Reservation News : पटना हाई कोर्ट ने पलटा नीतीश सरकार का फैसला, बिहार में नहीं मिलेगा SC,ST और OBC को 65% आरक्षण

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देश में फिलहाल आरक्षण की सीमा 49.5 फीसदी है। उसमें ओबीसी को 27%, एससी को 15% और एसटी को 7.5% आरक्षण मिलता है. इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को भी 10% आरक्षण मिलता है। EWS को मिले 10 फीसदी आरक्षण के बाद देश में आरक्षण की सीमा 50 से फीसदी के पार जा चुकी है। 

 

Bihar Reservation News : बिहार की नीतीश सरकार को पटना उच्च न्यायालय ने एक बड़ा झटका दिया है। बिहार सरकार द्वारा आरक्षण को लेकर लाए गए कानून को पटना उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है। यह फैसला 20 जून को पटना उच्च न्यायालय ने सुनाया है जिसके तहत बिहार सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानो और सरकारी नौकरियों में SC,ST,OBC और EBC यानी अति पिछड़ा वर्ग के बढ़ाए गए आरक्षण को रद्द कर दिया गया है।

बता दें कि पिछले साल के अंत में बिहार सरकार ने विधानसभा के पटल पर जाति आधारित आंकड़े पेश किए थे और इसके बाद जनसख्या के आधार पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया था। हालांकि बिहार सरकार के इस फैसले को उच्च न्यायालय में गौरव कुमार और अन्य द्वारा याचिका दायर करके चुनौती दी गई थी।

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उच्च न्यायालय ने क्या कहा :

पटना उच्च न्यायालय की चीफ जस्टिस की बेंच ने गौरव कुमार और अन्य याचिकाकर्ता की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने इस फैसले में बिहार सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में SC, ST, OBC और अति पिछड़ा वर्ग को दिए गए 65 फीसदी आरक्षण को खत्म कर दिया है। कोर्ट ने यह फैसला 11 मार्च को सुनवाई के बाद सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद 20 जून को कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा आरक्षण की सीमा बढ़ाने वाले कानून के विरोध वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सार्वजनिक किया है।

 

patna high court (image : Google) 

सरकार ने आरक्षण क्यों बढ़ाया था :

बता दें कि बिहार सरकार ने 2023 के अंत में SC,St,Obc और अति पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करने का फैसला लिया था। इस फैसले का सबसे बड़ा आधार बिहार में हुई जातिगत जनगणना थी। बिहार में हुई जातिगत जनगणना में दो चीज़े निकल कर सामने आई थीं। पहला ये की बिहार में कई जाति/वर्ग की संख्या कम है और किसकी ज़्यादा है और दूसरा ये की सरकारी नौकरी में किसकी उपस्थित कितनी है।

आज तक कि रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सामान्य वर्ग की आबादी 15 प्रतिशत है और सबसे ज्यादा 6 लाख 41 हजार 281 लोगों के पास सरकारी नौकरियां हैं. नौकरी के मामले में दूसरे नंबर पर 63 फीसदी आबादी वाला पिछड़े वर्ग है. पिछड़ा वर्ग के पास कुल 6 लाख 21 हजार 481 नौकरियां हैं.तीसरे नंबर पर 19 प्रतिशत वाले अनुसूचित जाति है. एससी वर्ग के पास 2 लाख 91 हजार 4 नौकरियां हैं. सबसे कम एक प्रतिशत से ज्यादा आबादी वाले अनुसूचित जनजाति वर्ग के पास सरकारी नौकरियां हैं. इस वर्ग के पास कुल 30 हजार 164 सरकारी नौकरियां हैं. अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68% है.

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किसके पास कितना आरक्षण :

देश में फिलहाल आरक्षण की सीमा 49.5 फीसदी है। उसमें ओबीसी को 27%, एससी को 15% और एसटी को 7.5% आरक्षण मिलता है. इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को भी 10% आरक्षण मिलता है। EWS को मिले 10 फीसदी आरक्षण के बाद देश में आरक्षण की सीमा 50 से फीसदी के पार जा चुकी है। जब EWS यानी आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण दिया जा रहा था तब सुप्रीम कोर्ट ने इसे सही ठहराते हुए कहा था, “ये कोटा संविधान के मूल ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाता।”

राजनीति का असर है ये फैसला :

गौरतलब है कि जब बिहार सरकार ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने का फैसला किया था तब बिहार में JDU और RJD की मिली जुली सरकार थी। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे और तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री। इसी दौरान बिहार और देश भर में जाति जनगणना का मुद्दा जोरो से उठा था और बिहार में जाति जनगणना हुई भी थी। लेकिन अब RJD और JDU का गठबंधन टूट चुका है और नीतीश कुमार ने BJP के साथ मिलकर बिहार में फिर सरकार बना ली है। बताते चले कि जब जाति जनगणना का मुद्दा गर्मा रहा था तब BJP और केंद्र की सरकार पर जाति जनगणना विरोधी होने का आरोप लगाया जा रहा था।

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