MP : थाने में बंद दलित परिवार द्वारा न्याय की गुहार लगाने वाली वायरल वीडियो की क्या है पूरी कहानी

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पीड़ित दलित परिवार के मुताबिक पुलिस ने उन्हें घसीटते हुए थाने ले जाकर बंद कर दिया और रास्ते में मारपीट भी की..

 

Case of viral video of Dalit family pleading for justice from police: बीते दिनों एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई जो मध्य प्रदेश के छतरपुर से सामने आई थी। जिसमें दलित परिवार को थाने में बंद दिखाया गया था। दलित परिवार पुलिस से उन्हें छोड़ने की गुहार लगा रहा था। वीडियो शेयर करते हुए लोगों ने सोशल मीडिया पर तमाम तरह की बातें लिखी। ये घटना 29 जून की बताई जा रही है। वहीं पीड़ित परिवार की आरोप है कि पुलिस द्वारा ना केवल उन्हें जबरदस्ती थाने ले जाया गया बल्कि उनके साथ मारपीट भी की गयी…क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं…

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क्या थी घटना :

शासन के निर्देश के बावजूद छतरपुर प्रशासन ने 29 जून को विवादित जमीन का सीमांकन करने का प्रयास किया। इस प्रक्रिया के दौरान सौंरा गांव के एक दलित परिवार को पुलिस ने जबरदस्ती थाने ले जाकर कैद कर दिया। इस घटना के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है। मध्य प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार 15 जून के बाद किसी भी प्रकार का सीमांकन कार्य नहीं किया जाना चाहिए था। बावजूद इसके, प्रशासन ने सौंरा गांव में विवादित जमीन का सीमांकन करने का निर्णय लिया। यह विवादित जमीन पिछले 30 सालों से दलित परिवार के पास है और यह मामला कोर्ट में लंबित है।

 

पूरे परिवार को घसीटकर थाने ले आई पुलिस:

शनिवार को दो थानों की पुलिस और तहसीलदार इंदु सिंह गौड़ सीमांकन कार्य के लिए सौंरा गांव पहुंचे। वहां पहुंचते ही, पुलिस ने विवादित जमीन पर काबिज दलित परिवार को थाने ले जाने का प्रयास किया। दलित परिवार ने कोर्ट केस का हवाला देकर सीमांकन रोकने की अपील की, लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी और पूरे परिवार को घसीटकर थाने ले गई। थाने में पहुंचने के बाद, परिवार के पुरुष, लड़के, लड़कियां और महिलाएं सभी को एक चैनल में बंद कर दिया गया।

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चीख पुकार का वीडियो वायरल :

इसके बाद थाने में कैद किए गए परिवार की चीख-पुकार का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में परिवार की हृदयविदारक चीखें सुनकर मीडिया और स्थानीय प्रशासन ने ओरछा रोड थाना का दौरा किया। पीड़ित परिवार की कोमल अहिरवार ने बताया कि उनकी पैतृक जमीन दीपेंद्र चौरसिया को उनके पूर्वजों ने बेच दी थी, लेकिन इस बिक्री में उनकी सहमति नहीं थी। इस मामले को लेकर उन्होंने कोर्ट में केस किया है जो अभी भी विचाराधीन है। कोमल ने बताया कि पुलिस ने उन्हें घसीटते हुए थाने ले जाकर बंद कर दिया और रास्ते में मारपीट भी की।

प्रशासन का पक्ष :

सौंरा मंडल की तहसीलदार इंदु सिंह गौड़ ने कहा कि परिवार सीमांकन कार्य में व्यवधान डाल रहा था, इसलिए उन्हें मौके से हटाया गया। उन्होंने थाने में किसी को कैद करने से इंकार किया और कहा कि तीन बार सीमांकन का प्रयास किया गया, लेकिन परिवार ने उसे करने नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा कि शासन के आदेश के मुताबिक 15 जून के बाद सीमांकन नहीं किया जा सकता, लेकिन 29 जून को उन्होंने यह काम करने का प्रयास किया। पीड़ित परिवार ने इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप भी लगाए हैं। उनका कहना है कि स्थानीय राजनीतिक दबाव के चलते प्रशासन ने उनके खिलाफ यह कार्रवाई की है।

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न्याय की मांग :

वीडियो वायरल होने के बाद, प्रशासन पर दबाव बढ़ गया और मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च अधिकारियों ने इस पर ध्यान दिया। पीड़ित परिवार ने न्याय की गुहार लगाई है और प्रशासन से इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि दलित परिवार के साथ हुई इस बर्बरता को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

यह घटना छतरपुर प्रशासन के कार्यशैली पर सवाल उठाती है। शासन के निर्देशों का उल्लंघन कर विवादित जमीन का सीमांकन करने का प्रयास और फिर दलित परिवार को कैद करना प्रशासन की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठ रही है। ऐसी घटनाएं समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय को उजागर करती हैं, जो कि हमारे समाज के लिए चिंताजनक है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कानून और व्यवस्था सभी के लिए समान रूप से लागू हो, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो। 

 

 

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