राष्ट्रपति की गिरती साख

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महामहिम राष्ट्रपति महोदय ने फरमाया मेरी आमदनी तो अध्यापकों से भी कम है जो कि पांच लाख है परंतु तीन लाख टैक्स के रूप में सरकारी खजाने में वापस चला जाता है। राष्ट्रपति जी क्या आप झूठ बोलने में प्रधानमंत्री की बराबरी करना चाहते हैं क्योंकि सबको पता है राष्ट्रपति की आयकर मुक्त होती है इसके अलावा जो और ढेर सारी सुविधाएं आप निशुल्क भोगते हैं क्या वह अध्यापकों को मिलती है? आप पहले ऐसे राष्ट्रपति हो महोदय जिसने राष्ट्रपति की मर्यादा को तार तार करके रख दिया है। ज्ञानी जेल सिंह ने भी इतनी जी हजूरी नहीं की थी जो कहते थे मैडम (इंदिरा) कहेगी तो उनका पाखाना भी साफ कर सकता हूं। उन्होंने भी राजीव गांधी को दिन में तारे दिखा दिये थे जब जेबी वीटो का प्रयोग करके उनके एक बिल को पास होने से रोक दिया था।

याद है आपको ब्रह्म के मंदिर पुष्कर में हुई वह घटना, जहां आपके साथ बदसलूकी हुई थी और आप कुछ नहीं कर सके थे और आप वैसे ही मंदिरों (राम मंदिर) में पांच लाख अपनी पुरी महीने की कमाई दान कर देते हों। कैसा संदेश आपने दलितों को दिया कि मंदिर में बेशक आपको घुसने नहीं दिया जाए परंतु अपने परिवार के पुरे महिने की कमाई देने में संकोच न करें।जिस छड़ी से आपकी पिटाई होती है आप उसको शिरोधार्य करो और उसकी पूजा करो। क्या पढाई लिखाई से नहीं मंदिर के माध्यम से दलितों का भला होगा। आज दलितों को जो सम्मान मिलना चाहिए था वह नहीं मिल पा रहा क्योंकि ऊंचाई पर बैठे लोगो के द्वारा धरातल की कठिनाइयों को नजरंदाज किया जा रहा हैं।आपके द्वारा समयानुसार न लिए गए सही फैसले दलितों के हितों बहुत नुकसान पहुंचा सकते है। आज जो अघोषित आपातकाल चल रहा है उसे देख कर भी आप खामोश हैं। कांग्रेस काल में भी जज इंदिरा गाँधी के चुनाव को रद्द करने की क्षमता रखते थे। क्या आज सुप्रीम कोर्ट से यह उम्मीद रख सकते हैं कि केंद्र की सरकार के खिलाफ कुछ कर सकें। यह वही चुनाव आयोग हैं जहां टीएन शेषन जैसे मुख्य चुनाव अधिकारी हुए जो सत्ता को बेकाबू नहीं होने देते थे। आज ऐसा क्या होगा सभी सरकारी स्वायत्त संस्थान अपना कार्य स्वतंत्रता से नहीं कर पा रहे। सभी संस्थाओं की बोली लग चुकी है कोई धन पर बिक रहा है तो कोई पद में। आखिर ऐसा कब तक चलेगा? क्या जब तक विदेशों में हमारी थू थू नहीं होती तब तक हम सोते रहेगें? कुछ करीए महामहिम लेकिन लगता है कि आप तो आपातकाल की घोषणा के कानून पर हस्ताक्षर करने में भी संकोच नहीं करोगे। आपसे जनता की, दलित वर्ग की उम्मीदें जुड़ी है, और उक्त विषयों पर आपके चिंतन की आवश्यकता है।

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