सुप्रीम कोर्ट ने हरिजन शब्द को अपमानजनक और आपराधिक माना है। अब इसके जानबूझकर प्रयोग पर एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज होगा, जिसमें जेल और सजा का प्रावधान है।
भारत में अनुसूचित जाति व जनजाति समुदाय के प्रति संवेदनशीलता को बनाए रखने और अपमानजनक शब्दों के प्रयोग पर सख्ती बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने हरिजन शब्द का प्रयोग करने को आपराधिक मानते हुए कहा कि इस शब्द का जानबूझकर इस्तेमाल अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को नीचा दिखाने और अपमानित करने के लिए किया जाता है। दलित अधिकार कार्यकर्ता और नेशनल एलायंस फॉर दलित ह्यूमन राइट्स के संयोजक रजत कल्सन ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि गांधी द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लिए प्रयोग किया गया हरिजन शब्द शुरुआत से ही विवादित रहा है, क्योंकि इसे समाज में उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने के रूप में देखा गया है।
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हरिजन शब्द पर रोक के सरकारी निर्देश और अदालत का आदेश
एडवोकेट रजत कल्सन ने बताया कि साल 2012 में भारत सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के जरिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को निर्देश जारी किए थे कि सरकारी कामकाज में हरिजन शब्द का प्रयोग न किया जाए। इसके अलावा, केरल सरकार ने 2008 में इस शब्द के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले में और कड़े कदम उठाते हुए एक क्रिमिनल अपील केस “मंजू सिंह बनाम ओंकार सिंह आहलूवालिया” में अपने फैसले में कहा है कि हरिजन शब्द का इस्तेमाल न केवल अपमानजनक है, बल्कि यह आपराधिक भी है।
रजत कल्सन का दावा: दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई
एडवोकेट कल्सन ने चेतावनी दी कि यदि किसी सरकारी या पुलिस अधिकारी द्वारा सरकारी कामकाज में हरिजन शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी एक्ट की धारा 3(1) (आर), (एस), (यू) और भारतीय दंड संहिता की धारा 295ए व 505 के तहत ऐसे मामले दर्ज किए जा सकते हैं, जिससे दोषियों को जेल भी हो सकती है और अपराध साबित होने पर कम से कम 5 साल की सजा हो सकती है।
अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल पर बढ़ती सख्ती: दलित समुदाय को मिली नई ताकत
एडवोकेट रजत कल्सन ने दलित समाज को संदेश देते हुए कहा कि अगर उनके सामने ऐसा कोई मामला आता है, जिसमें हरिजन शब्द का अपमानजनक प्रयोग किया गया हो, तो वह संबंधित व्यक्ति या अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएं। उनका मानना है कि इस तरह की कानूनी कार्रवाइयों से ही दलित समाज को सम्मान मिल सकेगा और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने वालों को सबक सिखाया जा सकेगा।
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सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी: राष्ट्रीय एकता और सम्मान की रक्षा का मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एक देश के नागरिक होने के नाते हमें हर जाति, वर्ग और समुदाय का समान सम्मान करना चाहिए। हरिजन जैसे शब्दों का प्रयोग कर किसी भी नागरिक का अपमान करना न केवल गलत है बल्कि आपराधिक भी है। अदालत ने कहा कि देश की एकता और अखंडता के लिए यह आवश्यक है कि हम एक दूसरे के प्रति सम्मानजनक भाषा का प्रयोग करें।
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