नागौर जिले के जायल क्षेत्र में दलित युवक रामकिशोर मेघवाल की संदिग्ध मौत के बाद परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया है। उनका आरोप है कि रामकिशोर की मौत पुलिस हिरासत में हुई। तीन दिन से अस्पताल में शव पड़ा है, और परिजन न्याय की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। वे दोषियों की गिरफ्तारी, 50 लाख रुपये मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को नौकरी, और मृतक की मां के इलाज की मांग कर रहे हैं। प्रशासन की चुप्पी ने आक्रोश और बढ़ा दिया है।
Rajsthan News: नागौर जिले के जायल क्षेत्र के डेहरोली गांव में दलित युवक रामकिशोर मेघवाल की मौत ने इलाके में आक्रोश फैला दिया है। रामकिशोर का शव तीन दिनों से चिकित्सालय में रखा हुआ है, जिसे परिजनों ने लेने से इनकार कर दिया है। परिजन धरने पर बैठे हैं और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। परिजनों के मुताबिक, 26 नवंबर की रात को चार अज्ञात लोग पुलिसकर्मी बनकर रामकिशोर और उसके साथी खाजूराम को उठाकर ले गए। अगले दिन, 27 नवंबर को पुलिस ने परिजनों को बताया कि रामकिशोर की मौत हो चुकी है।
“पुलिस हिरासत में हुई मौत”: परिजनों का आरोप
परिजनों का आरोप है कि रामकिशोर की मौत पुलिस हिरासत में हुई और इसे छिपाने के लिए पुलिस इसे प्राकृतिक मौत का रूप देने की कोशिश कर रही है। इस घटना ने ना केवल परिजनों को बल्कि पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। गांववालों का कहना है कि यह न सिर्फ पुलिस की लापरवाही है, बल्कि दलित समाज के प्रति संवेदनहीनता का उदाहरण भी है।
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न्याय की मांग: धरना जारी
रामकिशोर के परिजन और ग्रामीण अस्पताल परिसर में धरने पर बैठे हैं। उनकी मांगें हैं कि रामकिशोर की मौत के जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार किया जाए और हत्या का मामला दर्ज किया जाए। परिजन 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, और मृतक के परिवार के सभी ऋण माफ करने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, मृतक की विकलांग मां, जो बेटे की मौत की खबर सुनकर मानसिक संतुलन खो बैठी है, के इलाज की भी मांग की गई है।
प्रशासन की चुप्पी, आक्रोश बढ़ा
धरने के तीसरे दिन भी न तो कोई पुलिस अधिकारी और न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी परिजनों से मिलने आया। इस उदासीनता ने परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा और बढ़ा दिया। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे शव को नहीं लेंगे।
दलित समुदाय में असुरक्षा का माहौल
यह घटना दलित समुदाय के प्रति समाज और प्रशासन की उदासीनता को उजागर करती है। इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता से दलित समाज में असुरक्षा का माहौल गहराता जा रहा है। परिजनों का कहना है कि अगर जल्द ही न्याय नहीं मिला, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
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“हम न्याय लेकर रहेंगे”
धरने पर बैठे लोगों ने सरकार और पुलिस प्रशासन को चेतावनी दी है कि उनकी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। इस घटना ने क्षेत्र में जातिगत भेदभाव और पुलिस की क्रूरता पर बहस छेड़ दी है। रामकिशोर मेघवाल का परिवार न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहा है और यह मामला दलित अधिकारों के प्रति समाज की जिम्मेदारी और सरकार की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
यह घटना न केवल एक व्यक्ति की मौत का मामला है, बल्कि यह प्रशासन और समाज की सामूहिक विफलता को भी दर्शाती है। न्याय की लड़ाई में जुटे इस परिवार की आवाज सुनी जानी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
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