DELHI MUNDKA : देश की राजधानी दिल्ली में गटर की सफाई करते हुए जहरीली गैस से फिर दो लोगों की मौत

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राजधानी दिल्ली में फिर एक बार मेनहोल की सफाई के दौरान जहरीली गैस से दो लोगो की मौत हो गई। मामला दिल्ली के मुंडका में स्थित लोकनायक पुरम बक्करवाला के हाईवे अपार्टमेंट का है। वहीं मरने वाले दोनो युवकों की पहचान रोहित और अशोक कुमार की गई है। फिलहाल दोनो के शव पोस्टमार्टम के लिए  संजय गांधी हॉस्पिटल में हैं। बता दें कि रोहित चांडिल्य अपार्टमेंट में सफाई का काम करता था और अशोक कुमार अपार्टमेंट में सिक्योरिटी गार्ड था।

सैप्टिक टैंक की जहरीली गैस से हुई मौत: 

घटना शुक्रवार देर शाम की बताई जा रही है जब अपार्टमेंट के लोगो की मेनहोल में ब्लॉकिज की शिकायत पर रोहित ब्लॉकिज साफ करने पहुंचा था। लेकिन मेनहोल की जहरीली गैस से वो बेहोश हो गया। मौके पर सिक्योरिटी गार्ड अशौक कुमार मोजूद था जो रोहित को बचने के लिए मेनहोल में उतर गया। रोहित के साथ अशोक कुमार भी गैस से बेहोश हो गया।

image credit : social media

कुछ स्थानीय लोगो ने दोनो को बचाने की कोशिश की रोहित औऱ अशोक मेनहोल के काफी अंदर थे। घटना की सूचना पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने जेसीबी और हथौड़े का इंतजाम कर मेनहोल के आस पास की जगह को तोड़ कर दोनो को बाहर निकाला। इलाज के लिए दोनो को पास के अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने दोनो को मृत घोषित कर दिया।

उसे मेनहोल में जाने के लिए किसने और क्यों कहा?

दोनो की मौत पर सवाल उठ रहें है… मतृक रोहित के परिजनो का कहना है कि रोहित सोसाइटी के प्रधान के अंडर केवल सोसाइटी की साफ साफाई का काम करता था। उसे मेनहोल में जाने के लिए किसने और क्यों कहा? दोनो की मौत का कारण ये भी है कि दोनो में से किसी ने भी कोई सुरक्षा उपकरण नहीं पहना था। ना तो सोसाइटी की तरफ से और न ही सफाई विभाग द्वारा उन्हें कोई उपकरण मुहय्या कराया गया।

बता दें कि अगर सफाई कर्मचारियों को मेनहोल मे भेजा जाता है तो करीबन 27 नियमों का पालन किया जाता है। लोकिन दिल्ली और देश के किसी अन्य राज्य में ये पहली बार नहीं है जब नियमों और जीवन को यूं ताक पर रखा गया हो।

खोखलें हैं सरकार के वादे: 

बीते पांच सालों में सैप्टिक टैंक में जान गवाने वाले लोगो का आँकड़ा 347 है। इसमें भी सबसे ज्यादा मौत यूपी में दर्ज की गई हैं। जुलाई महिने में लोकसभा में एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने  ये आँकड़ा पेश किया था।  इस आँकड़े के मुताबिक पूरे देश में साल 2017 में 92, 2018 में 67, 2019 में 116, 2020 में 19, 2021 में 36 और 2022 में रोहित औऱ अशोक कुमार को जोड़कर अब तक 17 मौतें हो चुकी हैं।

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लोकसभा में ही मंत्री वीरेंद्र कुमार ने ऐसी घटनाओं को कम करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए उपायों का उल्लेख किया था। उहोंने बताया था कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की घटक प्रयोगशाला ने एक प्रणाली तैयार की है। जिसमें 5000 की जनसंख्या वाले शहरी और स्थानीय निकायों में नाली की साफ सफाई मशीनो द्वारा कि जाएगी। ये मशीने 300 मिमी तक की सीवर लाइन की ब्लॉकिज को साफ कर सकती हैं।

उन्होंने ये भी कहा था कि सरकार ने मैला ढोने वालों के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं। लेकिन दुर्भाग्य ये है कि योजनाएं और प्रणालियाँ केवल कागज़ो पर सीमीत हैं। सीवेज से जुड़े 27 नियमों का उल्लंधन भी लगातार हो रहा है। संसद में सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक देश में मैला ढोने वाले 58,098  लोगो में 42,594 अनुसूचित जाति के हैं औऱ 421 अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखते हैं।

 

 

 

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