झारखंड और जेएमएम के लिए कितनी जरूरी थी हेमंत सोरेन की जमानत

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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कोर्ट ने जमानत दे दी है। अब जब वह जेल से बाहर आ जाएंगे तो क्या आते ही झारखंड में होने वाले चुनावों में सक्रिए दिखेंगे और झारखंड और जेएमएम के लिए हेमंत सोरेन को मिली जमानत कितनी जरूरी है पढ़िए.. 

 

शुक्रवार 28 जून को झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने पूरे 6 महिने बाद एक जमीनी घोटाले के मामले में जेल में बंद हेमंत सोरेन को जमानत दे दी। जानकारी के मुताबिक शनिवार 29 जून को हेमंत सोरेन जेल से बाहर आ सकते हैं। बतातें चलें कि इसी साल जमीन पर अवैध कब्जे और घोटाले के मामले में हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को ED ने गिरफ्तार किया था।

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6 महिने से बंद हैं जेल में:

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को शुक्रवार को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए जमानत दी है। हेमंत सोरेन जो झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री है पिछले 6 महिने से झारखंड की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में बंद है। जानकारी के मुताबिक 29 जून को वह जेल से बाहर आ सकते हैं। इस दौरान कई बार उनकी जमानत से जुड़ी बातें बाहर आती रही। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन एक ही मामले में जेल में बंद है लेकिन लोकसभा चुनावों के दौरान अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गयी थी। वहीं हेमंत सोरेन को जेल में ही रखा गया था।

किस मामले में हुई जेल :

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईडी का कहना है कि बरियातू की 8.86 एकड़ जमीन पर हेमंत सोरेन का अवैध कब्ज़ा है। इस जमीन के कागजों में भले ही हेमंत का नाम नहीं है लेकिन पीएमएलए के तहत जमीन पर कब्जा अपराध है। मीडिया एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक कोर्ट में दलील पेश करते हुए हेमंत सोरेन को वकील और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मीनाक्षी अरोड़ा ने कहाजमीन छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के तहत, “भुईंहरी” नेचर की है और इसे किसी भी स्थिति में किसी व्यक्ति को बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। इस जमीन की लीज राजकुमार पाहन के नाम पर है। इससे हेमंत सोरेन का कोई संबंध नहीं है।

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चुनावों में मिली बड़ी राहत :

कहा जा रहा है कि हाईकोर्ट का ये फैसला हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी जेएमएम यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए बड़ी राहत है क्योंकि झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक है और ऐसे में चुनावों में हेमंत सोरेन को जेल से बाहर रहने उनकी पार्टी की स्थिति के बेहतर रहेगा। बताते चलें कि 31 जनवरी को जब हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार किया था तो उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस दौरान पार्टी की कमान चंपई सोरेन ने संभाली थी। वहीं लोकसभा चुनावों में हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने जी जान से मेहनत की थी और पार्टी के कामकाज में भी योगदान दिया था। बता दें कि इस्तीफा देने से पहले हेमंत सोरेन देश में एकमात्र आदिवासी मुख्यमंत्री थे।  

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