मध्य प्रदेश में दलित बस्ती पर हमला हुआ, जिसमें कथित रूप से बीजेपी समर्थकों ने वोट नहीं देने पर कई दलित घरों में आग लगा दी, पत्थरबाजी की, और अंबेडकर की प्रतिमा तोड़ दी। घटना के दौरान पुलिस की गाड़ियाँ मौके पर मौजूद थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
मध्य प्रदेश के विजयपुर में दलित बस्ती पर हमले की दर्दनाक घटना सामने आई है। बताया जा रहा है कि गांव के कुछ लोगों ने दलित समुदाय के घरों पर हमला इसलिए किया क्योंकि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को वोट नहीं दिया था। इस घटना ने पूरे इलाके में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। यह हमला गोहटा गांव में बुधवार देर रात हुआ, जब कथित रूप से बीजेपी से जुड़े कुछ दबंग लोगों ने गांव में घुसकर दलितों के घरों को निशाना बनाया, उनके घरों में तोड़फोड़ की और कई झोपड़ियों को आग के हवाले कर दिया। इस घटना के बाद इलाके में तनाव और भय का माहौल बना हुआ है।
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वोटिंग के बाद दलितों के घरों पर हमला: घरों में आगजनी और पत्थरबाजी
गोहटा गांव में हुई इस घटना के अनुसार, करीब एक दर्जन से अधिक लोगों ने दलित बस्ती में घुसकर न केवल घरों को जलाया, बल्कि जमकर पत्थरबाजी भी की। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इन लोगों ने बिजली के खंभे और पोल को तोड़ दिया और ट्रैक्टर की मदद से खंभों को उखाड़ कर बस्ती को बिजली से भी वंचित कर दिया। इस घटना से इलाके के ग्रामीणों को लाखों का नुकसान हुआ है और लोग दहशत में हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि हमला करने वाले बीजेपी समर्थक थे और उन्होंने धमकी दी कि चूंकि दलित समुदाय ने बीजेपी को वोट नहीं दिया, इसीलिए यह सजा दी गई है।
भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ा, गांव में बढ़ा तनाव
हमलावरों ने न केवल दलितों के घरों को निशाना बनाया, बल्कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को भी तोड़ दिया। ग्रामीणों के अनुसार, यह प्रतिमा दलित समुदाय के लिए सम्मान और प्रेरणा का प्रतीक थी, लेकिन आरोपियों ने उसे भी नहीं छोड़ा। इस घटना के बाद से गांव में गहरा आक्रोश और निराशा का माहौल है, क्योंकि दलित समुदाय इसे अपनी अस्मिता और अधिकारों पर सीधा हमला मान रहा है। प्रतिमा के टूटने के बाद ग्रामीणों में गुस्सा और भी बढ़ गया है और वे न्याय की मांग कर रहे हैं।
प्रशासन की लापरवाही: पुलिस की गाड़ियाँ मौके पर फिर भी कोई कार्रवाई नहीं
घटना के बाद का माहौल और भी गंभीर तब हो गया जब यह बात सामने आई कि घटना के दौरान पुलिस की गाड़ियाँ वहां मौजूद थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें पुलिस की गाड़ियाँ साफ देखी जा सकती हैं, फिर भी अधिकारी इस घटना के बारे में बात करने से कतरा रहे हैं। घटना के बाद से पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं और प्रशासन की निष्क्रियता के कारण ग्रामीण खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं।
विजयपुर में वोटिंग के दौरान भी हुआ था हंगामा
इससे पहले भी, वोटिंग के दौरान विजयपुर में तनाव का माहौल बना हुआ था। इस दौरान लोगों ने पीठासीन पदाधिकारी के साथ मारपीट की थी और मतदान के माहौल में भारी गड़बड़ी की खबरें आई थीं। स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि प्रशासन ने दोनों प्रत्याशियों को नजरबंद कर दिया था और क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि चुनावी माहौल में गहरे तनाव की स्थिति थी, जो बाद में इस हिंसक घटना में बदल गई।
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घटना के बाद प्रशासन पर सवाल, ग्रामीणों की सुरक्षा का मुद्दा
इस हमले के बाद प्रशासन पर कड़े सवाल उठ रहे हैं कि उसने क्यों इस मामले में उचित कदम नहीं उठाए। ग्रामीणों ने अब प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई है। इस घटना ने ना सिर्फ विजयपुर बल्कि पूरे क्षेत्र में एक डर का माहौल बना दिया है, खासकर दलित समुदाय में। पुलिस की निष्क्रियता और प्रशासन का मौन रहना, दोनों ही सवालों के घेरे में हैं और इससे ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ खड़ी हो गई हैं।
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