MP में दलित दूल्हे को बग्घी पर बैठाकर बारात निकालने पर जातिवादियों ने बग्घी तोड़ दी, घोड़े को डंडों से पीटा और बग्घी मालिक व उनके साथियों की बेरहमी से पिटाई की। पीड़ितों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, और मामले की जांच जारी है। घटना जातिवाद और छुआछूत की गहरी समस्या को उजागर करती है।
MP : दमोह जिले के चौरई गांव में एक बार फिर जातिवाद और छुआछूत की घिनौनी तस्वीर सामने आई। मंगलवार की रात एक दलित दूल्हे की बारात में बग्घी पर बैठने को लेकर इलाके के जातिवादियों ने न सिर्फ बग्घी और घोड़े पर हमला किया, बल्कि उसके मालिक और साथियों की भी बेरहमी से पिटाई कर दी। ये घटना यह दर्शाती है कि आज भी ग्रामीण इलाकों में जातीय भेदभाव और अत्याचार जिंदा हैं।
शादी के जश्न को बना दिया मातम
चौरई गांव के दलित परिवार के घर खुशी का माहौल था। दूल्हे को बग्घी में बैठाकर बारात निकाली गई। जैसे ही यह बारात गांव के मुख्य रास्तों से गुजरी, वहां के दबंग लोग इसे सहन नहीं कर सके। दूल्हे के बग्घी पर बैठने को उन्होंने अपनी तथाकथित सामाजिक श्रेष्ठता के खिलाफ माना। हालांकि, शादी में शामिल लोग जातिवादियों की धमकियों से बेफिक्र होकर बारात में मस्त थे।
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धमकी के बाद भी निकली बग्घी
घटना से पहले ही बग्घी मालिक जयकिशन रजक और उनके भाइयों को धमकियां दी गई थीं कि दलित दूल्हे को बग्घी पर बैठाना उनकी मान्यताओं के खिलाफ है। लेकिन जब गांव के कुछ लोगों ने आश्वासन दिया कि सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी होगी, तब बग्घी मालिक ने हिम्मत दिखाई और बारात में शामिल हुए।
बारात तो निकली, लेकिन लौटते समय हुआ हमला
शादी के दौरान किसी तरह की कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, लेकिन जैसे ही बारात गांव से वापस लौट रही थी, दबंगों ने घात लगाकर हमला किया। उन्होंने बग्घी के पहियों को तोड़ डाला, डीजे वाहन के शीशे फोड़ दिए और घोड़े को डंडों से पीट-पीटकर घायल कर दिया। इस दौरान बग्घी मालिक और उनके भाई राहुल रजक, कृष्णा रजक और जगदीश अहिरवार पर लाठी-डंडों और घूंसे बरसाए गए।
पुलिस तक पहुंची पीड़ितों की गुहार
घटना के बाद पीड़ित किसी तरह भागकर जबलपुर नाका पुलिस चौकी पहुंचे। पुलिस ने उन्हें पहले अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी और सुबह रिपोर्ट दर्ज कराने का निर्देश दिया। पीड़ितों ने गांव के रत्नेश ठाकुर के ढाबे पर काम करने वाले लोगों पर मारपीट का आरोप लगाया है।
घायल और आहत हैं पीड़ित
जयकिशन रजक ने बताया कि इस घटना ने उनके परिवार को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ दिया है। घोड़ा गंभीर रूप से घायल है और बग्घी को ठीक कराने में भारी खर्च आएगा। उन्होंने कहा कि जातिवादियों की धमकी के बावजूद वे सिर्फ इसलिए बारात में गए थे क्योंकि उन्हें भरोसा था कि लोग उनका साथ देंगे।
छुआछूत और जातिवाद की गहरी जड़ें
चौरई गांव की यह घटना यह साबित करती है कि आज भी दलितों के लिए समाज में समानता का अधिकार एक सपना मात्र है। घोड़ी चढ़ना और बग्घी में बारात निकालना जैसे सामान्य अधिकार भी उनके लिए संघर्ष का कारण बन जाते हैं। जातिवादी मानसिकता और जातीय भेदभाव ने एक शादी के जश्न को मातम में बदल दिया।
पुलिस का बयान और कार्रवाई
जबलपुर नाका चौकी प्रभारी आनंद अहिरवार ने कहा कि मामले की जांच चल रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। हालांकि, पीड़ित परिवार और बग्घी मालिक को अब भी डर है कि जातिवादी लोग उन्हें दोबारा निशाना बना सकते हैं।
ग्रामीण समाज में बदलाव की जरूर
यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की समस्या को उजागर करती है। जातिवाद और छुआछूत के दंश से पीड़ित लोगों को सशक्त बनाने और समाज में समानता लाने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है। यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था की विफलता को दिखाती है, बल्कि समाज के गहरे घावों को भी उजागर करती है।
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