गणतंत्र दिवस पर अमृतसर में बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा और संविधान की प्रतीकात्मक पुस्तक से बेअदबी की घटना ने दलित समाज को आक्रोशित कर दिया। आरोपित की पहचान आकाश सिंह के रूप में हुई है, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। दलित संगठनों ने भंडारी पुल पर प्रदर्शन कर सीबीआई जांच की मांग की और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घटना की निंदा की, जबकि विपक्ष ने इसे सरकार की विफलता बताया। प्रदर्शनकारियों ने न्याय की मांग करते हुए चेतावनी दी कि दोषियों पर कार्रवाई न होने पर आंदोलन तेज होगा।
गणतंत्र दिवस के दिन, जब पूरा देश संविधान और लोकतंत्र की गरिमा का जश्न मना रहा था, अमृतसर के टाउन हॉल के पास एक युवक द्वारा बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर हथौड़ा मारने और वहां स्थित संविधान की प्रतीकात्मक पुस्तक को जलाने की घटना ने दलित समाज को गहरे सदमे में डाल दिया। इस घटना ने न केवल दलित समाज की अस्मिता पर हमला किया बल्कि संविधान के प्रति देश की प्रतिबद्धता पर भी सवाल खड़े कर दिए। यह घटना थाना कोतवाली से महज 150 कदम की दूरी पर हुई, जो यह दर्शाता है कि प्रशासनिक व्यवस्था कितनी लचर है।
भंडारी पुल पर उग्र प्रदर्शन: दलित संगठनों ने सरकार को घेरा
घटना के बाद अमृतसर में दलित संगठनों और संत समाज का गुस्सा फूट पड़ा। धूना साहिब के महंत मलकियत नाथ, महंत गिरधारी लाल, संत बाबा बलवंत नाथ समेत सैकड़ों लोगों ने भंडारी पुल पर पंजाब सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की और मांग की कि इस घटना की जांच सीबीआई से कराई जाए। उनका कहना था कि केवल निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच ही इस घटना के पीछे छिपे असली कारणों और दोषियों को उजागर कर सकती है। प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि दलितों और उनके प्रतीकों के प्रति सरकार और प्रशासन की उदासीनता बार-बार ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देती है।
आरोपित की पहचान और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
पुलिस ने इस घटना में शामिल युवक की पहचान धर्मकोट के आकाश सिंह के रूप में की है और उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। हालांकि, इस घटना के बाद सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। दलित संगठनों ने पूछा कि टाउन हॉल जैसी संवेदनशील जगह, जो हेरिटेज स्ट्रीट और श्री हरमंदिर साहिब के पास स्थित है, वहां सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर कैसे हो सकती है? यह घटना प्रशासन की असफलता का स्पष्ट उदाहरण है, क्योंकि इतनी महत्वपूर्ण जगह पर तैनात सुरक्षा कर्मचारी भी इस तरह की घटना को रोकने में नाकाम रहे।
मुख्यमंत्री भगवंत मान की निंदा और विपक्ष का हमला
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों को सख्त सजा देने का आश्वासन दिया। उन्होंने प्रशासन को जांच तेज करने और दोषियों को सजा दिलाने का निर्देश दिया। हालांकि, विपक्ष ने इस घटना को लेकर सरकार पर तीखा हमला किया। पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि गणतंत्र दिवस जैसे दिन पर आंबेडकर की प्रतिमा और संविधान की प्रतीकात्मक पुस्तक के साथ हुई यह घटना न केवल निंदनीय है, बल्कि यह सरकार और प्रशासन की विफलता का भी प्रमाण है। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच एक सिटिंग जज से कराई जानी चाहिए, क्योंकि जनता का किसी अन्य एजेंसी पर भरोसा नहीं है।
संविधान की रक्षा और दलित समाज के अधिकारों की मांग
इस घटना ने दलित समाज को एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उनके अधिकार और उनके प्रतीकों की सुरक्षा कितनी कमजोर है। यह घटना केवल एक मूर्ति को तोड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दलित समाज के आत्मसम्मान और उनके अधिकारों पर हमला है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर दोषियों को सख्त सजा नहीं दी गई और प्रशासन ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए, तो उनका आंदोलन और तेज होगा।
सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी
यह घटना प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारियों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जब संवेदनशील स्थानों पर भी सुरक्षा का यह हाल है, तो आम जनता और समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा की गारंटी कैसे दी जा सकती है? यह समय है कि सरकार केवल बयानबाजी तक सीमित न रहे, बल्कि दलित समाज के अधिकारों और उनकी अस्मिता की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए। दलित समाज ने एक बार फिर अपनी एकता और संघर्ष क्षमता का परिचय दिया है। यह घटना सरकार के लिए चेतावनी है कि अगर दलित समाज की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो उनके गुस्से की आग दूर तक जाएगी।
न्याय की उम्मीद और भविष्य की दिशा
अमृतसर में हुई इस घटना ने संविधान की गरिमा और दलित समाज की अस्मिता पर सवाल खड़े किए हैं। अब यह सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे दोषियों को सजा देकर दलित समाज का विश्वास जीतें और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। दलित समाज ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने अधिकारों और अपने प्रतीकों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे। यह घटना संविधान, दलित समाज, और लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक मजबूत और समर्पित प्रयास की मांग करती है।
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।