यूपी में दलित महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों ने समाज में आक्रोश और सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में प्रतापगढ़ में एक दलित महिला से बलात्कार की घटना सामने आई, जिसमें पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। दलित समुदाय ने सख्त कार्रवाई और न्याय की मांग की है।
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में दलित समाज की महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। हाल ही की घटनाओं में दो दलित महिलाओं पर घोर अत्याचार की खबरें सामने आईं, जिन्होंने समाज को झकझोर दिया है और कानून-व्यवस्था की असफलता को उजागर किया है। इन घटनाओं में एक ओर 25 वर्षीय दलित महिला पर हुए अत्याचार का मामला है, तो दूसरी ओर एक नाबालिग दलित लड़की के साथ हुई बर्बरता ने सभी को स्तब्ध कर दिया है।
महिला के संघर्ष की कहानी: चुप्पी तोड़ते हुए न्याय की मांग
प्रतापगढ़ के एक गाँव में 25 वर्षीय दलित महिला पर हुए अत्याचार का मामला सामने आया है। एएसपी के मुताबिक, आरोपी के धमकाने के कारण पीड़िता ने कुछ दिनों तक अपने साथ हुए अत्याचार को चुपचाप सहा। जब उसकी तबीयत अधिक बिगड़ गई, तब परिजनों ने डॉक्टर के पास ले जाकर उसकी स्थिति का पता लगाया। इस दौरान उसने परिवार को अपने साथ हुए अत्याचार के बारे में बताया। परिजन पीड़िता को स्थानीय थाने लेकर गए और आरोपी के खिलाफ तहरीर दर्ज करवाई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता एवं अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया।
यह घटना बताती है कि समाज के निचले तबके की महिलाएं आज भी सुरक्षित नहीं हैं। दलित समाज की महिलाओं को दबाने और चुप करवाने के लिए समाज के उच्च वर्गों द्वारा लगातार अत्याचार किए जा रहे हैं, और भय के कारण इन महिलाओं को चुप रहने पर मजबूर किया जाता है।
बर्बरता का दूसरा चेहरा: 16 वर्षीय दलित लड़की के साथ हुई दर्दनाक घटना
इसी महीने प्रतापगढ़ के लीलापुर थाना क्षेत्र में एक 16 वर्षीय दलित किशोरी के साथ घोर बर्बरता की घटना सामने आई। पीड़िता को आरोपी ने घसीटते हुए बाजरे के खेत में ले जाकर बलात्कार किया, फिर गला दबाकर जान से मारने का प्रयास किया। जब लड़की काफी देर तक घर नहीं लौटी तो परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरू की। इस दौरान खेत में उसके लहूलुहान शरीर को देखकर सभी हैरान रह गए। उसे गंभीर अवस्था में अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
इस घटना में भी पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया, लेकिन यह प्रश्न छोड़ गया कि आखिर ऐसी घटनाएं क्यों होती हैं? क्यों दलित समाज की महिलाओं पर बार-बार अत्याचार होता है और क्यों इन्हें न्याय पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है?
दलित महिलाओं पर अत्याचार: समाज को पुनः सोचने की आवश्यकता
प्रतापगढ़ की इन दोनों घटनाओं ने न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। क्या दलित समाज की महिलाओं को सुरक्षित जीवन जीने का अधिकार नहीं है? क्यों उन्हें बार-बार समाज की रूढ़ियों और उच्च वर्गों के अत्याचारों का शिकार बनना पड़ता है? इस प्रकार की घटनाएं समाज की गहरी खामियों को उजागर करती हैं।
इन घटनाओं के बाद दलित समाज के लोगों में गहरा आक्रोश है। वे मांग कर रहे हैं कि इस तरह के अपराधियों को कड़ी सजा मिले, ताकि भविष्य में कोई इस तरह की घटना करने से पहले सौ बार सोचे। दलित संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सिर्फ आरोपी की गिरफ्तारी से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि आवश्यक है कि समाज में ऐसे सोच और व्यवहार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।
न्याय की पुकार और पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी
दलित महिलाओं पर अत्याचार के ऐसे मामले बताते हैं कि केवल कानून बनाकर इन समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता। जरूरी है कि पुलिस और प्रशासन सख्ती से कार्रवाई करे और समाज में ऐसा माहौल बनाए कि कोई भी महिला खुद को असुरक्षित महसूस न करे। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून के प्रावधानों का सही तरीके से पालन हो और किसी भी वर्ग की महिलाओं के साथ इस तरह की घटनाएं न हों।
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समाज और सरकार की संयुक्त जिम्मेदारी
प्रतापगढ़ की घटनाओं ने सरकार, पुलिस और समाज को इस समस्या पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर कर दिया है। यह आवश्यक है कि ऐसे मामलों में सख्त और त्वरित कार्रवाई हो, ताकि पीड़िता और उसके परिवार को न्याय मिल सके। साथ ही, समाज को अपने स्तर पर दलित समाज की महिलाओं के प्रति अपने दृष्टिकोण को सुधारना होगा।
इन घटनाओं के बाद सभी का सवाल यही है कि आखिर कब तक दलित समाज की महिलाएं इस तरह के अत्याचारों का शिकार होती रहेंगी। यह आवश्यक है कि समाज और प्रशासन दोनों एकजुट होकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालें, ताकि कोई भी महिला भय और असुरक्षा के माहौल में न रहे।
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