मुस्लिम बहुल सीट पर मायावती ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर बड़ा सियासी दांव चल दिया है। मायावती ने इस सीट पर समाजवादी पार्टी से आये जहीर मालिक को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है।
कैराना लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली शामली जिले की थानाभवन विधानसभा सीट कई बार हॉट सीट रह चुकी है। 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर यह विधानसभा हॉट सीट है।
पिछली दो बार से इस सीट पर भाजपा के सुरेश राणा जीतते आये है। भाजपा ने सुरेश राणा पर एक बार फिर भरोसा जताते हुए उन्हें फिर इस विधानसभा सीट से भाजपा का उम्मीदवार बनाया है।
2012 में सुरेश राणा ने रालोद के अशरफ अली खान को मात्र 265 वोटों से शिकस्त देकर पहली बार जित दर्ज की थी. इसके बाद हुए मुजफ्फरनगर दंगें में विधायक सुरेश राणा का नाम भी आया था. जिन्हें आरोपी भी बनाया गया था, लेकिन 2017 में हुए चुनाव में उन्हें जनता का समर्थन मिला और वह बसपा के अब्दुल वारिश खान से 16 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीतने में सफल रहे. इसके बाद जब बीजेपी की सरकार बनी तो वह आरोप मुक्त होने के साथ ही कैबिनेट मंत्री बनाए गए.
इस चुनाव में उन्हें 90995 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे बसपा उम्मीदवार अब्दुल वारिस को 74178 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर रहे रालोद उम्मीदवार जावेद राव को 31275 वोट चौथे नंबर पर रहे समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधीर कुमार को 13480 वोट मिले थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में थाना भवन सीट पर भाजपा का वोट प्रतिशत 42.79 था. दूसरे नंबर पर रही बसपा का वोट प्रतिशत 34.88, रालोद का 14.71 प्रतिशत, समाजवादी पार्टी का 6.34 प्रतिशत वोट शेयर था.
मुस्लिम बहुल सीट पर मायावती ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर बड़ा सियासी दांव चल दिया है। मायावती ने इस सीट पर समाजवादी पार्टी से आये जहीर मालिक को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। जबकि सपा-रालोद ने अशरफ अली व कांग्रेस ने सत्यम सैनी को अपना प्रत्याशी बनाया है।
थानाभवन में लगभग सवा 3 लाख मतदाता हैं. जिसमें अनुमानित तौर पर सबसे ज्यादा 93,000 मुस्लिम मतदाता हैं. वहीं 42,000 जाट है. जबकि 60,000 दलित, 20,000 ठाकुर, 14,000 ब्राम्हण, 11,000 कश्यप और 21,000 सैनी मतदाता हैं. अगर जाट मतदाताओंं ने रालोद पर फिर भरोसा जताया तो रालोद-सपा गठबंधन को इस सीट पर फायदा हो सकता है. हालांकि बसपा की तरफ से मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिए जाने के बाद मुकाबले के त्रिकोणीय होने के आसार के साथ ही बसपा मजबूत स्थिति में भी पहुंच गयी है।
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