10 दिन पहले मोहन भागवत ने कहा था कि संघ का उद्देश्य हिंदु धर्म को मजबूत करना है और हिंदु धर्म की विचारधारा को फैलाना है और अब मोहन भागवत उसी हिंदु धर्म में वयाप्त भेदभाव की विचारधारा की खिलाफत करते हुए जाति के विनाश की बात कर रहें हैं।
Mohan Bhgwat Statmen on Castiesm : जातिवाद का विनाश तभी हो सकता है जब दलित, आदिवासी, पिछड़ा और सवर्ण एक ही मंदिर में जाएं, एक ही कुएं से पानी पीएं और मृत्यु के बाद एक ही शमशान में उन्हें जलाया जाए. ये बात RSS के प्रमुख मोहन भागवत ने अपने अलीगढ़ दौरे में कही. RSS की शाखा के स्वयं सेवकों को मोहन भगवत ने ‘‘एक मंदिर, एक कुआं और एक श्मशान भूमि” के आदर्शों को पालन करने का सुझाव दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने ‘स्वयंसेवकों’ से अपील की कि वे समाज के सभी तबकों से जुड़ने की कोशिश करें और जमीनी स्तर पर समरस्ता का पैगाम पहुंचाएं। हालांकि मोहन भागवत के इस बयान पर कई सवाल खड़ें होते हैं.
क्योंकि महज़ 10 दिन पहले मोहन भागवत ने कहा था कि संघ का उद्देश्य हिंदु धर्म को मजबूत करना है और हिंदु धर्म की विचारधारा को फैलाना है और अब मोहन भागवत उसी हिंदु धर्म में वयाप्त भेदभाव की विचारधारा की खिलाफत करते हुए जाति के विनाश की बात कर रहें हैं। हकीकत ये है कि ऐसी बातें सिर्फ सुनने में ही अच्छी लग सकती हैं।
क्योंकि आज भी दलित दुल्हे को घोड़ी तक पर बैठने नहीं दिया जाता। देश भर से ऐसी भेदभाव की खबरें रोज़ना सामने आती हैं कि तथाकथित ऊंची जाति वालों ने दलित दुल्हे के मंदिर में प्रवेश पर आपत्ति जताई है। कई बार तो पुलिस फोर्स लगानी पड़ती है ताकि दलित दुल्हा घोड़ी पर बैठ सकें और मंदिर प्रवेश कर सकें.
रही बात एक ही कुएं से पानी पीने की तो राजस्थान के जालौर में हुआ इंद्र मेघवाल हत्याकांड हम सभी को याद है। जब एक ऊंची जाति के शिक्षक की मटकी से पानी पीने पर 4 साल के मासूम बच्चे को उसकी जाति याद दिलाई गई। उसे इतनी बेरहमी सी पीटा गया कि उसकी मौत हो गयी। इतना ही नहीं उसके परिवार को तंग करके उसकी मौत का मज़ाक भी बनाया गया।
वहीं हाल ही में दिल्ली के मेहरौली से वो वायरल वीडियो तो आप सबने देखा ही होगा जब वाल्मीकि समाज के एक व्यक्ति की लाश को सार्वजनिक शमसान घाट में जलाने से ब्राह्मणों ने मना कर दिया था। दलितों से ये कहा गया कि दलित की लाश यहां जलाने से मना किया गया है। इसे अपने वाल्मीकियों के श्मसान घाट में जलाओ। हालांकि भीम आर्मी ने इस मामले में दखल देते हुए सार्वजनिक शमसान में ही दाह संस्कार कराया था।
डॉ अम्बेडकर ने कहा था कि जाति व्यवस्था के अंत का मतलब अन्तर्जातीय भोज या अंतरजातीय विवाह नहीं बल्कि उन धार्मिक धारणाओं का नाश है जिन पर जाति व्यवस्था टिकी है।
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बता दें कि मोहन भागवत ने पहले भी जाति व्यवस्था के उन्मूलन और आरक्षण पर कई बार मंचो से अपनी बात कही है। 2023 में आरक्षण का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा था कि “जब तक भेदभाव हो तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए, हम संविधान में दिए गए आरक्षण का पूरा समर्थन करते हैं। हाल ही डॉ आंबेडकर की जयंती पर बाबा साहेब के हिन्दू धर्म छोड़ने पर भी उन्होंने अपनी बात रखी थी।
https://x.com/MeghUpdates/status/1911838373502980115
लेकिन अगस्त 2024 में आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य में एक संपादकीय प्रकाशित होता है जिसमें कहा जाता है कि “देश को एक रखने में जाति व्यवस्था कारगर साबित हुई है।”