9 पेज का सुसाइड नोट ​लिख दलित ग्राम विकास अधिकारी ने की आत्महत्या, लिखा ‘मुझे अब नहीं जीना…सरपंच और पूर्व सरपंच करते हैं रोज टॉर्चर

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खून-पसीने की कमाई से अपने बेटे को आईआईटी तक पहुंचाने वाले मां-बाप ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस बेटे ने पिछले साल ही उनका सिर गर्व से ऊँचा किया था, समाज में उनका सम्मान बढ़ाया था वह दबंग सरपंच और पूर्व सरपंच के घोटाले का पर्दाफाश करने की कीमत अपनी जान देकर चुकायेगा…

प्रेमा नेगी की टिप्पणी

Rajasthan Dalit VDO Lalit kumar Beniwal Suicide Case : राजस्थान में एक युवा दलित अधिकारी ललित कुमार बेनीवाल की आत्महत्या का मामला सुर्खियों में है। मात्र 25 साल के इस युवा ग्राम विकास अधिकारी ने अपने मार्मिक सुसाइड नोट में जो लिखा है, उसे पढ़कर कलेजा मुंह को आ जायेगा। आरोप लगाया है कि सरपंच और पूर्व सरपंच की प्रताड़ना से वह बुरी तरह डर गया है, वह रोज उसका मानसिक उत्पीड़न करते हैं इसलिए वह अपनी जिंदगी खत्म कर रहा है। मनरेगा मज़दूर और ईंट भट्‌टों पर काम करने वाले माता-पिता के बेटे और तीन बहनों के बड़े भाई 25 साल के ललित कुमार बेनीवाल ने मैंटली टॉर्चर से तंग आकर 18 फरवरी को फांसी पर लटककर अपनी जान दे दी।

ललित के परिजनों और दलित समाज ने आरोपियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग की है। दलित समाज का कहना है कि नीमकाथाना चीपलाटा ग्राम विकास अधिकारी ललित कुमार की आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले आरोपी अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। झाड़ली गांव में सर्वसमाज के लोगों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर बैठक भी आयोजि की और चेतावनी दी है कि अगर 28 फरवरी तक पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया तो थाने के सामने धरना दिया जायेगा।

आत्महत्या करने वाला दलित युवक दिहाड़ी मजदूर माता—पिता का बेटा और 3 बहनों का भाई है। खून-पसीने की कमाई से अपने बेटे को आईआईटी तक पहुंचाने वाले मां-बाप ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस बेटे ने पिछले साल ही उनका सिर गर्व से ऊँचा किया था, समाज में उनका सम्मान बढ़ाया था वह दबंग सरपंच और पूर्व सरपंच के घोटाले का पर्दाफाश करने की कीमत अपनी जान देकर चुकायेगा। जी हां, ललित कुमार बेनीवाल आईआईटी से ग्रेजुएट कर चुका था और 2022 में यूपीएससी मेंस की परीक्षा दी थी। वह आईएएस बनना चाहता था, मगर रैंक कम आने के कारण उसे ग्राम विकास अधिकारी का पद मिला। परिवार को बदहाली से उबारने और 3 बहनों का जीवन संवारने के कारण उसने अपने सपनों को त्याग ग्राम विकास अधिकारी के पद पर पिछले साल अप्रैल 2023 में ज्वाइन कर लिया। हालांकि आईएएस की चाहत उसके मन में कहीं दबी हुई थी, इसीलिए उसने 2023 में दोबारा यूपीएससी सिविल सर्विस की मेन्स की परीक्षा थी।

मानसिक प्रताड़ना के बाद की आत्महत्या
राजस्थान के नीमकाथाना जनपद के थोई थाने से क़रीब बारह किलोमीटर दूर चीपलाटा ग्राम पंचायत में दलित युवक ललित कुमार बेनीवाल की नियुक्ति ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) के पद पर 19 अप्रैल 2023 को हुई थी। यानी वह पिछले दस महीनों से यहां काम कर रहे थे। जानकारी के मुताबिक अजीतगढ़ पंचायत समिति के तहत आने वाली इस पंचायत में पिछले दिनों वित्त वर्ष 2021-2022 और 2022-2023 के दौरान हुए लेन-देन और कार्यों का आडिट कराया गया था, जिसमें 520011 रुपये के सरकारी पैसे का गबन उजागर हुआ। ऑडिट रिपोर्ट को देखते हुए अजीतगढ़ ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारी (बीडीओ) अजय सिंह ने ग्राम विकास अधिकारी ललित कुमार बेनीवाल को मौखिक आदेश दिया कि वह इसके खिलाफ एक्शन ले। इसी के बाद ग्राम विकास अधिकारी ललित ने थोई थाने में 15 फ़रवरी को चीपलाटा सरपंच मनोज गुर्जर और पूर्व सरपंच बीरबल गुर्जर के ख़िलाफ़ सरकारी पैसे के गबन की एफ़आईआर दर्ज करवाई थी।

ल​लित के परिजनों का कहना है कि जब से उसने सरपंच और पूर्व सरपंच के खिलाफ गबन की एफ़आईआर दर्ज करवायी थी, उन लोगों ने उसका जीना मुश्किल कर दिया था। उसे लगातार डराया—धमकाया जा रहा था और मानहानि का केस दर्ज कराने की धमकी देकर मानसिक उत्पीड़न भी किया जा रहा था। एफआईआर दर्ज होने के मात्र 3 दिन बाद 18 फरवरी को ललित ने आत्महत्या कर ली थी। उसकी लाश कमरे में लटकती हुई पायी गयी।

ललित की लाश के पास पुलिस को जो सुसाइड नोट बरामद हुआ उसमें उसने बुरी तरह डराने-धमकाने, ग़लत तरह से काम करने का दबाव बनाने, सरकारी आईडी का ओटीपी लेकर लाखों रुपए निकालने के साथ-साथ सरकारी पैसे के गबन और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। ललित की मौत के बाद उसके परिजनों की शिकायत पर थोई थाने में पंचायत क्लर्क जगदेव, ठेकेदार पोखर, सरपंच मनोज गुर्जर, पूर्व सरपंच बीरबल गुर्जर, पूर्व ग्राम सेवक नरेंद्र प्रताप, अजीतगढ़ विकास अधिकारी और मंगल के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करवाई गयी है।

ललित बेनीवाल के 9 पेज के सुसाइड नोट ने खोली आरोपियों की पोल
ललित बेनीवाल ने आत्महत्या के बाद 9 पेज का सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें लिखा है ‘मैं 15 तारीख को पंचायत समिति अजीतगढ़ में रिजाइन लेटर देने गया था, क्योंकि मैं चीपलाटा पंचायत में इस नौकरी से बहुत स्ट्रेस में रहता हूं। उन्होंने कहा कि पहले एफ़आईआर कराओ फिर प्रधान से ट्रांसफर की बात करता हूं। मैं पहले से ही बहुत डरा हुआ था और डिप्रेशन में था। मैंने ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर 5,20,011 रुपए के भ्रष्टाचार की रिपोर्ट दर्ज करवा दी। पूर्व सरपंच बीरबल ने फोन कर कहा कि मैं मानहानि का केस करूंगा, लेकिन मुझे नहीं पड़ना इन सब कोर्ट, पुलिस के चक्कर में।’

ललित आगे लिखते हैं, ‘पूर्व सरपंच, क्लर्क जगदीश और पोकर ठेकेदार ने ओटीपी के जरिए पेमेंट कर दिया। काम तो ग्राउंड पर हो गया था, लेकिन उसकी फाइल तैयार नहीं की थी, सभी फाइल मुझे बनानी पड़ रही हैं। जल्दबाजी में पेमेंट करवाया, क्योंकि उन्हें पता था कि ऑडिट के चक्कर में अकाउंट फ्रीज होने वाला है, जबकि सबको लग रहा है कि मैंने लालच में पेमेंट करवाया है, लेकिन हर जगह मुझे ही बदनाम किया गया है।’

अपनी मानसिक स्थिति पर ललित लिखते हैं,’अब मुझसे प्रेशर हैंडल नहीं होता। मैंने बीडियो को बोला कि ट्रांसफर करा दो या रिजाइन ले लो। मैं आईआईटी ग्रेजुएट हूं, यूपीएससी करते करते ग्राम विकास अधिकारी जॉब में फंस गया और न अब मुझसे यूपीएससी हो रही है।’

ललित ने अंत में अपनी बहनों को संबोधित करते हुए लिखा है, ‘जो मैं नहीं कर पाया, वो तुम तीनों करके दुनिया को दिखाना। मैं नहीं लड़ पाया, तुम खूब लड़ना, खूब आगे बढ़ना…’

परिवार ने लगाये गंभीर आरोप
बीबीसी से हुई बातचीत में मृतक दलित अधिकारी की तीन बहनों में सबसे बड़ी बहन पूजा कहती है, “सत्रह फरवरी की शाम भैया लाइब्रेरी से मुझे लेकर घर आए वह उस दौरान बहुत परेशान थे. मैंने कहा कि भैया नौकरी छोड़ दे, हमें तू खुश चाहिए। रात में मैंने कहा कि भैया हम तुझे अकेले नहीं छोड़ेंगे हम इसी कमरे सोएंगे, लेकिन उसने हमें ऐसा दिलासा दिया कि जैसे अब वह बिल्कुल टेंशन फ्री है। हम सब सो गए। मम्मी देर रात जगी तो तब ललित कुछ लिख रहा था। मम्मी ने पूछा तो बोला कि मैं पढ़ रहा हूं, तू जा कर सो जा। यह सुबह करीब चार बजे की बात है।’

पूजा आगे कहती है, “मैं सुबह उठी तो देखा कमरे में लाइट जल रही थी। मैंने गेट बजाया कि भैया खोलो-खोलो लेकिन नहीं खोला, फिर मम्मी आई और खिड़की से देखा तो भैया लटका हुआ था। हमें कुछ समझ नहीं आया और हम गेट खिड़की तोड़ने की कोशिश कर रहे थे, इतने में गांव वाले इकट्ठा हो गए। भैया को अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।”

​बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक मृतक ललित की मां आंची देवी ने बताया, “मैं चार से पांच बजे तक उठ जाती हूं। मैं तीन बजे उठी तब वो शायद फ़ोन पर बात कर रहा था। मैं चार बजे उठी तब देखा तो वह कमरे में टेबल पर बैठा हुआ कुछ लिख रहा था। मैं ललित को बाबू बोलती हूं, मैंने कहा कि सो जा तो बोला कि ठीक है सो जाता हूं। यह अंतिम बात थी हमारी. हमें लगा वो पढ़ रहा है, लेकिन वो सुसाइड नोट लिख रहा था।”

ललित की दूसरी बहन अन्नू बताती है ‘एफ़आईआर होने के बाद से ही बहुत तनाव में रहने लगे थे. उनको धमकियां दी जा रही थीं। वह बहुत डिप्रेशन में रहने लगे थे। आत्महत्या करने से पहली रात को उन्होंने खाना भी नहीं खाया था। वो सुसाइड नहीं कर सकते, उनसे करवाया गया है। हमारे भैया नहीं हमारे लिए पूरी दुनिया थे वो, हमसे हमारा भगवान छीन लिया गया है। पूर्व सरपंच बीरबल गुर्जर, वर्तमान सरपंच मनोज कुमार और अजीतगढ़ विकास अधिकारी ने बहुत टॉर्चर किया है। भैया को छुट्टी नहीं दी। इस्तीफा देने गए तो इस्तीफा नहीं लिया। कुछ दिन के लिए मेडिकल लीव ली थी, उस दौरान भी उन्हें काम करने के लिए बुला लिया जाता था।’

ललित आत्महत्या केस में अजीतगढ़ के डिप्टी एसपी राजेंद्र सिंह कहते हैं, ’18 फरवरी को सात नामजद अभियुक्तों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर लिखी गई है। मौके से सुसाइड नोट मिला है, मोबाइल जब्त किया है। पीड़ित परिवार के बयान लिए गए हैं। सबूत इकट्ठा कर रहे हैं। जल्दी ही मुलजिम को गिरफ्तार किया जाएगा। सुसाइड नोट और परिजनों के आरोप हैं कि अभियुक्तों की ओर से परेशान और धमकाया जा रहा था, ग़लत तरह से उनसे ओटीपी लेकर पैसों का ट्रांजेक्शन किया गया है, जांच कर रहे हैं, जो भी इसमें और अभियुक्त बनेंगे उन्हें भी गिरफ़्तार किया जाएगा।’

ललित को न्याय दिलाने के लिए समाज आक्रोशित

पासन नीमकाथाना में नवनियुक्त ग्राम विकास अधिकारी ललित कुमार के सुसाइड का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। कपासन में वीडीओ संघ ने ज्ञापन भी सौंपा है। ललित की आत्महत्या के बाद से वीडीओ संघ में काफ़ी आक्रोश है। कपासन ग्राम विकास अधिकारी संघ ने नारेबाजी कर इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम नायब तहसीलदार राधा कृष्ण विजय वर्गीय को ज्ञापन सौंपा, जिसमें दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की गयी है।

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