नरहरपुर गांव में आरएसी सेंटर निर्माण के दौरान दलित मजदूर पर चार लोगों ने हमला कर काम रुकवा दिया। ग्राम प्रधान की शिकायत पर पुलिस ने एसपी के निर्देश पर आरोपियों के खिलाफ दलित उत्पीड़न और अन्य धाराओं में केस दर्ज कर जांच शुरू की है।
विकास खण्ड सफीपुर की ग्राम पंचायत नरहरपुर में शासन के निर्देश पर बनाए जा रहे आरएसी सेंटर (कूड़ा संग्रह केंद्र) की जमीन पर स्वामित्व को लेकर उपजे विवाद ने दलित मजदूर पर अत्याचार का रूप ले लिया। 19 अक्तूबर को, गांव के निवासी विष्णुदत्त, राजीव, पंकज, और विदुर पांडेय ने महिला ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मनोज कुमार त्रिपाठी और दलित मजदूर श्रीराम कुरील के साथ गाली-गलौज करते हुए निर्ममता से मारपीट की। इस हमले का कारण ग्राम पंचायत में बनाए जा रहे कूड़ा संग्रह केंद्र के निर्माण का कार्य था, जिसे उक्त लोगों ने रोकने का प्रयास किया। घटना का नतीजा यह हुआ कि दलित मजदूर पर बुरी तरह हमला किया गया और कूड़ा संग्रह केंद्र के निर्माण कार्य को जबरन रुकवा दिया गया। आरोपियों की इस हरकत ने ग्राम पंचायत में तनाव का माहौल पैदा कर दिया और पंचायत के अन्य सदस्यों में डर और असुरक्षा का भाव उत्पन्न हो गया।
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शिकायत पर धीमी कार्रवाई से नाराजगी, फिर एसपी के हस्तक्षेप से मिली न्याय की उम्मीद
ग्राम प्रधान अंशिता त्रिपाठी ने इस घटना की शिकायत संपूर्ण तहसील समाधान दिवस में की थी। एसडीएम नवीन चन्द्र ने राजस्व टीम को जांच के निर्देश दिए, परंतु कार्रवाई में देरी होने पर ग्राम प्रधान ने एसपी दीपक भूकर के समक्ष गुहार लगाई कि दलित उत्पीड़न जैसे गंभीर मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई की जाए। एसपी दीपक भूकर ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत पुलिस को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए और राजस्व टीम की जांच आख्या प्राप्त करने के बाद ग्राम प्रधान की तहरीर पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ दलित उत्पीड़न सहित सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज किया।
दलितों के अधिकारों की रक्षा और आरएसी सेंटर निर्माण का समर्थन
आरएसी सेंटर के निर्माण को लेकर शासन ने जो निर्णय लिया था, वह ग्राम पंचायत के विकास और सफाई व्यवस्था को मजबूत बनाने के उद्देश्य से था। यह स्थान दलित मजदूरों के आजीविका का साधन बन सकता था और उन्हें रोजगार के अवसर भी प्रदान कर सकता था। ऐसे में दलित मजदूर पर हुए इस अन्याय को पंचायत ने न केवल एक व्यक्ति पर हमला माना बल्कि दलित समाज के अधिकारों पर भी आघात समझा। अंशिता त्रिपाठी की ओर से हुए इस विरोध और प्रशासनिक हस्तक्षेप ने दलित मजदूरों में एक बार फिर से न्याय की उम्मीद जगाई है।
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प्रशासन की सख्त कार्रवाई से मिलेगी भविष्य में उत्पीड़न से मुक्ति
एसपी दीपक भूकर के सख्त रुख ने यह साफ संदेश दे दिया है कि दलित समाज के किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार की अन्यायपूर्ण घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले में पुलिस ने तत्परता से कदम उठाते हुए न केवल आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि जांच में देरी न हो।
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