समाजावादी पार्टी के नेता सुनील सिंह यादव ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सबसे बड़ा जातिवादी संगठन बताया है। उन्होंने कहा है कि अगर जातिवाद देखना ही है तो RSS पहले खुद के अंदर झांके। आरएसएस को बने 90 साल हो चुकें हैं लेकिन इन 90 सालों में एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि आरएसएस का प्रमुख कोई पिछड़ा या दलित बना हो। पिछड़ों और दलितों को आरएसएस जातिवादी नज़रों से देखता है। इनकी “दलित और पिछड़े कैसे हमारे बगल में खड़े हो सकते हैं” वाली तकलीफ को हम समझ सकते हैं।
यह भी पढ़े: उत्तरप्रदेश : हाथरस में दलितो के घर से हिंदु-देवताओं की तस्वीरें हटाने पर विवाद,पुलिस के साथ हुई हिंसक झड़प
राजनीति में परिवारवाद:
बता दें कि सुनील यादव ने ये बातें आरएसएस प्रचारक संगीत रागी को जवाब देते हुए कही हैं। बीते 10 सालों में भारतीय राजनीति में परिवारवाद जैसे शब्द खूब फले फूले हैं। बीजेपी औऱ आरएसएस की तरफ से क्षेत्रिय पार्टियों विशेष कर समाजवादी पार्टी पर परिवार वाद के खूब आरोप लगाए गए हैं।
केंद्र की राजनीति में अकसर ये शब्द कांग्रेस के लिए नासूर बनता है तो क्षेत्रिय दलों में समाजवादी पार्टी के लिए। इस बार भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक संगीत रागी ने समाजवादी पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों को पारिवारिक पार्टी बताया। जिसके जवाब में सुनील सिंह यादाव ने आरएसएस को जातिवादी कहा।
यह भी पढ़े: उत्तरप्रदेश: उन्नाव में राशन लेने पहुंची दलित महिला को कोटेदार ने डंडा लेकर दौड़ाया, दी भद्दी गालियाँ
जातिवादी है आरएसएस:
सुनील यादव ने आगे कहा कि यह लोग सबका साथ, सबका विकास, पिछड़ा-दलित जैसी बातें करते हैं, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ कि कोई पिछड़ या दलित आरएसएस प्रमुख के पद तक पहुंचा हो। उन्होंने संगीत रागी से सवाल किया कि RSS में अभी तक कोई दलित या पिछड़ा प्रमुख नहीं हुआ है, लेकिन क्या भविष्य में ऐसा होगा कि RSS अपने प्रमुख के तौर पर किसी दलित या पिछड़े को चुने। सुनील ने आगे कहा कि आरएसएस से ज्यादा जातिवादी कोई नहीं है. अगर जातिवाद देखना ही है, तो आरएसएस को अपने अंदर झांककर देखना होगा।
यह भी पढ़े: उत्तरप्रदेश: देवरिया में बाइक से ठोकर लगने पर दलित युवक की पीट पीटकर कर दी हत्या
इनके सीने पर सांप लोटता है:
सुनील सिंह यादव ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान लागू होने के बाद सब एकसमान हो गए, लेकिन इससे इनके सीने पर सांप लोटता है।
इन्हें तकलीफ होती है कि कोई दलित या पिछड़ा इनके बगल में, इनके करीब कैसे खड़ा हो गया। यह लोग आज भी दलितों और पिछड़ो के लिए जातिवादी रवैय्या रखते हैं, उन्हें उसी जातिवादी नज़रों से देखते हैं जब उन्हें पढ़ने लिखने नहीं दिया जाता था। जब उन्हें अच्छा खाने और पहनने की मनाही थी। जब उन्हें सभी अधिकारों से वंचित कर रखा था।
यह भी पढ़े: क्या मायावाती प्रधानमंत्री बन सकती हैं?
कौन मुख्मंत्री बनेगा ये परिवार का फैसला:
आरएसएस विचारक संगीत रागी ने वनवासी कल्याण आश्रम का उदहारण देते हुए कहा कि, सपा नेता को पता नहीं है कि दुनिया का सबसे बड़ा संगठन वनवासी कल्याण आश्रम वनवासियों के लिए काम करता है। भारत की क्षेत्रिय पार्टियाँ पारिवारिक पार्टियाँ बन चुकी हैं। जिनमें सिर्फ एक परिवार तय करता है कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा, कौन अध्यक्ष बनेगा, कौन सांसद बनेगा। संगीत रागी ने आगे ये भी कहा कि एक ही परिवार के लोग निर्णायक फैसले लेते हैं। जब्कि आरएसएस में ऐसी कोई चीज नहीं हैं।
यह भी पढ़े: जन्मदिन विशेष: मायावती, वो आयरन लेडी जिसने अपनी तेजतर्रारी से मनुवाद को जमकर लताड़ा
आरएसएस प्रमुख दलित या पिछड़ा कब ?
सुनील यादव की आरएसएस एक जातिवादी संगठन है वाली बात पर संगीत रागी ने कहा कि आरएसएस जाति नहीं देखता है। आरएसएस किसी को भी सिर्फ एक हिंदु के तौर पर देखता है। जिस पर सुनील यादव ने कहा कि जब वोट इक्ठ्ठा करने की बात आती है तो आऱएसएस ओबीसी औऱ दलितों को सिर्फ हिंदु बताता है लेकिन जब अधिकार देने की बात आती है तो उन्हें अछूत मान लेता हैं। संगीत रागी की पारिवारवाद वाली बात पर सुनील यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी को बने सिर्फ 30 से 32 साल हुए हैं लेकिन आरएसएस तो पिछले 90 सालों से है। इन सालों में आरएसएस का एक भी मुखिया दलित या पिछड़ा क्यों नहीं हुआ ?
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।