Phule : the man with the mission: महात्मा ज्योतिबा फुले के जीवन पर आधारित फिल्म, “फुले दी मैन विद दी मिशन” जो कि 11 अप्रैल 2025 को सिनेमा घरों में रिलीज होने वाली थी वो अब रीलीज़ नहीं होगी। इस फिल्म को अब 25 अप्रैल 2025 को रिलीज किया जाएगा। क्योंकि इस फिल्म पर महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण संगठन ने आपत्ति जताई है और कहा कि यह फिल्म जातिवाद को बढ़ावा देती है। इसलिए इस फिल्म में से उन सीन और डायलॉग को हटा दिया जाए जो यह दिखाते हैं कि किस तरह से तथाकथित ऊंची जाति वालों ने फुले दंपत्ति पर जुल्म और ज्यादती की थी जब वह समाज में जागरूकता लाने का काम कर रहे थे।
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फुले का ट्रेलर आने के बाद से ही ब्राह्मणवाद और मनुवादी विचारधारा के लोगों ने इस फिल्म पर आपत्ति दर्ज की थी। हालांकि फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद अंबेडकरवादी और बहुजन समाज के लोग फिल्म देखने के लिए काफी उत्साहित थे। लेकिन केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी CBFC ने अपनी जातिवादी सोच को आगे रखते हुए ब्राह्मण संगठन की आपत्ति पर अपनी सहमति दर्ज की है और फिल्म के निर्देशक को फिल्म से जाति संबंधी कई शब्द हटाने का निर्देश दिया है। जिसमें ‘महार’, ‘मांग’, ‘पेशवाई’ और ‘मनु की जाति व्यवस्था’ जैसे शब्दों को हटाने की बात कही गयी है। इसके अलावा फिल्म के जिस सीन पर सबसे ज्यादा विवाद है वो सीन है जब सावित्रीबाई फुले पर एक ब्राह्मण बच्चा कीचड़ फेंकता है।
CBFC के फैसले से नाराज़ लोगों ने सोशल मीडिया पर कहा कि अब सत्य और तथ्य के लिए फिल्म जगत में स्पेस नहीं बचा है। लेकिन प्रोपेगैंडा वाली फिल्मों को खुद सरकार प्रमोट करती है। लोग लगातार ये सवाल कर रहें हैं कि फुले फिल्म में आखिर ऐसा क्या गलत दिखाया गया है जिसकी वजह से CBFC ने यह फैसला लिया है।
फुले फिल्म में वो सत्य है जो हमारे इतिहास में कहा गया है। जो सरकारी चैनलों पर मराठी डेली सोप में दिखाया जाता रहा है। तो अब जब उस सच पर और इतिहास पर फिल्म बन रही है तो फिल्म की आत्मा को ही फिल्म से अलग क्यों किया जा रहा है ?
इसी बीच फिल्म के निर्देशक अनंत महादेवन ने न्यूज 18 को दिए हालिया इंटरव्यू में कहा, ‘लोगों ने ट्रेलर देखकर फिल्म को जज किया है, जो सही तरीका बिल्कुल नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि ‘फुले की कहानी समाज की कुरीतियों पर चोट करती है, जो दिखाती है कि आज के समय में भी कई छोटे शहरों में जाति के आधार पर भेदभाव किया जाता है।’
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वहीं फिल्म पर लगातार चल रहे विवाद पर फुले की भूमिका निभाने वाले प्रतीक गांधी ने कहा , “’आज के समय में सबसे बड़ी चुनौती है कि लोग किसी भी बात पर नाराज हो सकते हैं। सोशल मीडिया के जमाने में हर किसी के पास कुछ भी कहने की ताकत है और कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल भी करते हैं। ऐसी स्थिति में फिल्म से जुड़े लोगों को डरने की जगह आत्मविश्वास से काम लेना चाहिए।”
बताते चलें कि फुले पहली फिल्म नहीं जिस पर आपत्ति दर्ज की गई हो। इससे पहले संतोष नाम की फिल्म को भी CBFC ने भारत में रीलीज़ होने से रोक दिया। कारण यही की फिल्म में जातिवाद के सीन दिखाए गए हैं। हालांकि इस फिल्म को विदेशों में ऑस्कर के लिए भेजा गया है। सवाल फिर से वहीं है कि आखिर क्यों बहुजन समाज के इतिहास पर बनने वाली फिल्मों का विरोध क्यों किया जा रहा ?