भाजपा प्रत्याशी बनाये जाने के बाद जातिवादी कंगना रनौत सोशल मीडिया पर एक्सपोज, ट्वीटर ट्रेंड बना #Boycott_Casteist_Kangana

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कंगना रनौत जातिवादी मानसिकता का विषवमन करते हुए लिखती हैं, ‘हमारे घरों में PHD भी गर्व से खेती करते हैं, हम ज़मींदारों की ज़मीनें ना जाने कितने पीढ़ियों में बाँटती हैं फिर भी हम हाथ नहीं फैलते, मेरी बहन के पास 4 डिग्रियाँ हैं, यूनिवर्सिटी टॉपर है, भाई के पास 3 डिग्रियाँ हैं फिर भी जॉब नहीं, हम अपने दम पे आगे आते हैं….

Kangana Ranaut : आज सोशल मीडिया पर #Boycott_Casteist_Kangana ट्रेंड हो रहा है, जिसका कारण है उनकी घोर जातिवादी और बहुजन-आरक्षण विरोधी सोच। कंगना की कुछ पुरानी पोस्टें सोशल वायरल हो रही हैं, जिनमें वह अपने सवर्ण यानी राजपूत होने का दंभ भरते हुए जाति का विष उगलती नजर आ रही हैं। आरक्षण के खिलाफ जहर उगलती कंगना रनौत को भाजपा प्रत्याशी बनाये जाने पर एक बहुत बड़ा वर्ग विरोध कर रहा है। गौरतलब है कि रविवार 24 मार्च को भाजपा ने उन्हें हिमाचल प्रदेश की मंडी से पार्टी प्रत्याशी घोषित किया है, जिसके बाद वह लगातार सोशल मीडिया सनसनी बनी हुई हैं।

हालांकि इस बीच कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत के सोशल मीडिया एकाउंट से कंगना पर एक अपमानजनक पोस्ट डाला गया था, जिसके बाद निशाने पर सुप्रिया आ गयीं थीं। उस पोस्ट को हटाते हुए सुप्रिया श्रीनेत ने माफी मांगते हुए वीडियो डाला कि यह आपत्तिजनक टिप्पणी उनकी ओर से नहीं की गई है। मेरे फेसबुक और इंस्टा के अकाउंट पर कई लोगों का एक्सेस है। इसमें से किसी व्यक्ति ने आज एक बेहद घृणित और आपत्तिजनक पोस्ट किया था। मुझे जैसे ही इसकी जानकारी हुई मैंने वह पोस्ट हटा दिया। जो भी मुझे जानते हैं, वह यह अच्छी तरह से जानते हैं कि मैं किसी भी महिला के लिए व्यक्तिगत भोंडी बात नहीं करती हूँ।”

हालांकि यहां हम सुप्रिया श्रीनेत की पोस्ट पर बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि भाजपा प्रत्याशी कंगना पर कर रहे हैं, जिनकी घृणित जातिवादी सोच वह बार—बार वह भी खुले मंच से जाहिर करते रही हैं। इसीलिए मंडी से भाजपा द्वारा उन्हें प्रत्याशी घोषित किये जाने के बाद #Boycott_Casteist_Kangana ट्रेंड कर रहा है।

कंगना की 23 अगस्त, 2020 की एक पोस्ट ट्वीटर पर वायरल हो रही है, जिसके बाद उनका बॉयकॉट जोरों से जारी है। उस पोस्ट में कंगना रनौत लिखती हैं, ‘विशेष रूप से डॉक्टर, इंजीनियर, पायलट जैसे व्यवसायों में सबसे योग्य लोगों को आरक्षण का सामना करना पड़ता है, एक राष्ट्र के रूप में हम औसत दर्जे का सामना करते हैं और प्रतिभाशाली लोग अनिच्छा से संयुक्त राज्य अमेरिका भाग जाते हैं। शर्म की बात है।’

24 अगस्त 2020 की अपनी एक अन्य पोस्ट में कंगना रनौत जातिवादी मानसिकता का विषवमन करते हुए लिखती हैं, ‘हमारे घरों में PHD भी गर्व से खेती करते हैं, हम ज़मींदारों की ज़मीनें ना जाने कितने पीढ़ियों में बाँटती हैं फिर भी हम हाथ नहीं फैलते, मेरी बहन के पास 4 डिग्रियाँ हैं, यूनिवर्सिटी टॉपर है, भाई के पास 3 डिग्रियाँ हैं फिर भी जॉब नहीं, हम अपने दम पे आगे आते हैं।’

वरिष्ठ पत्रकार और चिंतक दिलीप मंडल कंगना रनौत की इस पोस्ट को साझा करते हुए लिखते हैं, ‘इस जहरीली औरत को पता नहीं है कि रिजर्वेशन से आए डॉक्टर ही कोरोना के दौरान सरकारी अस्पतालों को संभाल रहे थे और लाखों लोगों की जान बचा रहे थे। वैसे इसे ये भी नहीं पता होगा कि दिल्ली का सबसे बड़ा कार्डियोलॉजिस्ट और सर्जन दलित है।’

दिलीप मंडल कंगना को टिकट दिये जाने पर भाजपा को भी कटघरे में खड़ा करते हुए पूछते हैं, ‘बीजेपी बताए कि क्या आरक्षण और संविधान पर उसकी भी वही राय है जो जहरीली कंगना राणावत की राय है?’ वह कहते हैं, ‘इस बेवकूफ महिला को लगता है कि रिजर्वेशन नेपोटिज्म यानी भाई-भतीजावाद है और इससे देश का नुकसान हो रहा है। सोचिए कि ये अगर लोकसभा पहुंच गईं तो रिजर्वेशन के मैटर पर क्या करेंगी। रोकिए इसको। कंगना रनौत को संविधान और आरक्षण से दिक्कत है। भारत में तो संविधान और आरक्षण रहेगा। इनसे बचने के लिए कंगना को कहां चले जाना चाहिए? 85% SC, ST, OBC आबादी का अपमान करके अगर ये औरत लोकसभा पहुंच गई तो बहुत ही शर्म की बात होगी।’

अंबेडकर के विचारों को मानने वाले यशपाल मेघवंशी लिखते हैं, ‘कंगना ने हमेशा आरक्षण का विरोध किया है। आरक्षण का विरोध करना मतलब दलितों, आदिवासियो और पिछड़ों का विरोध करना। अब कंगना को पिछड़ी जाति वाले कोई भी वोट ना करे और इसको संसद में ना पहुँचने दें।’

वहीं बहुजन चिंतक कुश अंबेडकरवादी कहते हैं, ‘कंगना रनौत एक जातिवादी महिला है आरक्षण विरोधी है। यदि ऐसे जाहिल लोग लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत संसद जाएँगे तो वहाँ जाकर वो अपनी जातिवादी सोच से देश का बड़ा नुक़सान करेंगे। ऐसे लोगों को संसद जाने से रोकना ज़रूरी है।’

जेएनयू में रिसर्च फेलो परमिंदर अंबर लिखते हैं, ‘मैं जातिवादी कंगना का विरोध करता हूं। ऐसी जातीय दंभ से भरी हुई महिलाएं संसद में कैसे जा सकती हैं। लोकतंत्र का मंदिर अपमानित नहीं होना चाहिए। मैं अपना विरोध दर्ज करवाता हूं।’

मुकेश मोहन कहते हैं, ‘कंगना रनौत का संसद पहुंचना, देश की दलित आदिवासी, पिछड़ी, अल्पसंख्यक और महिला आबादी के मुंह पर तमाचा होगा।’

दीपेन्द्र अम्बेडकरवादी मांग करते हैं, ‘इस जातिवादी औरत को लोकसभा में पहुंचने से रोकिए। इनके आरक्षण विरोधी और संविधान विरोधी विचारों को हम देख चुके हैं। लोकसभा में जाकर भी ये वही करने वाली है।’

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