दलित परिवार पर अत्याचार: न इंसाफ मिला, न सुरक्षा- खेत में फसल काटने से रोकने पर दंबगों ने किया जानलेवा हमला

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आगरा के सैंया क्षेत्र में दलित परिवार पर दबंगों ने फसल काटने से रोकने पर हमला किया, फायरिंग की और लाठी-सरिया से पीटा। पुलिस में शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे दलित समाज में आक्रोश फैल गया है।

UP News: आगरा के थाना सैंया क्षेत्र के गांव दनक्शा में दलित परिवार पर हमला, अत्याचार और पुलिस की निष्क्रियता की एक और दर्दनाक कहानी सामने आई है। मंगलवार की रात को गांव में दलित परिवार का हक छीनने का एक भयावह दृश्य देखा गया, जहां अपने ही खेत में बाजरे की फसल काट रहे रामकिशन और उनके परिवार पर गांव के ही कुछ दबंग लोगों ने हमला बोल दिया। इस घटना ने एक बार फिर दलित समाज पर हो रहे अत्याचारों को उजागर किया है, और पुलिस व प्रशासन की लापरवाही ने इंसाफ के लिए उनकी आवाज को फिर से दबा दिया।

ये है मामला

रामकिशन के अनुसार, वह अपने परिवार के साथ अपने खेत में खड़ी बाजरे की फसल काट रहे थे कि तभी गांव के दबंगों में शामिल जगदीश, भूदेव, और देवकीनंदन वहां आ धमके और फसल को अपने कब्जे में करने की कोशिश करने लगे। रामकिशन ने विरोध किया तो दबंगों ने पहले लाठी-डंडों और सरियों से हमला किया और फिर फायरिंग कर दहशत फैला दी। दलित परिवार पर यह हमला किसी की निजी दुश्मनी का नतीजा नहीं था, बल्कि उनके हक को कुचलने और उन्हें डराने का एक प्रयास था ताकि दलित समाज का यह परिवार अपनी आवाज उठाने की हिम्मत न कर सके।

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रामकिशन ने बताया कि हमले में उनके सिर पर सरिया मारा गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। हमले में उनके परिवार के कुल छह लोग घायल हुए। दहशत की हद तब हो गई जब आरोपियों ने फायरिंग कर उनकी जान लेने की कोशिश की। यही नहीं, उनके परिवार की चार मोटरसाइकिलों को भी तोड़ दिया गया ताकि वे किसी तरह की मदद मांगने की स्थिति में न रहें।

पुलिस ने दलित परिवार की बात अनसुनी कर दी

घटना के बाद दलित परिवार जब अपनी शिकायत लेकर थाने पहुंचे, तो पुलिस ने उनकी बात अनसुनी कर दी। कई घंटों तक थाने में इंतजार करने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला। पुलिस द्वारा मामले को दरकिनार कर देना और आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज न करना इस बात को साबित करता है कि दलित समाज को आज भी न्याय और समानता के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। पुलिस की इस निष्क्रियता से दलित समाज में आक्रोश फैल गया है और उन्होंने पुलिस से सवाल किया है कि आखिर दलित समाज को कब तक इस तरह के अन्याय का शिकार होना पड़ेगा।

थाना प्रभारी का बयान इस मामले में खासा निराशाजनक है। उनका कहना है कि दोनों पक्षों, यानि रामकिशन और जगदीश की ओर से तहरीरें दी गई हैं और दोनों पक्षों के घायल होने का दावा किया गया है। हालांकि, गांव के कई लोगों का कहना है कि यह हमला पूरी तरह से दलित परिवार को डराने और उनके खेत पर कब्जा करने के लिए था। लेकिन पुलिस ने अपनी जांच का बहाना बनाकर कार्रवाई से बचने की कोशिश की है।

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ये पूरे दलित समाज पर एक हमला है

गांव के दलित समाज का मानना है कि यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति पर हमला नहीं है, बल्कि पूरे दलित समाज पर एक हमला है, जो उनके अधिकारों को छीनने की एक और कोशिश है। यह घटना बताती है कि आज भी दलित समाज को अपने हक और जमीन के लिए संघर्ष करना पड़ता है, और पुलिस व प्रशासन उनकी समस्याओं को न केवल अनदेखा करते हैं, बल्कि अपराधियों का परोक्ष रूप से समर्थन भी करते हैं। दलित समाज ने इस घटना के विरोध में स्थानीय प्रशासन से न्याय की मांग की है और पुलिस की निष्क्रियता पर कड़ा सवाल उठाया है।

इस घटना से एक बार फिर यह सवाल उठता है कि आखिर कब तक दलित समाज को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाएगा? क्यों उनके साथ अन्याय होने पर पुलिस कार्रवाई में देरी करती है या अनदेखी करती है? क्या न्याय का अधिकार सिर्फ एक विशेष वर्ग के लिए है?

दलित समाज का कहना है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वे इस अन्याय के खिलाफ सामूहिक रूप से आवाज उठाएंगे। उनके लिए यह घटना केवल जमीन के टुकड़े का मुद्दा नहीं है, बल्कि उनके अस्तित्व, सम्मान और न्याय का मुद्दा है।

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