भोजपुरी सिंगर अनुपमा यादव पर नवादा, बिहार में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम से लौटते समय हमला हुआ, जिसमें उन्हें जातिगत धमकियां दी गईं। उन्होंने सोशल मीडिया पर बिहार में जातिवाद और नशे की समस्या पर चिंता जताते हुए कलाकारों से स्थानीय पुलिस को सूचित करने की अपील की।
बिहार के नवादा जिले में भोजपुरी गायिका अनुपमा यादव पर हुए हमले ने समाज में जातिवाद की गंभीर समस्या को एक बार फिर उजागर किया है। हाल ही में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम से लौटते समय अनुपमा यादव और उनके सहयोगियों पर हमला किया गया, जिसमें उनके एक सहयोगी गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना ने न केवल अनुपमा को परेशान किया, बल्कि पूरे भोजपुरी जगत में इस पर चर्चा शुरू कर दी है। अनुपमा ने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा कि उन्हें यह कहा गया कि यह भूमिहारों का गांव है और उन्हें यहां गोली मारने की धमकी दी गई।
कलाकारों की सुरक्षा को लेकर अनुपमा की अपील
इस घटना के बाद अनुपमा यादव ने अपने पोस्ट में सभी भोजपुरी कलाकारों से अपील की है कि वे नवादा क्षेत्र में किसी भी कार्यक्रम से पहले स्थानीय थाना में सूचित करें। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है ताकि भविष्य में किसी भी कलाकार के साथ ऐसा न हो। उन्होंने याद दिलाया कि इससे पहले भोजपुरी गायक गोलू राजा के साथ भी नवादा में ऐसी ही एक घटना हुई थी। अनुपमा ने कहा, “हम कलाकार हैं और लोगों के प्रेम से बुलाए जाते हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं हमारे लिए बहुत डरावनी हैं।”
जातिवाद और नशे की समस्या
अनुपमा यादव ने बिहार में जातिवाद के प्रभाव को भी उजागर किया, कहकर कि “यह बात मानना पड़ेगा कि बिहार में जातिवाद बहुत ज्यादा है।” उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा कि उनकी गाड़ी को नुकसान पहुंचाया गया और उनके भाइयों के साथ अभद्रता की गई। उन्होंने इस घटना के पीछे नशे की समस्या को भी जिम्मेदार ठहराया और कहा कि “बिहार में शराब बंद है, क्योंकि नशे में इंसान अपने आपको भूल जाता है।”
पुलिस में शिकायत और कलाकारों की प्रतिक्रियाएं
इस घटना के बाद अनुपमा यादव ने वारसलीगंज थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है, जबकि उनके सहयोगी वरुण पासवान ने एससी/एसटी थाना में अपनी शिकायत दर्ज कराई है। वरुण भी इस हमले में घायल हुए हैं और उनका इलाज नवादा में ही कराया गया है। इस घटना ने भोजपुरी सिनेमा जगत में कई प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं और कलाकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता को उजागर किया है। अब सभी की नजर इस मामले पर है कि पुलिस इस घटना की जांच कैसे करती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
इस हमले ने न केवल भोजपुरी कला को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि हमारे समाज में जातिवाद और नशे की समस्याओं के खिलाफ क्या प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।