दलित युवक के आत्मदाह पर बोले चंद्रशेखर आजाद: “बीजेपी की राजनीति धर्म आधारित, हम समाजिक परिवर्तन के पक्षधर”

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UP के दलित युवक के आत्मदाह पर सांसद चंद्रशेखर आजाद ने बीजेपी सरकार को दलित विरोधी करार देते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने जितेंद्र की मौत को सरकार की विफलता बताया और कहा कि बीजेपी की राजनीति धर्म आधारित है, जबकि उनकी राजनीति सामाजिक परिवर्तन पर केंद्रित है। परिजनों से मिलकर न्याय दिलाने का आश्वासन देते हुए उन्होंने दलितों के अधिकारों की लड़ाई को नई दिशा देने की बात कही। 

छपरौली कस्बे के दलित युवक जितेंद्र के आत्मदाह की घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए भीम आर्मी के प्रमुख और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह घटना न केवल बीजेपी सरकार की विफलता है, बल्कि देश में दलित समुदाय के प्रति उनकी असंवेदनशीलता को भी उजागर करती है। चंद्रशेखर आजाद ने मृतक जितेंद्र के परिजनों से मुलाकात की और गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिया। उन्होंने कहा, “जितेंद्र की मौत हम सबके लिए एक चेतावनी है कि अगर हम आज नहीं जागे, तो आने वाले समय में और भी दलितों को ऐसे कदम उठाने पड़ सकते हैं।”

“बीजेपी की राजनीति धर्म पर, हमारी कर्म और बदलाव पर आधारित”

चंद्रशेखर ने इस घटना को बीजेपी सरकार की नीतियों का परिणाम बताते हुए कहा कि उनकी राजनीति धर्म के इर्द-गिर्द घूमती है, जबकि उनकी पार्टी सामाजिक बदलाव और कर्म पर आधारित है। उन्होंने कहा, “बीजेपी ने दलित समुदाय को हमेशा हाशिए पर रखा है। जितेंद्र जैसे नौजवान अपनी आवाज लेकर सरकार के सामने जाते हैं, लेकिन उन्हें न्याय की जगह उपेक्षा और प्रताड़ना मिलती है।” चंद्रशेखर ने बताया कि जितेंद्र उनके पास न्याय की उम्मीद लेकर आया था और संसद भवन के सामने आत्मदाह करने का कदम उठाने से पहले उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की थी।

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“सरकार की विफलता का प्रतीक है यह घटना”

चंद्रशेखर ने कहा कि जितेंद्र का आत्मदाह एक ऐसी त्रासदी है, जो सरकार की विफलताओं का आईना दिखाता है। उन्होंने कहा कि जितेंद्र को इस हद तक प्रताड़ित किया गया कि उसने अपने प्राणों की आहुति देने का फैसला किया। “इस सरकार के रहते दलितों को न्याय के लिए अपने प्राण गंवाने पड़ रहे हैं। यह बीजेपी सरकार के दलित विरोधी रवैये का जीता-जागता उदाहरण है।” चंद्रशेखर ने बताया कि छपरौली पहुंचने के बाद उनके पास 50 से अधिक ऐसे मामले आए, जहां दलितों की जमीनें हड़प ली गईं, उनके घरों पर कब्जा कर लिया गया, और उन पर अत्याचार किए गए, लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की।

“सामाजिक परिवर्तन की जरूरत, नई रणनीति का ऐलान”

चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी दलितों के न्याय और अधिकारों की रक्षा के लिए सामाजिक परिवर्तन का आंदोलन चला रही है। उन्होंने बीजेपी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं सुनी गईं, तो वह अपनी लड़ाई को एक नई दिशा देंगे। उन्होंने कहा, “हमारी राजनीति सामाजिक परिवर्तन पर आधारित है। अगर समाज में बदलाव होगा, तो किसी और जितेंद्र को अपने प्राण नहीं गंवाने पड़ेंगे।”

“न्याय दिलाने का वादा, दलितों की आवाज बुलंद करने का संकल्प”

जितेंद्र के परिजनों से मुलाकात के दौरान चंद्रशेखर ने हर संभव मदद और न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि यह घटना सरकार की कार्यप्रणाली और दलितों के प्रति उनकी उदासीनता को उजागर करती है। चंद्रशेखर ने मीडिया से कहा, “यह घटना हमारे लिए एक सबक है। हम दलितों के अधिकारों की लड़ाई को और मजबूत करेंगे और सरकार को उनकी जिम्मेदारियां याद दिलाएंगे।”

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चंद्रशेखर आजाद का यह बयान न केवल दलित समुदाय के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरा है, बल्कि सरकार की विफलताओं पर भी सवाल खड़े करता है। जितेंद्र की मौत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि दलित समुदाय को न्याय दिलाने के लिए एक सशक्त नेतृत्व और मजबूत रणनीति की जरूरत है।

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