साहित्य चोरी का नियम 2018 में आया है, मैंने रिसर्च पेपर 2010 में जमा किया था। 2019 से शोध प्रबंध की जांच आर्केड साफ्टवेयर से की जाती है। 2020 में मेरे शोध का परीक्षण कराया गया था। अगर कार्पी मिलती भी है यानी अगर किसी और के रिसर्च पेपर से समानता पाई जाती है तो भी 10 प्रतिशत तक छूट होती है। मेरे मामले में केवल सात प्रतिशत कापी मिली है फिर भी मेरी नहीं सुनी गई। वैसे ऐसा कृत्य आम हैं, लेकिन मेरे खिलाफ अनुसूचित जाति का होने के कारण ये कार्यवाही की गयी है।
BANARAS HINDU UNIVERSITY: शिक्षण संस्थानों में दोर्णाचार्य केवल दलित, आदिवासी छात्रों के ही अंगूठे नहीं काट रहें हैं बल्कि दलित, आदिवासी शिक्षकों के भी अंगूठे काटे जा रहें हैं। हालिया मामला उत्तर प्रदेश की बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी का है। जहां एक दलित प्रोफेसर अशोक कुमार सोनकर की पीएचडी डिग्री रदद् कर दी गयी है। रद्द करने के पीछे कारण ये बताया गया है कि अशोक कुमार ने अपनी पीएचडी में 7 प्रतिशत की साहित्यिक चोरी की है। जिसके चलते उनकी पीएचडी की डिग्री उनसे छीन ली गयी है। अब अशोक कुमार अपने नाम के साथ डॉक्टर की उपाधि तब तक नहीं लगा पाएंगे जब तक वह वापस पीएचडी की रिसर्च नहीं कर लेते। जिसे पूरा करने के लिए उन्हें 2 साल की अवधि दी गयी।
वीडियो देखिये : https://youtu.be/FgX2YME_QYY?si=Ks5MB3arPuEvZ3yT
अपनी डिग्री छीने जाने के बाद दलित प्रोफेसर अशोक सोनकर का दर्द छलका और उन्होंने कहा कि, मेरे साथ ये इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मैं अनुसूचित जाति से आता हूँ। उन्होंने कहा, ” साहित्य चोरी का नियम 2018 में आया है, मैंने रिसर्च पेपर 2010 में जमा किया था। 2019 से शोध प्रबंध की जांच आर्केड साफ्टवेयर से की जाती है। 2020 में मेरे शोध का परीक्षण कराया गया था। अगर कार्पी मिलती भी है यानी अगर किसी और के रिसर्च पेपर से समानता पाई जाती है तो भी 10 प्रतिशत तक छूट होती है। मेरे मामले में केवल सात प्रतिशत कापी मिली है फिर भी मेरी नहीं सुनी गई। वैसे ऐसा कृत्य आम हैं, लेकिन मेरे खिलाफ अनुसूचित जाति का होने के कारण ये कार्यवाही की गयी है।
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इस मामले पर लखनऊ यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर रवि कांत ने सोशल मीडिया पर लिखा, ” सिर्फ 7 फीसदी कॉपी के आरोप में BHU के असिस्टेंट प्रोफेसर अशोक कुमार सोनकर की Ph D रद्द करने का फरमान जारी हो गया। हिम्मत है तो सबकी थीसिस की जांच कराकर देखो! दलित की डिग्री छीनना कितना आसान है! द्रोणाचार्य बैठे हुए हैं! जब तक इनका यानी द्रोणाचार्य का अंगूठा नहीं काटा जाएगा, तब तक न्याय नहीं मिलेगा!
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अब ये भी जान लीजिए कि बीएचयू के अन्य प्रोफेसर ने इस मामले पर क्या कहा, बीएचयू के कंट्रोलर ऑफ एजुकेशन एनके मिश्रा ने कहा, “अकादमिक परिषद की तरफ से अशोक कुमार सोनकर के खिलाफ कार्रवाई की गई है। उनसे पीएचडी की डिग्री वापस ली गई है। ऐसे कृत्यों पर सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए। वहीं बीएचयू में सामाजिक विज्ञान संकाय की डीन
प्रो. बृंदा परांजपे ने कहा, अशोक कुमार सोनकर पर अपनी साहित्य चोरी के आरोप साबित हो चुके हैं। यह बहुत गंभीर अपराध है और उन्हें मिली सजा बहुत कम है। विश्वविद्यालय को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि उदहारण बने।”
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