देश भर के अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधियों का राष्ट्रीय सम्मेलन “नेशनल कांफ्रेंस फॉर माइनॉरिटी (एनसीएम)” द्वारा दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम में डीएमके पार्टी के राज्यसभा सांसद श्री पी. विल्सन (तमिलनाडु), AIMIM लोकसभा सांसद इम्तियाज जलील (महाराष्ट्र), लोकसभा निर्दलीय एम.पी. नबा कुमार सरनिया (असम), तृणमूल कांग्रेस राज्यसभा सांसद मो. नदीमुल हक़ (पश्चिम बंगाल), दिल्ली के पूर्व मंत्री और विधायक राजेंद्र पाल गौतम, पूर्व अपर पुलिस महानिदेशक अब्दुर रहमान IPS, डॉ. सिद्धार्थ ढेंडे (पुणे के उप महापौर), अल्पसंख्यकों के वरिष्ठ नेता श्री. राशिदभाई शेख, पुणे और पूर्व पार्षद प्रशांत म्हस्के व अन्य गणमान्य लोगों ने मार्गदर्शन किया।
यह भी पढ़ें : क्यों बन रहा हैं ओबीसी आरक्षण एक बड़ा मुद्दा?
दिल्ली के आर्कबिशप अनिल जोसेफ कुएटो ने गणमान्य व्यक्तियों को स्मृति चिन्ह देकर उपस्थित लोगों का मार्गदर्शन किया। साथ ही एनसीएम सदस्य सुवर्णा डंबले ने आर्कबिशप अनिल जोसेफ कुएतो का स्वागत किया। बता दें कि, इस कार्यक्रम में सुबह 11:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक विभिन्न विषयों पर सत्रवार चर्चा हुई, जिसमें संविधान बचाने व अल्पसंख्यक समुदायों की समस्याओं पर विचार किया गया। साथ ही कैसे समाज में बदलाव किया जाना चाहिए इस पर भी गहरी चर्चा हुई।

कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में आयोजित इस कार्यक्रम के समापन सत्र में राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों में कामकाजी महिलाओं का विशेष सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में महिला प्रतिनिधियों ने महत्वपूर्ण मुद्दों को प्रस्तुत किया। वहीं, कार्यक्रम का अध्यक्षीय भाषण नेशनल कांफ्रेंस फॉर माइनॉरिटीज के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल डंबले ने दिया। उनके भाषण को सभी प्रतिनिधियों का उत्साहपूर्ण समर्थन मिला। इस भाषण में एनसीएम की विचारधारा, लक्ष्यों, नीतियों और भावी कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए सात प्रस्ताव पारित किए गए।

आपको बता दें कि, कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में आयोजित इसी कार्यक्रम में गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों को ‘संविधान रत्न पुरस्कार’ प्रदान किए गए। वहीं कार्यक्रम का संचालन एनसीएम के सचिव लुकास केदारी ने किया और इस पूरे कार्यक्रम के लिए संयोजक के तौर पर जुबैर मेमन ने विशेष योगदान दिया। साथ ही इस कार्यक्रम में एम. सी माइकल और बालीघ नौमानी ने भी विशेष सहयोग प्रदान किया।
यह रिपोर्ट – रुखसाना (जर्नलिस्ट, दलित टाइम्स) द्वारा लिखी गई है।
*Help Dalit Times in its journalism focused on issues of marginalised *
Dalit Times through its journalism aims to be the voice of the oppressed.Its independent journalism focuses on representing the marginalized sections of the country at front and center. Help Dalit Times continue to work towards achieving its mission.
Your Donation will help in taking a step towards Dalits’ representation in the mainstream media.