सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर विवेक बिंद्रा खुद सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे है। 35 सेकेंड की उनकी एक विडियो सोशल मीडिया पर इतनी बार पोस्ट और रिपोस्ट की जा चुकी है कि उनका नाम भी X पर ट्रेंड करने लगा। यही नहीं विवेक बिंद्रा को लोग जातिवादी भी कह रहे है। लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है आइए जानते हैं..
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दरअसल, दी लल्लन टॉप को दिए अपने एक इंटरव्यू में विवेक बिंद्रा आरक्षण और जातिवाद पर बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि शूद्र जो कि ऑर्डर को एग्सक्यूट करने के लिए है यानी दिए हुए आदेशों को मानने और उसे पूरा करने के लिए बना है अगर उसे लीडर बनाओगे तो वो दिक्कत करेगा। “शूद्र को नेता नहीं बनाना चाहिए वरना देश का नाश हो जाएगा”
https://x.com/TheEqualityLab/status/1737839759945511193?s=20
इसी इंटरव्यू में विवेक बिंद्रा आरक्षण को लेकर कहते हैं कि मैं आरक्षण के खिलाफ़ नहीं हूँ लेकिन आरक्षण किसको मिलना चाहिए और किसकों नहीं मिलना चाहिए मैं इसके खिलाफ़ हूँ। इतना ही नहीं वो आगे पत्रकार से सवाल पूछते हैं कि आप बताइ कि क्या आप अपने बेटे का इलाज एक ऐसे डॉक्टर से करवा सकते हैं जो कभी हॉस्पिटल गया ही नहीं, सीखा ही नहीं और बस आरक्षण से डॉक्टर बन गया है ? वो आगे कहते है कि हमें मेरिट को आगे बढ़ाना है हमें सक्षम लोगो को आगे बढ़ाना है।
https://x.com/MalvarKumar/status/1738122351915704569?s=20
इस तरह विवेक बिंद्रा अपनी जातिवादी सोच दिखाते हुए पूरी शूद्र कम्यूनिटी पर सवाल खड़ा कर रहे है जो बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान के बलबूते शिक्षा, राजनीति, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में नए नए मुकाम हासिल कर रहा हैं। वैसे बताते चले कि विवेक बिंद्रा के साथ-साथ सवाल दी लल्लनटॉप पर भी खड़े हो रहे है। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि दी लल्लनटॉप ऐसे लोगो को प्रमोट करता है जो जातिवाद को बढ़ावा देते हैं।
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विवेक बिंद्रा की ये दो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल है और इसके बाद जाति और आरक्षण को लेकर फिर एक बार बहस तेज़ हो गयी है। विवेक बिंद्रा को जातिवादी मानसिकता रखने वाला व्यक्ति कहा जा रहा है। वहीं कुछ लोग यह भी कह रहे है कि जो लोग पूछते हैं कि आज के ज़माने में जातिवाद कहाँ होता है उन्हें विवेक बिंद्रा की ये वीडियो देखनी चाहिए।
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जब उनकी ये वीडियो सामने आई तो लोगो ने उनके खिलाफ़ ट्वीट लिख कर उनकी जातिवादी सोच को उजागर करना शुरू किया। वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने विवेक बिंद्रा की इस सोच पर कहा, “ बेहद नीच हरकत की है विवेक बिंद्रा और लल्लनटॉप ने। अब लोकतंत्र में ये सब कौन बोलता है। इनके मन में संविधान के प्रति कोई सम्मान ही नहीं है। इनका पेस्ट कंट्रोल ज़रूरी है। वरना ये दीमक देश और संविधान को कमजोर करने की कोशिश करते रहेंगे।
वहीं राजनीतिक विश्लेषक “कुश अंबेडकरवादी” ने इस मुद्दे पर लिखा कि “जैसे दादा अंधेरे मे मर जाएं तो पोते का नाम पॉवर हाउस रख देने से अंधेरा नही जाता वैसे ही मूर्ख व्यक्ति का नाम विवेक रख देने से वो समझदार नही हो जाता।“ उन्होंने विवेक बिंद्रा को टैग करके उनसे पूछा कि “विवेक बिंद्रा ख़ुद बतायें उन्हें बिंद्रा सरनेम अपनी जाति की वजह से मिला है या कर्मों की वजह से”
दलित डेस्क की को फाउंडर बबीता गौतम ने X पर लिखा, “लल्लनटॉप के साथ-साथ विवेक बिंद्रा नामक प्राणी भी जातिवादी है. ये लोग इसी तरह अपनी सड़ी गली मानसिकता को सामने रखते रहते हैं ये नयी बात नहीं है. ऐसे चैनल और ऐसे लोगों को सबक़ सिखाना बेहद ज़रूरी है”
जातिवादी लोग कभी इस बात को नहीं कहेंगे कि एक विशेष वर्ग को हज़ारो सालों तक पढ़ने नहीं दिया गया। उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया गया। लेकिन वो आरक्षण को ज़रूर कोसेंगे। उसे बेसाखी और भीख बताएंगे। क्योंकि आरक्षण के बूते जिन लोगो को ये कभी आगे नहीं बढ़ने देना चाहते थे वो इनके सामने खड़े होकर अपने हक की बात करते हैं।
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ऐसी सोच देश के लिए खतरनाक है क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी खुद शूद्र समाज से आते है। इस तरह के बयान से विवेक बिंद्रा कह रहे है कि नरेद्र मोदी के सत्ता में आने से देश बर्बाद हो गया है।
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