सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण वर्गीकरण फैसले ने दलित समाज को बांट दिया! विरोध में भारत बंद तो समर्थन में निकलेगी आज रैली

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सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण वर्गीकरण के फैसले ने एससी-एसटी वर्ग में गहरी नाराजगी पैदा की, जहां एक देशभर में विरोध प्रदर्शन और भारत बंद देखने को मिले। वही दूसरी तरफ राजस्थान का वाल्मीकि समाज सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का समर्थन कर रहा हैं । आज कैसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दलित समाज को बांट दिया है ।

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने की अनुमति देने के फैसले ने व्यापक बहस को जन्म दिया है। इस फैसले पर विभिन्न संगठनों और समुदायों की प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं, जहां एक तरफ आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति द्वारा भारत बंद का आह्वान किया गया था। वही दूसरी तरफ राजस्थान का वाल्मीकि समाज सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का समर्थन कर रहा हैं ।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन

वाल्मीकि समाज के विभिन्न संगठनों और प्रबुद्ध नागरिकों की एक बैठक सफाई कर्मचारी यूनियन के कार्यालय में आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ नेता श्याम धारीवाल ने की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक के दौरान, इसे वंचित दलित समाज के हित में मानते हुए इस फैसले के प्रति समर्थन व्यक्त किया गया।

77 वर्षों के बाद भी वंचित दलित समाज अधिकारों से वंचित

बैठक के दौरान आदि धर्म समाज के प्रचारक विजय द्राविड़ और अशोक सुमाली ने अपनी गहरी चिंताओं को साझा किया। उन्होंने कहा कि आजादी के 77 वर्षों के बाद भी वंचित दलित समाज अपने अधिकारों से वंचित रहा है और समाज की मुख्यधारा से लगातार पिछड़ता जा रहा है। उनका मानना था कि आरक्षण का वास्तविक लाभ इस समाज तक नहीं पहुंच पाया है, जिसके कारण यह समाज शिक्षा, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में अपेक्षित प्रगति नहीं कर सका है। उन्होंने इन गंभीर मुद्दों को उठाते हुए, समाज की स्थिति सुधारने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

नगरपरिषद प्रांगण से कलेक्ट्रेट तक रैली निकाली जाएगी

इस बैठक के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण वर्गीकरण के फैसले के समर्थन में गुरुवार को दोपहर 3 बजे नगरपरिषद प्रांगण से कलेक्ट्रेट तक एक रैली निकाली जाएगी। रैली का आयोजन समाज के विभिन्न संगठनों और नागरिकों की भागीदारी से किया जाएगा, और इसका उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सार्वजनिक रूप से समर्थन देना है।

नारेबाजी और बैनर प्रदर्शित करेंगे

रैली के दौरान, प्रदर्शनकारी नगरपरिषद प्रांगण से कलेक्ट्रेट तक मार्च करेंगे, और इस दौरान वे फैसले की महत्वपूर्णता को दर्शाते हुए नारेबाजी करेंगे और बैनर प्रदर्शित करेंगे। रैली का मार्ग स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट किया जाएगा और सभी आवश्यक सुरक्षा उपाय किए जाएंगे ताकि आयोजन सुचारू रूप से संपन्न हो सके।

जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा

रैली के समापन पर, एक सभा का आयोजन किया जाएगा जिसमें इस फैसले के सामाजिक और कानूनी पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। सभा में समुदाय के नेताओं, वरिष्ठ नागरिकों और अन्य सहभागियों को आमंत्रित किया जाएगा। अंत में, जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा जाएगा। ज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को शीघ्र लागू करने की मांग की जाएगी और वंचित दलित समाज के अधिकारों की रक्षा की अपील की जाएगी।

21 अगस्त को भी भारत बंद किया गया था

21 अगस्त को भी भारत बंद का आह्वान सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण वर्गीकरण के फैसले के विरोध में किया गया था। यह बंद मुख्य रूप से दलित समाज द्वारा आयोजित किया गया था, जिनका आरोप था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके अधिकारों और सामाजिक न्याय को कमजोर करता है।

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कोर्ट के फैसले पर दलित समाज को बांटने का आरोप लगा

वर्गीकरण का प्रभाव: सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के लाभ को विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत कर दिया, जिससे दलित समाज के भीतर भेदभाव और अंतर्विरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई। इससे विभिन्न उप-समूहों के बीच आरक्षण की हिस्सेदारी में असमानता का डर बढ़ गया।

असंतोष और असमानता: फैसले के परिणामस्वरूप कुछ वर्गों को आरक्षण का कम लाभ मिलने लगा और इसने दलित समाज के भीतर असंतोष और विभाजन को जन्म दिया। यह विभाजन कुछ लोगों को आरक्षण के लाभ से वंचित महसूस करवा रहा है, जिससे सामूहिक एकता प्रभावित हुई है।

सामाजिक न्याय पर प्रभाव: दलित समाज के कई हिस्सों ने महसूस किया कि इस फैसले से उनके सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं। फैसले के अनुसार आरक्षण के लाभ को विभिन्न स्तरों पर सीमित करने का प्रयास किया गया, जिससे समाज के वंचित हिस्से को और भी अधिक हाशिए पर डालने का आरोप लगाया गया।

इस बंद ने दलित समाज की निराशा और आपत्ति को उजागर किया और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होने का संकेत दिया।

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