हर माँ बाप का सपना होता है की उसकी बेटी की शादी धूम धाम से और बिना किसी रुकावट के सम्पन्न हो। बारात दरवाजे पर धूम धाम से आए और दूल्हा घोड़ी पर चढ़कर आए, बैंड बाजे बाराती नाचे और चारों ओर खुशियां बिखरे। लेकिन क्या ये ख्वाब देखने से पहले एक पिता को अपनी जाति देखनी पड़ेगी क्या पिता का सपना जाति बंधनों के डर समाज की कुरीतियों, और अपने दलित होने के कारण अधूरा रह जायेगा।
यह भी पढ़े: बिहार: गोपालगंज के सरकारी स्कूल में दलित बच्चो के शौचालय उपयोग पर प्रंसिपल ने लगाई रोक
ऐसी ही परिस्तिथि का शिकार हुए है उत्तर प्रदेश के जनपद संभल के थाना गन्नौर के गांव घुघायी के बाल्मीकी समाज के एक पिता।
आपको बता दे कि संभल में दलित बेटी की शादी रोकने के लिए गांव के प्रधान और एक दर्जन से ज्यादा यादव लोगों पर बाल्मीकि समाज की बेटी कविता के पिता ने आरोप लगाया गया है. उनका कहना है जातिवादियों ने उन्हें धमकी दी है कि बरात चढ़ेगी तो गांव में बारात पर पथराव करेंगे।
यह भी पढ़े: रामचरितमानस के विवाद को आसान भाषा में समझना है तो “दलित चिंतक कँवल भारती” का ये लेख पढ़िए..
इससे परेशान होकर दलित पिता ने आरोप लगाते हुए पुलिस को एक प्रार्थना पत्र दिया है। जिसमें वह बरात चढ़ाने की अनुमति और सुरक्षा की मांग कर रहे है।बताते चले कि गांव में कई हजार की आबादी में एक ही दलित परिवार है और परिवार चाहता है कि वह अपनी बेटी की शादी धूमधाम से करे, लेकिन गांव के दबंग प्रधान और कुछ एक दर्जन से ज्यादा लोगों ने शादी रोकने की धमकी दे है।
आज यानी 7 फरवरी की शाम को बारात आनी है.. अब देखना यह है कि दलित बेटी की शादी कैसे संपन्न होती है या प्रशासन मदद की गुहार सुनता है या फिर वह भी जातिवादियों के दबाव में आकर चुप्पी साधे बैठता है।
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।