसके बाद पुरस्कार वितरण समारोह हुआ। संत रविदास की 648वीं जयंती के अवसर पर, बीएचयू बहुजन (एससी, एसटी छात्र कार्यक्रम आयोजन समिति और ओबीसी, एससी, एसटी, एमटी संघर्ष समिति) द्वारा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में एक सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम 12 फरवरी, 2025 को बीएचयू के के.एन. उडप्पा सभागार में हुआ। कार्यक्रम का विषय था आज के भारत में संत शिरोमणि गुरु रविदास जी की बेगमपुरा की अवधारणा।
जहाँ पेंटिंग प्रतियोगिताओं के विजेताओं को क्रमशः ₹2500, ₹1500, ₹1000 की राशि के साथ पदक और प्रमाण पत्र दिए गए। पेंटिंग प्रतियोगिताओं के पुरस्कार स्नेहा सिंह को मिले, जिन्होंने पहला स्थान हासिल किया, अंजलि गुप्ता, जिन्होंने दूसरा स्थान हासिल किया और आज़ाद राम ने इस कार्यक्रम में तीसरा स्थान प्राप्त किया।
प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा हर्षित कुमार के रूप में हुई, जिन्होंने पहला स्थान, यशवीर राज ने दूसरा स्थान और अंकित यादव ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
बीएचयू बहुजन छात्र संगठन ने कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रत्येक संकाय सदस्य को स्मृति चिन्ह भेंट किए।
कार्यक्रम का समापन डॉ. रवींद्र प्रकाश भारती द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद शाम को बीएचयू के एम्फीथिएटर ग्राउंड से श्री गुरु रविदास जी जन्मस्थान गुरुघर गोल्डन टेम्पल तक एक झांकी भी निकाली गई। बीएचयू के रेक्टर प्रो. संजय कुमार ने कार्यक्रम का अभिनंदन कर झांकी का उद्घाटन किया।
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