Akhilesh Yadav’s PDA Politics: क्यों पूरी तरह से झूठा है अखिलेश यादव का PDA फॉर्मूला.. पढ़िए डिटेल रिपोर्ट

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सफेद कुर्ता पजामा और लाल टोपी पहने अखिलेश यादव संसद से निकलते हैं और हाथ में संविधान लहराकर खुद को संविधान का रक्षक बताते हैं तो समाजवादी गद-गद हो उठते हैं. लेकिन संविधान की जितनी धज्जियाँ अखिलेश सरकार में उड़ाई गयी शायद ही ऐसा किसी सरकार में हुआ हो ? 

 

Akhilesh Yadav Harsh Politics On PDA: अखिलेश यादव ने 2027 के यूपी चुनावों को जीतने की पूरी प्लानिंग कर ली है. अखिलेश यादव 2027 का चुनाव भी PDA के फॉर्मूले पर लड़ेंगे बिल्कुल वैसे ही जैसे 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा था और 80 में से 37 सीटें जीत कर अपने PDA फॉर्मूले से सबको चौंका दिया था. लेकिन अखिलेश यादव की नियत में खोट नज़र आता है. वो कभी PDA को पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक बताते हैं तो कभी P फॉर पिछड़ा की जगह P फॉर पंडित जी कर देतें हैं. तो कभी कहते हैं कि PDA का P पत्रकारों के लिए भी है. वो कहते हैं कि भाजपा सरकार में PDA पर सबसे ज्यादा जुल्म हो रहा है इसलिए 2027 में PDA समाज ने ये ठान लिया है कि समाजवादी पार्टी को जीता कर PDA की सरकार बनानी है.

लेकिन सवाल ये है कि आज भाजपा सरकार में अखिलेश यादव जिस पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक का राग अलाप रहे हैं 2012 से लेकर 2017 तक जब यूपी में सपा की पूर्ण बहुमत की सरकार थी तब अखिलेश यादव ने इस पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक पर कितना ध्यान दिया था. आज जब सफेद कुर्ता पजामा और लाल टोपी पहने अखिलेश यादव संसद से निकलते हैं और हाथ में संविधान लहराकर खुद को संविधान का रक्षक बताते हैं तो समाजवादी गद-गद हो उठते हैं. लेकिन संविधान की जितनी धज्जियाँ अखिलेश सरकार में उड़ाई गयी शायद ही ऐसा किसी सरकार में हुआ हो ?

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2012 में अखिलेश यादव ने मुस्लिम और अगड़ों के समर्थन से सरकार बनाई थी. इसमें दलितों ने भी सपा को बढ़ चढ़ कर वोट दिया था. लेकिन सरकार बनने के महज 4 महीने के भीतर यूपी दंगों में जलने लगा. दलितों को ट्रैक्टर तले रौंदा जाने लगा. दलित महिलाओं को नंगा घुमाया गया. मंदिरों में दलितों के प्रवेश पर मनुवादियों ने रोक लगा दी थी. NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक 2015 से लेकर 2016 जब यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी तब यूपी में दलितों के खिलाफ अपराध के मामलों में 25 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी. NCRB ने इस रिपोर्ट को इस तरह भी समझाया कि देश में दलितों के खिलाफ अपराध के 40 हज़ार 801 मामलों में से 10 हज़ार 400 अकेले उत्तर प्रदेश से सामने आए थे. वहीं यूपी में दलितों के अपहरण के 50 फीसदी मामले और हत्याओं के 36 फीसदी मामले सामने आए थे.


टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञों ने NCRB की इस रिपोर्ट पर कहा था कि यूपी में दलितों के साथ अत्याचार का सबसे बड़ा कारण समाजवादी पार्टी का दलित विरोधी रवैया है. पूर्व आईपीएस और दलित विचारक एस दारापुरी ने भी इस मामले पर कहा था कि यूपी में प्रशासनिक अधिकारियों की पोस्टिंग भी दलितों को निशाना बनाने के लिए की गई थी। उन्होंने ये भी बताया था कि उस समय लखनऊ में दलित समुदाय का एक भी एसएचओ नहीं था.

वहीं हाल फिलहाल में नगीना से लोकसभा सांसद चंद्रशेखर आजाद ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिख कर अखिलेश यादव की दलित विरोधी मानसिकता को उजागर करते हुए बताया था कि साल 2012 से 2017 के बीच यूपी लोक सेवा आयोग में 78 चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति सिर्फ इसलिए नहीं दी गयी क्योंकि वो दलित और आदिवासी थे.

अखिलेश यादव अब जिन P फॉर पंडित जी की बात कर रहें है. अखिलेश सरकार में उनके साथ भी सौतेला व्यवहार हुआ था. बता साल 2013 की है जब इटावा में यादव बनाम ब्राह्मण हो गया था. प्रेम प्रसंग के मामले में यादवों ने बाकायदा ब्राह्मणों का मुंह काला कर, जूतों की माला पहनाकर गांव भर में जुलूस निकाला था. इस मामले में पुलिस भी हाथ पर हाथ रखे बैठी रही क्योंकि आरोपी यादव थे.

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बसपा सरकार में जिन 9 जिलों के नाम बहुजन महापुरुषों के नाम पर रखे गए थे उन्हें अखिलेश यादव ने बदल डाला था. 2012 में अखिलेश यादव के समर्थन से सपा नेता यशवीर सिंह नारायण ने लोकसभा में प्रमोशन में आरक्षण बिल फाड़ दिया था. अखिलेश सरकार में ही दलित कर्मचारियों का डिमोशन किया गया. आज भी अखिलेश यादव PDA की बात करते थकते नहीं हैं लेकिन जब मथुरा के करनावल जैसी घटनाएं होती है जहाँ दलित दुल्हनों की शादी में यादव उत्पात मचाते हैं, शादी रुकवा देते हैं तो अखिलेश यादव चुप्पी साध जाते हैं.


अखिलेश यादव की कथनी और करनी के आधार पर उनका PDA फॉर्मूला पूरी तरह से झूठा है. PDA में जिन दलितों को अखिलेश यादव ने शामिल किया है उन्हीं का मज़ाक वो हर रोज़ बना रहा हैं. दलित नेता को भड़काऊ बयान देने के लिए उकसाते हैं. जब उन पर हमला होता है तो उन्हें दलित बता कर दलितों की सहानुभूती लेने लग जाते हैं. कभी हाथ में संविधान लेकर खुद को संविधान का रक्षक बता देते हैं और फिर बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर में आधा चेहरा खुद का लगवा कर बाबा साहेब का अपमान करते हैं.

बसपा सुप्रीमो मायावती सपा के दलित विरोधी रवैये से बहुत पहले से वाकिफ हैं. इसलिए वह अक्सर गेस्ट हाउस कांड की याद अखिलेश यादव को दिलाती रहती है और दलितों को बार बार सावधान भी करती हैं.

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