कर्नाटक के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने SC, ST फंड में की कटौती, गाय कल्याण और स्मारकों के विकास में लगाएगी Sc, St फंड का पैसा

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कर्नाटक सरकार के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार ने भी एससी एसटी फंड का दूसरे कामों के लिए प्रयोग करना शूरू कर दिया है। कर्नाटक में जहाँ चुनावी वादों को पूरा करने के लिए कांग्रेस सरकार ने एससी एसटी फंड से 14 हजार करोड़ रूपए निकाले है वहीं मध्यप्रदेश सरकार गाय कल्याण और स्मारकों को देख रेख के लिए एससी एसटी फंड का यूज करेगी… 

 

भोपाल: कर्नाटक के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार ने भी दलित और आदिवासियों के कल्याण के लिए दी जाने वाली धनराशि में सेंध लगा दी है। एक खबर के मुताबिक इस साल मध्य प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के कल्याण के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि को धार्मिक स्थलों, संग्रहालयों के विकास और गाय कल्याण के लिए डायवर्ट करेगी। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक यह जानकारी सरकारी अधिकारियों द्वारा समीक्षा किए गए दस्तावेजों से मिली है। बता दें कि इससे पहले कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने एससी एसटी कल्याण फंड से 14 हजार करोड़ रुपए डाइवर्ट करने का फैसला लिया था। कर्नाटक सरकार एससी एसटी फंड से यह पैसा इसलिए ले रही है ताकि कांग्रेस सरकार चुनावों में किए गए अपने वादों को पूरा कर सके।  

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एससी एसटी को होगा लाभ :

आश्चर्य की बात ये है कि मध्यप्रदेश राज्य के वित्त विभाग के एक अधिकारी ने इस फैसले को असाधारण बताया लेकिन आगे कहा कि यह तथ्य है कि एससी एसटी फंड से डायवर्ट हो रहे इस पैसे से और दूसरे जगह खर्च होने से एससी और एसटी समुदायों के लोगों को भी लाभ होगा। वहीं राज्य के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने एससी एसटी फंड में हो रहे डायवर्सन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

 

गाय कल्याण और स्मारकों पर होगा खर्च :

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एससी एसटी फंड को मध्यप्रदेश सरकार गाय कल्याण और धार्मिक स्थलों के पुनर्विकास के लिए खर्च करेगी। रिपोर्ट के मुताबिक , गाय कल्याण (गौ संवर्धन और पशु संवर्धन) के लिए 252 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। वहीं इसके लिए एससी/एसटी उप-योजना में से 95.76 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक गाय कल्याण निधि के बजट में पिछले साल की तुलना में 90 करोड़ रूपए का इज़ाफा हुआ है। वहीं जुलाई में पेश किए गए बजट के दौरान मध्यप्रदेश सरकार ने सीहोर में श्री देवी महालोक, साल-कानपुर, सागर में संत श्री रविदास महालोक, ओरछा में श्री राम राजा महालोक, चित्रकूट में श्री रामचंद्र वनवासी-महालोक और ग्वालियर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के स्मारक के विकास के लिए 109 करोड़ रुपये की घोषणा की। लेकिन अब गाय कल्याण और इन स्मारकों के विकास के लिए एससी/ एसटी फंड को कम किया जा रहा है।

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इससे SC/ST को क्या लाभ :

एससी एसटी फंड से राशि लेने पर लगभग आधे कार्यकर्ताओं ने कहा कि छह धार्मिक स्थलों के पुनर्विकास के लिए और गाय कल्याण से एससी और एसटी को कोई लाभ नहीं होगा। चालू वित्त वर्ष के लिए आवंटित धनराशि एससी/एसटी उप-योजना से ली गयी है। एक वित्त अधिकारी ने कहा कि सामान्य बुनियादी ढांचे के लिए एससी/एसटी उप-योजना निधि का उपयोग दुर्लभ है। इससे एससी/एसटी समुदायों को लाभ होता है। वहीं एक आदिवासी विभाग के अधिकारी ने उल्लेख किया कि इस तरह से वित्त पोषित धार्मिक गलियारे और संग्रहालय रोजगार प्रदान करेंगे और आदिवासी परंपराओं को बढ़ावा देंगे। हालांकि विशेषज्ञों का तर्क है कि एससी/एसटी उप-योजना निधि को डायवर्ट करना फंड का दुरुपयोग है। आदिवासी मामलों के विशेषज्ञ विनेश झा ने उन दिशानिर्देशों पर प्रकाश डाला जिनके अनुसार इन निधियों को एससी/एसटी व्यक्तियों या समुदायों को सीधे लाभान्वित करना आवश्यक है। उनके मुताबिक मंदिरों  संग्रहालयों और गौशालाओं के लिए एससी एसटी फंड का उपयोग करना अनुचित और सरकारी धन का दुरुपयोग माना जाता है।

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राज्यों को क्यों मिलता है SC/ ST फंड :

बता दें कि कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश एससी/एसटी उप-योजना से अन्य योजनाओं के लिए धन निकालने वाला दूसरा राज्य है। कर्नाटक ने अपनी कल्याणकारी योजना के वित्तपोषण के लिए उप-योजना से 14,000 करोड़ रुपये लेने का फैसला किया। जिसके बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। बताते चलें कि एसटी उप-योजना (1974) और एससी उप-योजना (1979-80) का उद्देश्य केंद्र से 100% विशेष सहायता के साथ कमजोर वर्गों की शिक्षा और आर्थिक हितों को बढ़ावा देना है।  

 

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