नगीना से लोकसभा सांसद और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद संसद के बाहर गुस्से में नजर आए। उन्होंने अपने दोनों हाथों में तख्ती ली हुई थी और कह रहे थे कि ऐसे लोगों को कुर्सी छोड़ देनी चाहिए..
PARLIAMENT NEWS : शुक्रवार 26 जुलाई को देश के दो बड़े राज्यों से दलित उत्पीड़न की दिल दहला देने वाली घटनाएं सामने आई। जिसमें एक घटना योगी सरकार द्वारा शासित उत्तर प्रदेश की है और दूसरी दलितों की कब्रगाह बन चुके राजस्थान की।
संसद के बाहर चंद्रशेखर आजाद कहते हुए सुनाई दिए कि, “ऐसे लोगों को कुर्सी छोड़ देनी चाहिए.. सीधी गोलियाँ लग रही है तलवारों से काटा जा रहा है उत्तर प्रदेश और राजस्थान में कोई सुनने वाला नहीं है। हमने स्पीकर साहब से कहा हमें बोलने का मौका दो तो कोई बुलवाने को राजी नहीं है तो हम क्या करें पार्लियामेंट में। अगर हम अपने लोगों की आवाज नहीं उठा सकते तो हम क्या करेंगे पार्लियामेंट में। सवाल ये है कि आजादी के इस अमृत काल में जिसका जिक्र प्रधानमंत्री करते हैं फिर भी लगातार हत्याएं हो रही हैं। आपकी योजनाओं का लाभ तो तब लेंगे ना जब जिंदा रहेंगे। जब जिंदा ही नहीं रहेंगे तो क्या करेंगे।
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शंकरलाल मेघवाल को काटकर मार दिया तलवार से पुलिस FIR नहीं लिख रही, गिरफ्तारी नहीं कर रही। राजकुमार जाटव को यहाँ मार दिया गोली से गाजियाबाद में समझौते का दबाव बना रहे हो, गुंडागर्दी कर रहे हो….क्या हम इंसान नहीं क्या हमारी माँओं को दर्द नहीं होता। कौन देगा इसका जवाब ? कुर्सी पर बैठे हो चिपक कर बैठे हो तो करो न्याय… और नहीं कर सकते तो छोड़ो कुर्सी किसके कहा है कुर्सी से चिपकने को। अभी एक बार सबक सिखाया है उत्तर प्रदेश में 2024 में और अगर नहीं समझ आया तो 2027 में पूरा सबक सिखाएगी जनता लेकिन ये दमन अब उत्तर प्रदेश में चलेगा नहीं..”
बता दें कि राजस्थान के उदयपुर से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जहाँ एक दलित समाज के शिक्षक शंकरलाल मेघवाल को दिन दहाड़े एक शख्स ने तलवार से काट दिया। इस घटना में शंकरलाल के पिता को भी गंभीर चोटें आई हैं और तलवार से उनका भी हाथ काटा गया है। घटना उदयपुर जिले के सलूंबर के जावर माइंस थाना क्षेत्र की है वहीं दलित समाज का पुलिस पुर गंभीर आरोप है कि घटना के बाद पुलिस काफी देरी से वहाँ पहुंची साथ ही अब चंद्रशेखर आजाद ने आरोप लगाया है कि पुलिस मामले में FIR नहीं लिख रही है और अपराधी की गिरफ्तारी भी अभी तक नहीं की है।
यह भी पढ़े : कांशीराम को भारत रत्न देने की उठी मांग, बसपा सुप्रीमो मायावती बोलीं “दलितों को गुमराह करना बंद करो”वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के मोदीनगर में रेलवे फाटक पर दो दलित युवकों को गोली मारने की घटना सामने आई है जिसमें राजकुमार जाटव की मौत हो गयी।
बहरहाल दोनों ही मुद्दे संवेदनशील है और न्याय के लिए लंबित है। चंद्रशेखर आजाद ने इन दोनों ही मुद्दों पर संसद में बात रखनी चाही थी लेकिन उनके ही मुताबिक उन्हें संसद में इस मुद्दे पर बोलने नहीं दिया गया जिसके बाद वो तख्ती लेकर संसद के बाहर बोलने लगे। उनकी तख्ती पर लिखा था राजस्थान, उत्तर प्रदेश में दलित, आदिवासियों की हत्या बंद करो.. शंकरलाल मेघवाल और राजकुमार जाटव के हत्यारों को गिरफ्तार करों।
चंद्रशेखर का संसद के बाहर यह कहना कि अगर हम अपने लोगों की आवाज नहीं उठा सकते तो हम क्या करेंगे पार्लियामेंट में एक घटना की याद दिलाता है। घटना 18 जुलाई 2017 की है जब बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने यह कहते हुए राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था कि, “जब मैं अपने समाज की आवाज ही सदन में उठा सकती, जब मुझे यहाँ बोलने का मौका ही नहीं दिया जा रहा तो मुझे कोई अधिकार नहीं इस सदन में रहने का। मैं आज ही सदन से इस्तीफा देती हूँ..।
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
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