लेटरल एंट्री पर मोदी सरकार ने लिया यू टर्न! लेकिन फिर सुना दिया नया आरक्षण विरोधी फ़रमान

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UPSC Lateral Entry: लेटरल एंट्री पर सरकार ने यूटर्न ले लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर केंद्र सरकार में लेटरल एंट्री पर रोक लगा दी गई है। यूपीएससी से कहा गया है कि वो लेटरल एंट्री से नियुक्ति न करे। वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को निर्देश दिया गया है कि वो 17 अगस्त, 2024 को जारी विज्ञापन वापस ले ले। बता दें, केंद्र सरकार ने 45 पदों को लेटरल एंट्री के जरिये भरने के लिए यूपीएससी ने विज्ञापन दिया था.

BJP के सहयोगी दल भी सहमत नहीं

विपक्षी दल सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे थे और एनडीए में बीजेपी के सहयोगी दल भी इससे सहमत नहीं थे। उनका कहना है कि लेटेरल एंट्री से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को नौकरी मिलने में परेशानी होगी। साथ ही ग़रीब और पिछड़े वर्ग के लोगों को सरकार में बढ़ने का मौका नहीं मिलेगा।

विपक्ष ने उठाए थे सवाल

दरअसल, ये लेटरल एंट्री में आरक्षण का मुद्दा कांग्रेस पार्टी ने उठाया था . बाद में मोदी सरकार में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और जनता दल (यूनाइटेड) जैसी पार्टियां भी इसके विरोध में उतर आईं. लोकसभा चुनावों में आरक्षण के मुद्दे पर तगड़ा झटका खा चुकी BJp ने इस मुद्दे पर राजनीति गरमाने से पहले कदम वापस ले लिए।

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राहुल गांधी का विरोध और लेटरल एंट्री विवाद

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इसका विरोध किया था.उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार लेटरल एंट्री के जरिए दलितों, पिछड़ा वर्ग और आदिवासियों से उनका आरक्षण छीनने की कोशिश कर रही है, जो कि बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है. साथ ही कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार आरएसएस (RSS) के लोगों को सरकारी पदों पर भर्ती कर रही है। नतीजा ये हुआ कि अब सरकार ने यूपीएससी चेयरपर्सन को पत्र लिखकर लेटरल एंट्री के विज्ञापन को रद्द करने के लिए कहा है.

लेटरल एंट्री पर सरकार ने लिया यूटर्न 

इस भर्ती पर विपक्ष ने सवाल उठाए थे और अब इसी विवाद के बाद मोदी सरकार ने ये फैसला लिया है। और केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएसस की अध्यक्ष प्रीति सूदन को पत्र लिखकर विज्ञापन रद्द करने को कहा ‘ताकि कमजोर वर्गों को सरकारी सेवाओं में उनका सही प्रतिनिधित्व मिल सके।’

नेताओं ने किया जबरदस्त विरोध

लेटरल एंट्री को लेकर मोदी सरकार घिरती जा रही है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी, बसपा प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर जोरदार हमला बोला है। अब आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने सरकार पर निशाना साधा है। चंद्रशेखर ने कहा कि लेटरल एंट्री से भर्ती सीधे-सीधे पिछड़ों और दलितों के साथ अन्याय है। इसके अलावा चंद्रशेखर ने लिखा हैं कि लैटरल एंट्री को वापस लेने कब बाद एक नया फरमान सुनाया गया है। जो कृषि अनुसंधान से जुड़ा है। तो आइये जानते हैं कि अन्य नेता और राजनैतिक पार्टियां इसे लेकर क्या कह रही हैं .

केंद्र के लेटरल एंट्री पर मायावती

बहुजन समाज पार्टी मुखिया और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा लेटरेल एंट्री की विज्ञापन भर्ती को रद्द करने पर पहली प्रतिक्रिया दी है. साथ ही मायावती के भतीजे ने भी इस फैसले का विरोध किया है .इसके अलावा बसपा चीफ ने दावा किया कि यह बसपा के कड़े विरोध का नतीजा है. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री ने मोदी सरकार से अहम मांग भी की.

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UPSC की लेटरल एंट्री रोक पर अखिलेश का तंज

इस आरक्षण विवाद के बीच सपा चीफ अखिलेश यादव का ताजा बयान सामने आया है.अखिलेश ने X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, “यूपीएससी में लेटरल एन्ट्री के पिछले दरवाजे से आरक्षण को नकारते हुए इस 45 नियुक्तियों की साजिश आखिरकार PDAकी एकता के आगे झुक गई है. और सरकार को अब अपना ये फैसला भी वापस लेना पड़ा है.

लेटरल एंट्री को लेकर मोदी सरकार पर बरसे खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘संविधान जयते। हमारे दलित, आदिवासी, पिछड़े और कमज़ोर वर्गों के सामाजिक न्याय के लिए कांग्रेस पार्टी की लड़ाई ने आरक्षण छीनने के भाजपा के मंसूबों पर पानी फेरा है। लेटरल एंट्री पर मोदी सरकार की चिट्ठी ये दर्शाती है कि तानाशाही सत्ता के अहंकार को संविधान की ताकत ही हरा सकती है।’

दिलीप मंडल मोदी के बहुत बड़े भक्त बनें

जहाँ कुछ लोग इस फैसले के खिलाफ है तो कुछ ने पीएम मोदी का समर्थन किया हैं . जैसे लेटरल एंट्री को जायज ठहराते हुए प्रो.दिलीप मंडल इसे नए युग की शुरुआत करार दे रहे हैं। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर नेहरू का, इंदिरा का, राजीव का, मनमोहन का और वाजपेयी का, सबका…पेंडिंग काम मोदी जी कर रहे हैं लिखा है । देखिये ….

 

जानें क्‍या है पूरा मामला

बता दें मोदी सरकार के आदेश पर 17 अगस्त को यूपीएससी ने 45 बड़े पदों पर लेटेरल एंट्री की मदद से भर्ती निकाली थी। इन पदों पर काम करने वाले अफसर ही ज्यादातर फैसले लेते हैं। सरकार का कहना है कि इन पदों पर आरक्षण लागू नहीं होगा क्योंकि ये सिंगल पोस्ट हैं। यानी हर पद के लिए सिर्फ एक ही सीट है।

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लेटरल एंट्री क्या है?

आप सोच रहे होंगे कि ये सरकारी लेटरल एंट्री क्या होती है? साधारण शब्दो में कहें तो लेटरल एंट्री का मतलब है कि सरकारी नौकरियों में बड़े पदों पर बाहर के लोगों को भर्ती करना। अब तक तो यही होता था कि सरकारी विभागों में नीचे के पदों से नौकरी शुरू होती थी और धीरे-धीरे तरक्की पाकर बड़े पदों पर पहुंचते थे। लेकिन अब सरकार चाहती है कि कुछ खास पदों के लिए बाहर के लोग भी आवेदन करें जिनके पास अनुभव और ज्ञान ज्यादा हो। हालांकि विरोध और एनडीए के सहयोगी दलों के सुझाव के बाद मोदी सरकार ने फैसला वापस ले लिया है। बता दें , शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी उपस्क से ये विज्ञापन हटा लेने को कहा है।

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