बीते बुधवार उत्तर प्रदेश के शाहबाद क्षेत्र के परिषदीय स्कूल की दलित रसोईया नीतू ने स्कूल के एक टीचर पर जातिवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। मामले में दलित रसोईया नीतू ने क्षेत्र के एसडीएम को लिखित शिकायत की है। शिकायत में रसोईया ने बताया है कि, “स्कूल के एक सवर्ण टीचर ने बच्चों को भड़काया है कि वह उसके हाथ से बना खाना न खाएं।“ जिसके बाद बच्चों ने उसके हाथ का खाना खाने सा इंकार कर दिया। नीतू की शिकायत पर एसडीएम ने जांच का आश्वासन देते हुए शिकायत को खण्ड शिक्षा अधिकारी को सौंप दिया है।
3 साल से उसी स्कूल में खाना बनी रही है:
मामले की शिकायत करने नीतू खुद एसडीएम के पास पहुंची थी। जहाँ उसने बताया कि स्कूल में सवर्ण शिक्षक भी हैं। जो उसके हाथ का बना खाना नहीं खाते और उनके बहकावे में आकर अब बच्चे भी खाना खाने से मना कर रहें हैं। जिसके बाद नीतू को स्कूल से निकालने की कार्यवाही की जा रही है। बता दें कि नीतू वाल्मिकी समाज से ताल्लुक रखती है और पिछले 3 साल से उसी परिषदीय स्कूल में खाना बना रही है।
मामले की होगी जांच:
मामले की शिकायत मिलने के बाद शाहबाद क्षेत्र के एसडीएम सुनील कुमार ने स्कूल जाकर जांच करने की बात कही है। उन्होंने कहा, “ एक प्राइमरी स्कूल से दलित रसोईया के हाथों से बने भोजन को खाने से इंकार करने का मामला संज्ञान में आया है।
खुद महिला रसोइया ने इस संबंध में शिकायत की है। वह खुद बीईओ के साथ स्कूल जाकर मामले की जांच करेंगे। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला मंत्री शिवा राणा ने डीएम को ट्वीट कर मामले में उचित कार्यवाही की मांग की है।
दलित के हाथ से बना खाना नहीं खाएंगे:
बीतें दो सालों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड और राजस्थान समेत कई राज्यों में ऐसे मामले सामने आएं हैं जहाँ स्कूल के सवर्ण बच्चों ने दलित कुक के हाथ से बना खाना खाने से इंकार किया है। इसी महिने राजस्थान के उदयपुर के गोगुंदा क्षेत्र के एक सरकारी स्कूल में “मेघवाल” जाति की दो लड़कियों के दाल परोसने पर स्कूल के जाट कुक ने आपत्ति जताई थी।
पिछले महिने गुजरात के एक स्कूल में OBC वर्ग के बच्चों ने दलित भोजन मामता के हाथ से बना खान खाने से मना कर दिया था। तो वहीं दिसंबर 2021 में उत्तराखण्ड के चंपावत जिले के सुखीढांग गांव के सरकारी स्कूल में सवर्ण बच्चों ने दलित कुक के हाथ से बना खाना खाने से इंकार कर दिया था।
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