लेकिन अब अनुराग ने एक बार फिर कॉन्ट्रोवर्शियल बयान देकर अपना गुस्सा जाहिर किया. ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ नफरत जाहिर करते हुए उन्होंने बयान दिया है. अनुराग ने माफी मांग कर सफाई में अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि आप लोगों को मुझे जितना भी बोलना है बोलो, लेकिन परिवार को बख्श दों।
PHULE MOVIE CONTROVERSY: फुले फिल्म को लेकर विवाद लगातार गर्माता जा रहा है। वहीं जब से अनुराग कश्यप ने सेंसर बोर्ड और सरकार को आड़े हाथ लिया है तब से अनुराग कश्यप भी ब्राह्मणों के टारगेट पर आ गए हैं। हाल ही में अनुराग ने अपने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी और पोस्ट लिख कर फुले फिल्म के समर्थन में बयान दिया था। इस बयान में अनुराग ने सरकार, सेंसर बोर्ड और ब्राह्मण महासभा को जमकर सुनाया था। लेकिन अब अनुराग कश्यप ने एक और नया पोस्ट लिखकर माफी मांगी है। लेकिन इस बार भी उनके तेवर कम नहीं थे। अनुराग ने इस बार ब्राह्मणों के शास्त्रों और मनुस्मृति पर भी चोट कर दी। अनुराग कश्यप ने क्या कुछ कहा सब बताएंगे लेकिन उससे पहले “फुले” को लेकर विवाद क्या है वो जान लीजिए…
फुले पर विवाद क्यों ?
ज्योतिबा फुले के जीवन पर बनी फिल्म फुले दी मैन विद दी मिशन 11 अप्रैल को ज्योतिबा फुले की जयंती पर रिलीज होने वाली थी लेकिन ब्राह्मण महासभा के एतराज के बाद सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कुछ सीन पर अपनी कैंची चला दी। ब्राह्मण और सेंसर बोर्ड का कहना है कि यह फिल्म जातिवाद को बढ़ावा देने वाली फिल्म है। फिल्म को लेकर निर्देशक आनंद महादेवन और एक्टर प्रतीक गांधी का कहना है कि फिल्म में वहीं चीज़ दिखाई गई है जो सच्चाई है। जाति और लिंग आधारित भेदभाव हमारे देश की सच्चाई है।
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अनुराग के किस बयान पर विवाद :
इसी कड़ी में बॉलीवुड के जाने माने निर्देशक और एक्टर अनुराग कश्यप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट लिखकर सरकार और सेंसर बोर्ड से सवाल किया था। उन्होंने लिखा था कि ‘मेरी जिंदगी का पहला नाटक ज्योतिबा और सावित्री बाई फुले पर था. भाई अगर इस देश में जातिवाद नहीं होता, तो उन्हें क्या जरूरत थी लड़ने की. अब ये ब्राह्मण लोगों को शर्म आ रही है या वो शर्म में मरे जा रहे हैं या फिर ब्राह्मण एक अलग भारत में जी रहे हैं जो हम देख नहीं पा रहे हैं, बेवकूफ कौन है ये कोई तो समझाए. ‘मेरा सवाल ये है कि जब फिल्म सेंसर बोर्ड के पास जाती है तो वहां 4 सदस्य होते हैं. ग्रुप और विंग्स को कैसे फिल्में पहले देखने को मिल रही हैं? सिस्टम ही खराब है।
इतना ही नहीं उन्होंने आगे लिखा था कि ‘पंजाब 95, तीस, धड़क 2, फुले. मुझे नहीं पता और कितनी फिल्में हैं जिन्हें ब्लॉक किया गया, जो जातिवादियों, क्षेत्रवादियों, नस्ल भेदियों के एजेंडा को एक्सपोज करती हैं. ये शर्म की बात है कि लोग खुलकर बता भी नहीं रहे कि उन्हें फिल्म में किस चीज से दिक्कत है. कायर कहीं के.
अनुराग ने अपनी पोस्ट में लिखा, धड़क 2 की स्क्रीनिंग में सेंसर बोर्ड ने कहा था कि मोदी जी ने इंडिया में कास्ट सिस्टम खत्म कर दिया है। इसी बात को आधार मानकर संतोष जैसी आइकॉनिक फिल्म को भारत में रिलीज़ नहीं होने दिया। अब फुले से ब्राह्मणों को दिक्कत हो रही है। अनुराग ने आगे लिखा, अरे जब कास्ट सिस्टम ही नहीं है तो काहे के ब्राह्मण ? पहले आप लोग मिलकर डिसाइड कर लो कि इंडिया में कास्ट सिस्टम है या नहीं है ? क्योंकि मोदी जी के हिसाब से तो कास्ट सिस्टम नहीं है।
लेकिन अब अनुराग ने एक बार फिर कॉन्ट्रोवर्शियल बयान देकर अपना गुस्सा जाहिर किया. ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ नफरत जाहिर करते हुए उन्होंने बयान दिया है. अनुराग ने माफी मांग कर सफाई में अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि आप लोगों को मुझे जितना भी बोलना है बोलो, लेकिन परिवार को बख्श दों।
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मनुस्मृति पर क्या बोले अनुराग:
अनुराग ने ब्राह्मणों को शास्त्रों का पाठ पढ़ाते हुए लिखा, मैं माफी मांगता हूं. पर अपनी पोस्ट के लिए नहीं, बल्कि उस एक लाइन के लिए मांग रहा हूं, जिसको गलत तरह से लिया गया और नफरत फैलाई गई. कोई भी एक्शन या स्पीच आपकी बेटी, परिवार, दोस्त और जानने वालों से ज्यादा नहीं है. उन्हें रेप की धमकी मिल रही है. जान से मारने की धमकी दी जा रही है. जो खुद को संस्कारी कहते हैं, वो लोग ये सब कर रहे हैं. कही हुई बात वापस नहीं ली जा सकती और न ही लूंगा, मुझे जो गाली देनी है दो. लेकिन मेरे परिवार को बख्श दो. अगर मुझसे माफी ही चाहिए तो ये मेरी माफी है. ब्राह्मण लोग, औरतों को बख्श दो, इतना संस्कार तो शास्त्रों में भी है. हाँ सिर्फ मनुवाद में नहीं है. आप कौन से ब्राह्मण हो तय कर लो. बाकी मेरी तरफ से माफी…
बता दें कि महाराष्ट्र में ज्योतिबा फुले एक चर्चित नाम हैं। मराठी में उनपर कई फिल्म और नाटक बने हैं। लेकिन फुले फिल्म ज्योतिबा फुले के जीवन और संघर्ष पर हिंदी में बनी पहली फिल्म हैं। वहीं दलित, बहुजनों और अंबेडकर वादियों का कहना है कि फुले फिल्म में भले ही कुछ सीन कट किए जा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी महात्मा ज्योतिबा फुले को घर घर में जाना जाएगा ठीक वैसे ही जैसे आज अंबेडकर हैं।
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ये डायलॉग हटाए गए :
दी प्रिंट के मुताबिक पेंसिलवेनिया में PHD स्कॉलर तेजस हरद का कहना है कि, “हमारे लोग इस फिल्म को लेकर उत्साहित हैं क्योंकि यह पहली बार है जब फुले पर हिंदी में कोई फिल्म बनाई गई है। जाति-विरोधी आंदोलन या हाशिए पर पड़े समुदायों से जुड़े बड़े लोगों को अकादमिक जगत में बहुत कम तवज्जो मिलती है। और कोई भी उन पर बायोपिक नहीं बनाता है” हालांकि फिल्म के निर्देशक और निर्माता आनंद महादेवन ने कहा है कि “हमने फिल्म से कोई दृश्य नहीं काटा है, लेकिन हमने वे शब्द हटा दिए हैं जिन्हें बदलने का हमसे अनुरोध किया गया था।”
आइए अब आखिर में इस पर भी बात कर लेते हैं कि फुले फिल्म से कौन कौन से डायलॉग और शब्द हटाने के लिए कहा गया है। फिल्म से ‘महार’, ‘मांग’, ‘पेशवाई’ और ‘जाति की मनु व्यवस्था’ जैसे शब्दों को हटाया गया है। वहीं जहाँ शूद्रों को…झाड़ू बाँधकर चलना चाहिए” डायलॉग को बदलकर “क्या यही हमारी नियती है कि हमें सबसे दूरी बनाकर रखनी चाहिए” कर दिया गया है। “3,000 साल पुरानी…गुलामी” डायलॉग को हटाकर “कई साल पुरानी है गुलामी“ कर दिया गया है। इस सबके बाद 25 अप्रैल को देशभर के सिनेमा घरों में संशोधित करके फिल्म को रिलीज किया जाएगा।