बदलापुर यौन शोषण : ‘अगर स्कूल सुरक्षित नहीं हैं, तो शिक्षा के अधिकार का क्या फायदा,’ बॉम्बे हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी

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महाराष्ट्र के बदलापुर के एक स्कूल में दो बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण के मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. इस मामले ने पूरे देश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बच्चों की सुरक्षा और न्याय प्रणाली में सुधार की कितनी आवश्यकता है। हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणियां कीं और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाये।

Badlapur sexual assault Case : महाराष्ट्र के बदलापुर के एक स्कूल में दो बच्चियों के साथ हुए यौन उत्पीड़न की घटना पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को तल्ख टिप्पणी की। जिसमें कोर्ट ने सवाल उठाया कि अगर स्कूल जैसे संस्थान भी सुरक्षित नहीं हैं, तो शिक्षा के अधिकार पर चर्चा करना बेकार है। बीते सप्ताह, चार साल की दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न की घटना के बाद समाज में गहरा आक्रोश फूट पड़ा और विरोध-प्रदर्शन हुए। कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई की, जो दर्शाता है कि अदालत इस गंभीर मुद्दे को गंभीरता से ले रही है।

कोर्ट ने पुलिस और राज्य सरकार पर उठाए सवाल

कोर्ट ने पुलिस और राज्य सरकार को केस दर्ज करने में हुई लापरवाही पर फटकार लगाई। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण ने स्थिति को चौंकाने वाला बताते हुए पूछा कि क्या बच्चियों ने स्कूल के जिम्मेदार लोगों से उत्पीड़न की शिकायत की थी, और यदि हां, तो क्या पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया। इस प्रश्न ने कानूनी प्रक्रिया की अनुपालना पर ध्यान केंद्रित किया।

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बड़े पैमाने पर हो रहा विरोध प्रदर्शन

गौरतलब है कि स्कूल के एक पुरुष सहायक द्वारा दो बच्चियों का कथित बदलापुर में यौन उत्पीड़न की घटना के विरोध में मंगलवार को बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुआ। प्राधिकारियों ने शहर में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दीं। पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के सिलसिले में 72 लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपी को 17 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था, जिसने स्कूल के शौचालय में बच्चियों का कथित यौन उत्पीड़न किया। एक स्थानीय अदालत ने उसकी पुलिस हिरासत की अवधि 26 अगस्त तक बढ़ा दी है।

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महिला सहायिका को किया निलंबित

सरकार ने बच्चियों के यौन उत्पीड़न की जांच के लिए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरती सिंह की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने त्वरित सुनवाई और दोषियों को दंडित करने का आश्वासन दिया है। स्कूल प्रबंधन ने प्राचार्य, एक कक्षा अध्यापक और एक महिला सहायिका को निलंबित कर दिया है, जबकि राज्य सरकार ने जांच में लापरवाही के आरोप में तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि बच्चियों के माता-पिता को पुलिस थाने में 11 घंटे इंतजार करना पड़ा और उसके बाद ही उनकी शिकायतों पर ध्यान दिया गया।

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ये है मामला : 

बदलापुर के एक नामी स्कूल में 12 और 13 अगस्त को दो बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटना सामने आई है। पीड़ितों में एक चार साल की और दूसरी छह साल की है। आरोपी अक्षय शिंदे, जो 1 अगस्त, 2024 को अनुबंध पर टॉयलेट साफ करने के लिए स्कूल में भर्ती हुआ था, को गिरफ्तार कर लिया गया है। स्कूल ने लड़कियों के शौचालयों की सफाई के लिए कोई महिला कर्मचारी नियुक्त नहीं की थी, और आरोपी ने इस स्थिति का फायदा उठाते हुए बच्चियों के साथ बदसलूकी की।

 

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