कोलकाता रेप-मर्डर केस पर राष्ट्रपति मुर्मू का बयान, लोग पूछ रहे सवाल, दलित महिलाओं से रेप की घटनाओं पर चुप्पी क्यों साधी थी ?

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जब मणिपुर में महिलाओं को नग्न घुमाने की घटनाएं हुईं, बदलापुर और उत्तराखंड जैसे भाजपा शासित राज्यों में बलात्कार और हत्याएं हुईं, तब राष्ट्रपति कहां थीं। यह टिप्पणी राष्ट्रपति के बयान की असंवेदनशीलता की ओर इशारा करती है…पढ़िए एकता यादव की ये रिपोर्ट

 

Kolkata Rape-Murder Case: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने हाल ही में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर की बलात्कार और हत्या की घटना पर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे “स्तब्ध और भयभीत करने वाली” घटना बताया और इस घटना पर गहरी निराशा और भय व्यक्त करते हुए कहा कि अब “बहुत हो गया” है और ऐसे अत्याचारों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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बदलाव के लिए ठोस कदम उठाए जाएं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय समाज से ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया उन्होंने कहा, “हमें खुद से कुछ कठिन सवाल पूछने चाहिए।” उन्होंने समाज में व्याप्त ‘घटिया मानसिकता’ की कड़ी निंदा की, जो अक्सर महिलाओं को कम शक्तिशाली, कम सक्षम और कम बुद्धिमान समझती है। राष्ट्रपति ने कहा कि इस सोच ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को बढ़ावा दिया है, और अब समय आ गया है कि इस मानसिकता को बदलने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

निर्भया घटना का किया जिक्र

रक्षा बंधन पर स्कूली बच्चों के साथ अपनी हाल की मुलाकात का उल्लेख करते हुए कहा कि बच्चों ने मासूमियत से पूछा कि क्या उन्हें आश्वासन दिया जा सकता है कि भविष्य में निर्भया जैसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी। राष्ट्रपति ने 2012 की निर्भया घटना के बाद बनाए गए योजनाओं और रणनीतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि 12 वर्षों में ऐसी कई त्रासदियाँ हुई हैं, लेकिन उनमें से केवल कुछ ही देश का ध्यान आकर्षित कर पाई हैं।

राष्ट्रपति के बयान से राजनीतिक सियासत हुई तेज

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बयान पर राजनीतिक सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस और टीएमसी जैसे दलों ने राष्ट्रपति के बयान को लेकर आलोचना की है। कांग्रेस ने राष्ट्रपति से पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर ध्यान देने की अपील की है और सत्तारूढ़ सरकारों की जिम्मेदारी तय करने की बात की है। इस प्रकार, राष्ट्रपति के बयान ने राजनीतिक बयानबाजी और विवाद को जन्म दिया है।

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राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया से भड़की TMC

टीएमसी नेता कुणाल घोष ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कोलकाता में हुए रेप और मर्डर केस पर जताए गए दुख पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने इस मामले का जिक्र किया है, लेकिन उन्नाव, हाथरस, बिलकिस बानो और मणिपुर मामलों में उनके दिल में दर्द नहीं उठा। घोष ने सवाल उठाया कि राष्ट्रपति ने ओडिशा, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में अपराधों पर ध्यान क्यों नहीं दिया और साक्षी मलिक जैसे विरोध प्रदर्शनों के दौरान चुप क्यों रहीं। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या बीजेपी के खिलाफ बोलना मुश्किल है।

कांग्रेस ने की आलोचना

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने राष्ट्रपति के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि केवल कोलकाता ही नहीं बल्कि पूरे देश में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के लिए सरकारों को नसीहत देने की जरूरत है। उन्होंने राष्ट्रपति से मणिपुर और महिला पहलवानों के यौन शोषण की घटनाओं पर भी ध्यान देने की अपील की और कहा कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देखना आवश्यक है। उन्होंने विपक्ष ही नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ बीजेपी और उसकी डबल इंजन सरकारों की भी जिम्मेदारी तय करने का साहस दिखाने की बात की।

ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगाए आरोप

ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया है कि वह अपने लोगों के माध्यम से पश्चिम बंगाल में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि बंगाल जलता है, तो इसके प्रभाव से असम, पूर्वोत्तर, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी प्रभावित होंगे। ममता के इस बयान पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पलटवार किया है।

ममता बनर्जी के बयान से भड़के मणिपुर के CM

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने ममता बनर्जी के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि ममता बनर्जी को पूर्वोत्तर और देश के अन्य हिस्सों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। सीएम सिंह ने कहा कि ममता बनर्जी को विभाजनकारी राजनीति और हिंसा भड़काने की कोशिशें तुरंत बंद करनी चाहिए।

ममता बनर्जी के बयान से भड़के असम के CM

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला किया। उन्होंने ममता बनर्जी को पूरे भारत में अशांति और विभाजनकारी राजनीति फैलाने का आरोप लगाया। ओर कहा दीदी आपकी असम को धमकाने की हिम्मत कैसे हुई है?”

सोशल मीडिया पर भी छिड़ी बहस

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बयान के बाद, राजनीतिक सियासत के साथ ही सोशल मीडिया पर भी उबाल आ गया है। उपयोगकर्ताओं ने राष्ट्रपति के बयान पर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ दी हैं, जिसमें कुछ ने समर्थन किया है, जबकि अन्य ने आलोचना की है। इस विषय पर चर्चा और बहस सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर जारी है।

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यूजर ने दलित घटनाओं पर पेश किए आंकड़े

एक उपयोगकर्ता ने हाल ही में हुए कुछ दलित घटनाओं का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने विभिन्न दलित मामलों को उठाया। कहा, भारत में हर दिन 10 दलित लड़कियों का रेप होता है। ओर साथ ही कुछ आंकड़े भी पेश किए ।

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अब तक क्यों चुप थी राष्ट्रपति

यूजर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बयान पर टिप्पणी करते हुए सवाल उठाया है कि जब मणिपुर में महिलाओं को नग्न घुमाने की घटनाएं हुईं, बदलापुर और उत्तराखंड जैसे भाजपा शासित राज्यों में बलात्कार और हत्याएं हुईं, तब राष्ट्रपति कहां थीं। यह टिप्पणी राष्ट्रपति के बयान की असंवेदनशीलता की ओर इशारा करती है और विभिन्न घटनाओं पर उनकी चुप्पी को लेकर सवाल उठाती है। साथ ही बिहार के मुजफ्फरनगर में 14 वर्षीय दलित बेटी के साथ संजय राय नाम के आरोपी ने अपने साथियों के साथ मिलकर बालात्कार किया। बच्ची के साथ बालात्कार हुआ है ये पता ना चल सके इसलिए उसके प्राइवेट पार्ट में 50 बार चाकू से वार करने की घटना पर भी राष्ट्रपति की चुप्पी पर सवाल होना चाहिए।

 

दीदी भूल गई हैं कि द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान किया है। ममता बनर्जी की टिप्पणियों में राष्ट्रपति को कहा की वो भाजपा सदस्य नहीं हैं । जिस पर एक यूज़र ने ममता बनर्जी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुझे लगता है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री यह भूल गई हैं कि द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। उन्होंने तर्क किया कि भारत की राष्ट्रपति के रूप में मुर्मू को बोलने का पूरा अधिकार है।

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