दिल्ली की राजनीति में दलितों की अनदेखी: केजरीवाल सरकार और कांग्रेस दोनों पर सवाल

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दिल्ली की राजनीति में जातिगत जनगणना और दलित अधिकारों पर राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। राहुल ने केजरीवाल सरकार को प्रदूषण, भ्रष्टाचार, और महंगाई के मुद्दों पर घेरा, जबकि केजरीवाल ने कांग्रेस पर दलितों के लिए सिर्फ दिखावटी राजनीति करने का आरोप लगाया। दोनों दलों की नीतियों से दलित समुदाय को ठोस लाभ न मिलने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जाति सर्वेक्षण और दलित अधिकार अब सियासी एजेंडा बन गए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका क्रियान्वयन अधूरा है।

दिल्ली में राजनीतिक विमर्श जातिगत जनगणना और दलित समुदायों के अधिकारों के मुद्दे पर केंद्रित हो गया है। राहुल गांधी की रैली और उनके बयान ने इसे और अधिक गर्मा दिया। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जातिगत जनगणना के मुद्दे पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना न होने से दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि कांग्रेस, जिसने दशकों तक देश पर शासन किया, खुद इस मुद्दे पर पहले कितनी गंभीर थी?

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दलित अधिकारों के लिए दिखावटी राजनीति

राहुल गांधी ने अपनी रैली में ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ का नारा तो दिया, लेकिन कांग्रेस के लंबे शासनकाल में दलित अधिकारों को लेकर किए गए कामों पर सवाल खड़ा होता है। राहुल गांधी ने दिल्ली में जातिगत सर्वेक्षण का वादा किया, लेकिन उनकी पार्टी के पिछले कार्यकालों में यह मुद्दा प्राथमिकता क्यों नहीं बना? वहीं दूसरी ओर, अरविंद केजरीवाल की सरकार भी दलित समुदाय के लिए बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणा करती रही है, लेकिन धरातल पर उनकी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। दिल्ली में झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले दलित परिवार आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और दलितों की बदहाली

अरविंद केजरीवाल ने जब सत्ता संभाली थी, तो उन्होंने दिल्ली को पेरिस बनाने का सपना दिखाया था। उन्होंने वादा किया था कि वह प्रदूषण को नियंत्रित करेंगे, लेकिन आज राजधानी की हवा सांस लेने लायक भी नहीं रही। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित दिल्ली की दलित और मजदूर आबादी हो रही है, जो निचले तबके में आती है और खुले वातावरण में काम करने को मजबूर है। दलित समुदाय के बच्चे जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं और बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।

केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप

केजरीवाल सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त शासन का दावा किया था, लेकिन हकीकत में क्या हुआ? दिल्ली के दलित बहुल इलाकों में स्कूलों और अस्पतालों की स्थिति बदतर है। सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक नहीं पहुंच रहा। दलितों के नाम पर सब्सिडी और योजनाएं शुरू की गईं, लेकिन उनकी निगरानी और क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार व्याप्त है।

दलितों के हक के लिए संघर्ष बनाम राजनीतिक बयानबाजी

राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल दोनों ने दलितों के मुद्दे पर राजनीति की, लेकिन उनके कामों ने दलित समुदाय को कितना सशक्त किया, यह सवाल आज भी खड़ा है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों ही दल दिल्ली में दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी नीतियां और योजनाएं धरातल पर कारगर साबित नहीं हुईं।

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साझा जिम्मेदारी और दलितों के अधिकारों की मांग

दिल्ली की राजनीति में दलितों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस योजनाओं और उनकी निष्पक्ष क्रियान्वयन की आवश्यकता है। राजनीतिक दलों को चुनावी वादों से आगे बढ़कर दलितों के हक में काम करना होगा। जातिगत जनगणना जैसे मुद्दे केवल रैलियों और भाषणों तक सीमित नहीं रहने चाहिए। दलित समुदाय को उनके अधिकार दिलाने के लिए एकजुटता और ईमानदार प्रयास जरूरी हैं, जो वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कहीं नजर नहीं आते .

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