Maharashtra: दलित युवक को मंदिर में जाने से रोका, विरोध किया तो मारें डंडे, चप्पल और पत्थर; शिवसेना नेता और अन्य पर मामला दर्ज

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महाराष्ट्र में एक दलित युवक को मंदिर में प्रवेश करने से रोकने और उसके विरोध पर हमला करने के मामले में शिवसेना नेता विकास रेपाले और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

Maharashtra: दलित भी इंसान हैं और उन्हें वही सम्मान और अधिकार मिलना चाहिए जो अन्य सभी नागरिकों को मिलते हैं। दलितों को भी इंसान के रूप में समझा जाना चाहिए, क्योंकि उन्हें भी सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक समानता का पूरा अधिकार है। लेकिन वास्तविकता में, दलितों को अक्सर भेदभाव और अत्याचार का सामना करना पड़ता है। कभी मंदिरों में प्रवेश से रोकने की घटनाएं, कभी दलित लड़कियों के साथ बलात्कार, और तो कभी अन्य प्रकार की हिंसा और भेदभाव । आए दिन दलितों के साथ कुछ न कुछ होता रहता है।

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दलित को मंदिर जाने से रोका

हाल ही में महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक दलित युवक को मंदिर में प्रवेश करने से रोकने और उसके विरोध पर हमला करने का गंभीर मामला सामने आया है । जहां रेपाले ने दलित को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने से इनकार कर दिया और कहा कि वो बौद्ध धर्म से हैं, इसलिए वो मंदिर में नहीं जा सकता।

शिवसेना नेता विकास रेपाले पर केस दर्ज

इस मामले में, पुलिस ने शिवसेना नेता विकास रेपाले और उनके सहयोगियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों से रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है। आरोपियों पर हमला, गैरकानूनी सभा, दंगा भड़काने के लिए उकसाने और अन्य अपराधों के आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है और आगे की जांच जारी है।

दलित को डंडे मारें और चप्पल और पत्थर मारें

शिकायत के मुताबिक, शिवसेना नेता विकास रेपाले ने दलित युवक और उनके समुदाय के अन्य सदस्यों को मंदिर में प्रवेश से रोक दिया। और जब वो लोग पुलिस थाने में मामला दर्ज कराने जाने लगे तो भीड़ ने उन पर पत्थर फैंके। रेपाले ने उन्हें यह बताते हुए मंदिर में प्रवेश करने से मना किया कि वे बौद्ध धर्म से हैं और मंदिर में उनका आना उचित नहीं है। जब युवक और उनके साथी विरोध करने लगे, तो रेपाले ने उन्हें डंडे से मारने की कोशिश की। इसके साथ ही, उनके सहयोगियों ने चप्पलें फेंकी। इस घटना की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई गई है, और मामले की जांच जारी है।

दलित पर अत्याचार सरकार को नजर नहीं आता

दलित समुदाय के खिलाफ भेदभाव और अत्याचार की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन सरकार अब कहा है । क्यों सरकार और राजनीतिक दल अक्सर दलित मुद्दों पर केवल चुनावों में ध्यान देते हैं। चुनावों के दौरान दलितों के लिए बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन अक्सर इन वादों को वास्तविकता में पूरा नहीं किया जाता।

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दलित समुदाय को केवल वोट के रूप में देखा जाता है

दलित समुदाय को अक्सर केवल वोट बैंक के रूप में देखा जाता है, और उनके असली मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जाता। यह स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है जब राजनीतिक पार्टियां और सरकारें केवल चुनावी लाभ के लिए दलित मुद्दों को उठाती हैं, लेकिन वास्तविक सुधार और न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठातीं।

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