एटा में दलितों की दो टूक, वो बाबा साहेब को नहीं मानते तो हम भी उनके राम को नहीं मानते…

Share News:

एक कहावत है जैसे को तैसा और इस कहावत को सही मायने में अगर समझना है तो यूपी के एटा में हाल ही मै जो एक घटना हुई है उससे आप समझ सकते हैं. दरअसल 25 मई को UP के एटा के जलेसर कोतवाली क्षेत्र के गांव जैनपुरा में दलितों ने सवर्णों की कलश यात्रा रोक दी. जानकारी के मुताबिक करीब दो घंटे पुलिस ने समझाइश की जिसके बाद भागवत कथा के लिए सवर्णों द्वारा की जा रही कलश यात्रा पूरी हो सकी. इस बीच सवर्णों ने बड़े गंभीर आरोप दलितों पर लगा दिए कि उन्होंने लाठियों और पत्थरों के बल पर कलश यात्रा रोकी. लेकिन जब दलितों ने अपनी बात रखी तो इस पूरे मामले में सही कौन और गलत कौन बताना मुश्किल हो गया.

दलित समाज ने कहा कि 14 अप्रैल को जब अंबेडकर जयंती पर बाबा साहेब की शोभा यात्रा निकाली जा रही है थी और शोभा यात्रा सवर्णों के मोहल्ले में पहुंची तो सवर्णों ने ये कह कर शोभा यात्रा रोक दी की बिना परमिशन यात्रा नहीं निकलने देंगे. जब हमारी बारी आई तो हमने भी यही किया. उन्होंने आगे कहा कि जब बिना परमिशन अंबेडकर शोभा यात्रा नहीं निकल सकती तो बिना परमिशन कलश यात्रा भी नहीं निकल सकती.

यह भी पढ़ें : धड़क 2 पर भी चली CBFC की कैंची, फिल्म से हटाए गए जातिवाद दिखाने वाले सीन…

यूपी तक की ग्राउंड रिपोर्ट में दलितों ने ये भी बताया कि उन्होंने य़ानी स्वर्णों ने  हमारे बाबा साहेब की रैली रोकी और चैलेंज देकर हमारी बस्ती से कलश यात्रा निकाल रहे थे, इसलिए हमने उनकी यात्रा रोक दी. दलितों ने स्वर्णों द्वारा जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने की बात भी कही. उन्होंने ये भी कहा कि गाँव के ठाकुरों का कहना था कि पहले कभी डॉ.अम्बेडकर जयन्ती इस गाँव से नहीं निकली तो अब भी नहीं निकलेगी।

अब इस पूरी घटना के बाद कुछ मनुवादी लोगों ने दलितों को दबंग बताते हुए सोशल मीडिया पर उन्हें विलेन बनाना शुरू कर दिया. कहा कि चारपाई, लकड़ी, ड्रम लगा कर दबंगो ने सड़क का रास्ता बंद कर दिया। चिलचिलाती धूम में काफ़ी देर तक सिर पर कलश लेकर महिलाएं खड़ी रहीं. प्रशासन को जांच करनी चाहिए कि ये गुंडे नवबौद्ध तो नहीं बन चुके हैं?

नए भारत में ये सब न्यू नॉर्मल कैसे होता जा रहा है? ये दबंगई, ये गुंडई कब और कैसे रुकेगी? वहीं यूपी तक की ग्राउंड रिपोर्ट में कलश यात्रा निकाल रहे राजपूत समाज के लोगों ने इस पूरी घटना के लिए भीम आर्मी जैसे संगठनों को दोषी बताया. उन्होंने कहा जब से भीम आर्मी जैसे संगठन आए है तब से इस तरह के उपद्रव होने लगे हैं.

इस पूरे मसले पर बी मिशन के पत्रकार विशाल जाटव से जब एटा के दलितों ने बात की तो उन्होंने कहा कि जब वो लोग यानी स्वर्ण हमारे बाबा साहेब को नहीं मानते तो हम भी उनके राम को नहीं मानते. वहीं प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए उन्होंने ये भी कहा कि हमें किसी भी कलश यात्रा और भागवत कथा से कोई दिक्कत नहीं है खूब कीजिए. लेकिन प्रशासन की तरफ से ये कौन सा न्याय है या कौन सा मापदंड है कि कलश यात्रा को बिना परमिशन   निकाला जाता है और हमारे कार्यक्रम के लिए हमें परमिशन भी नहीं दी जाती.

यह भी पढ़ें : 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर क्या है बसपा की रणनीति ? पढ़िए

माइक पर बोलते हुए एक दलित युवक ने ये भी कहा कि हम बाबा साहेब की विचारधारा को मानते हैं. हम 100 दिन भेड़ बनकर नहीं बल्कि 10 दिन शेर बनकर जिएंगे. बहरहाल दोनों पक्षों की बात पर अगर गौर किया जाए तो इस पूरी घटना में सबसे बड़ी कमी प्रशासन की नजर आती है. एक तरफ दलित समाज जिसके लिए अंबेडकर भगवान के समान है. वहीं दूसरी तरफ हिंदु समाज जिसके लिए भागवत कथा या कलश यात्रा धार्मिक आस्था का विषय है. ऐसे में दलित समाज को यात्रा की परमिशन ना देना और हिंदु समाज की कलश यात्रा को बिना परमिशन निकलवा देना सरासर गलत है.

बताते चलें कि एटा के दलित समाज के इस कदम की सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है. कहा जा रहा है कि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि आत्मसम्मान और स्वाभिमान से बढ़कर कुछ भी नहीं है। उत्तर प्रदेश के जिला एटा के जलेसर थाना क्षेत्र के गांव जैनपुरा में अम्बेडकरवादियों के आत्मसम्मान व संघर्ष को सलाम है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

error: Content is protected !!